हमारे देश में आम आदमी इतना सीधा साधा अथवा सज्जन  है कि बात बात पर “चतुर सुजान” लोग उन्हें ठगने का मायाजाल रचते रहते हैं, और सफलीभूत भी हो जाते हैं. अब कोरोना वायरस के समय काल में ठगों ने  “प्रधानमंत्री बीमा” के नाम पर आम लोगों को ठगी का शिकार बनाना शुरू कर दिया है.

देश में कोरोना की रफ्तार एक ओर जहां थम नहीं रही है, वहीं दूसरी ओर अब कोरोना के नाम पर ठगी करने का मामला शिकायत के पश्चात पुलिस ने पकड़ा है. छत्तीसगढ़ के सरगुजा अंचल के बलरामपुर में कोरोना बीमा के नाम पर लाखों रुपए की ठगी करने का  मामला सामने आया है. पुलिस ने हमारे संवाददाता को बताया कि बीमा के नाम पर ठगी का मायाजाल रखने वाले दो आरोपियों को दबोचा गया है.

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बलरामपुर पुलिस के शब्दों में दो  व्यक्तियों ने “कोरोना बीमा प्रधानमंत्री की योजना” बताकर 12 से ज्यादा लोगों से लाखों रुपए वसूले गए है. इस ठगी का एहसास होने पर वाड्रफनगर थाना पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई .वहीं दोनों की पहचान कर पुलिस ने गिरफ्तार करने में सफलता पाई है.

महिलाओं को बनाया ठगी का शिकार

गांव कोटराही निवासी उर्मिला देवांगन ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी कि 10 नवंबर को शाम छह बजे बाइक से दो लोग पहुंचे और बोले कि प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की “कोरोना कवच योजना” पर बीमा स्कीम आई है. उसका लाभ उठा लो वरना बहुत जल्दी यह योजना बंद हो जाएगी. यही नहीं उन्होंने साफ-साफ कहा-” बीमा करने के लिए उन्हें सरपंच ने भेजा है.”

इसके बाद उन्होंने आधार कार्ड और बैंक का खाता नम्बर मांग लिया. यही नहीं ठगों ने ठगी की शिकार  महिला से बायोमैट्रिक मशीन में अंगूठा लगवाया. उन लोगों का व्यवहार कुछ ऐसा था कि मानो वह लोग जो कर रहे हैं वह बिल्कुल सही है. कुछ दिन बाद महिला अपने पासबुक को लेकर सेंट्रल बैंक गई तो पता चला कि उसके खाते से पांच हजार रुपए गायब है. महिला के रिपोर्ट के बाद खुलासा हुआ कि उर्मिला, फूलबास, पतंगों, सुकुन्ती, सुखमन सभी इसी तरह ठगी की वारदात की शिकार हुई है.जांच में खुलासा हुआ कि रमकोला निवासी जाकिर मोमिन और सज्जाद मोमिन का ठगी में हाथ है. पुलिस द्वारा शक के आधार में हिरासत पर लेकर जांच की गई तो आरोपियों ने अपराध कबूल कर लिया.उनसे लैपटॉप, थंब स्कैनर और नकद डेढ़ हजार रुपए रुपए जब्त किए गए.

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पुलिस ने हमारे संवाददाता को बताया कि आरोपियों ने सैकड़ों लोगों से अलग अलग जिलों में ठगी की वारदात को अंजाम दिया है. जांच में कई तरह की बातों का खुलासा हुआ है. आरोपी कोरोना से मौत पर पांच लाख और बीमार होने और रोजाना ढाई सौ मिलने का झांसा दिया करते थे. जब कोरोना संक्रमण नहीं था तब भी वे अंगूठा लगवाकर ठगी करते थे और बैंक खातों से पैसा निकाल लेते थे. आरोपी जब महिला के पास पहुंचे तो उन्होंने खुद को एचडीएफसी बैंक का कर्मचारी बताया था.

समझदारी और लालच से बचाओ

छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य अंचल है जहां शिक्षा का अभाव है. ऐसे में यहां सरकारी योजनाओं के नाम पर ठगी का मायाजाल रचना आसान हो जाता है. कभी मछली पालन के नाम पर तो कभी नौकरी लगाने के नाम पर यहां लोगों को खड़े-खड़े ठगने के कितने ही उदाहरण हैं. अब नई ठगी का मायाजाल प्रधानमंत्री बीमा योजना का है जो यह बताता है कि कोरोना वायरस के इस भीषण समय में अगर आप कोरोना  से संक्रमित हो जाते हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह योजना आपके लिए रक्षा कवच का काम करेगी और सीधे-साधे अपढ़ लोग इनके जाल में फंसते चले गए. उनके दस्तावेजों को लेकर फिंगरप्रिंट लेकर उनके खातों से ठग रुपए उड़ाने लगे मगर जैसा कि हमेशा होता है अपराधी अंततः बेनकाब होता ही है यहां भी यही हुआ.

पुलिस अधिकारी इंद्रजीत सिंह का इस संदर्भ में मानना है कि छत्तीसगढ़ में ठगी का प्रतिशत  आमतौर पर इसलिए अत्यधिक है क्योंकि यहां लोग अशिक्षित हैं नियम कायदों को नहीं जानने के कारण किसी की भी बातों में आकर अपने महत्वपूर्ण दस्तावेज दिखा देते हैं, उन्हें फोटो कॉपी दे देते हैं और अंततः ठगे जाते हैं.

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छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता डॉ उत्पल अग्रवाल के अनुसार छत्तीसगढ़ में जनजागृति आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है. मगर सरकार इस दिशा में कोई काम नहीं कर रही है जब तक शिक्षा की ज्योति छत्तीसगढ़ में नहीं जलेगी आम लोग ठगी का शिकार ऐसे ही होते रहेंगे.

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