छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास का अंधेरा फैलता चला जा रहा है. इसके लिए शासन-प्रशासन सबसे अधिक दोषी है. क्योंकि आजादी के इतने साल बाद भी यहां शिक्षा की, जागरूकता की इतनी ज्यादा कमी है कि अभी भी गांव-गांव में “बैगा गुनिया” लोगों का इलाज करते हैं. लोगों की इन पर आस्था और विश्वास है. ऐसे में जब कभी विश्वास की नाव डगमगाती है तो बैगा गुनिया ही मारे जाते हैं. मजे की बात यह है कि वह बैगा गुनिया जो गांव का सबसे गुनी व्यक्ति माना जाता है जिसके हाथों में गांव की डोर होती है जब किसी बात को लेकर अंधविश्वास के घेरे में आकर लोगों के हाथों मारा जाता है, तब भी गांव वाले यह नहीं सोचते कि जो व्यक्ति अपनी जान नहीं बचा सका, वह गांव के लोगों को भला कैसे भूत प्रेत आदि से बचा सकता है. दरअसल, पूरा मामला अंधविश्वास के मायाजाल का है. जिसका लाभ बैगा गुनिया उठाते हैं. कुल मिलाकर एक धंधा बन चुका है जिसे गांव गांव में मान्यता है . बहरहाल यह नाकामी नि: संदेह छत्तीसगढ़ सरकार की है.
आइए! आज आपको हम ले चलते हैं छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल जहां नारायणपुर जिले के बेनूर थाना क्षेत्र में एक बैगा को घर से ले जाकर अंधविश्वास के फेर में हत्या कर दी गई. लंबे समय तक पुलिस आरोपियों को ढूंढती रही नगर मामला सुलझ नहीं पा रहा था, अंततः पुलिस को अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझाने में बड़ी सफलता मिली तो कई राज खुलकर सामने आ गए.
बैगा के हत्या की अंधी गुत्थी
11 जून 2020 को सोमनाथ मंडावी उम्र 25 वर्ष निवासी स्कूलपारा चियानार द्वारा थाना बेनूर में रिपोर्ट दर्ज कराई गई कि 10 जून 2020 की रात्रि करीबन 2 बजे अज्ञात व्यक्ति घर आकर उसके पिता रामजी मंडावी को उठाए वे एक बैगा थे लोगों का इलाज करते थे इस बिनाह पर उन्हें ले जाया गया और रामजी मंडावी (उम्र 50) घर नहीं लौटे तब अगली सुबह जब पतासाजी की गई तो उनका शव भाटपाल जाने वाले मार्ग पर पुलिया के नीचे पड़ा मिला.
अपराध की सूचना पर मामले में लगातार पतासाजी कर अंधे कल्ल के मामले को सुलझाने का अथक प्रयास करने के बावजूद भी पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लग पा रहा था.प्रकरण में कुछ संदिग्ध मोबाईल नम्बरों का टावर इंप ऐनालिशिस के आधार पर संदेह होने पर मानु करंगा एवं कानसाय नेताम से कड़ाई से पूछताछ की गई. उन्होंने अपराध घटित करना स्वीकार किया और इस तरह घटना का खुलासा चार माह पश्चात अक्टूबर 2020 हुआ.
हत्या की वजह अंधविश्वास
गिरफ्तारी के पश्चात मानूराम करंगा ने बताया कि वर्ष 2019 में मेरा छोटा सा बच्चा जो एक सप्ताह का था एवं मेरे सबसे छोटे भाई मानसिंग की पत्नी जो पेट से थी दोनों के “बच्चों की मौत” एक ही दिन हो गई. एवं वर्ष बाद 2020 में होली त्यौहार के कुछ दिन बाद अचानक मेरे भाई मानसिंग की भी मौत हो गयी थी.
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जिस कारण अपने पड़ोस में रहने वाले सिरहा ( बैगा) रामजी मंडावी के पर “जादू-टोना” करने (पांगने) का शक हुआ था. मानू करंगा और उसका छोटा भाई मानसाय करंगा दोनों ने मिलकर सिरहा रामजी मंडावी को मारने की योजना बनाई और मानसाय ने अपने रिश्तेदार कानसाय नेताम को भी साथ मिलाकर 10 जून 2020 को कानसाय अपने साथी मनीराम गावड़े, रजमेन राम मरकाम, जसलाल कुलदीप के साथ रात में सिरहा रामजी मंडावी के घर पहुंचकर रामजी मण्डावी को घर से ले गये और अपने पास रखे बदूंक से मारने का प्रयास किया, अचानक बदूंक नहीं चलने पर आरोपियों द्वारा बदूंक के कुंदा से मारकर हत्या कर दी गई और शव को भाट्याल पुलिया के नीचे फेक दिया.बेनूर पुलिस द्वारा आरोपियों के कब्जे से घटना में प्रयुक्त मोबाईल, सिम, बदूंक व मृतक से छीना हुआ टार्च एवं स्कूटी नीले रंग की जप्त की है.
घटना के सभी छः आरोपियों को न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया गया है.