हिंदी फिल्मों में छोटे किरदार निभाने के बाद भोजपुरी भाषा की सर्वश्रेष्ठ और अति लोकप्रिय अदाकारा व गायक बनने के बाद अब अक्षरा सिंह (Akshara Singh) एक बार फिर हिंदी फिल्मों में वापसी करने जा रही हैं. जी हां! इस बार वह शैलेश परासर निर्देशित फिल्म ‘युवा’ (Yuva) में एक सशक्त नारी के किरदार में नजर आने वाली हैं.
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अक्षरा सिंह (Akshara Singh) अपनी इस फिल्म को नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाली शानदार फिल्म बताती हैं. इसमें बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर भी गहरी चोट की गयी है. वह कहती हैं-‘‘ मेरे लिए फिल्म ‘युवा’ बहुत अहम है. मेरे लिए बात हिंदी या भोजपुरी भाषा में अभिनय करने से ज्यादा महत्वपूर्ण फिल्म का विषय और किरदार है. मुझे फिल्म ‘युवा’ का काॅन्सेप्ट और किरदार दोनो ही बहुत पसंद आए.’’
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अक्षरा सिंह (Akshara Singh) आगे कहती हैं- ‘‘मंजुश्री मोशन पिक्चर के बैनर तले निर्माणधीन हिन्दी फीचर फिल्म ‘युवा‘ संवेदना के पृष्ठभूमि पर आधारित है. शैलेश परासर द्वारा निर्देशित और छायांकन नरेश विश्वकर्मा के इस फिल्म का मुख्य आधार ‘नारी सशक्तिकरण’ को बढ़ावा देने के साथ गरीबी से खुद को उपर उठाकर सफलता के मुकाम तक पहुंचाने की है. कैसे एक छोटे से गांव की लड़की फुटबॉल खेलकर अपने हुनर और जज्बात को एक ऊंची उड़ान देती है. यही इस फिल्म का वन लाइनर है जो दर्शकों को एंटरटेनमेंट के सार्थक संदेश भी देगी.’’
निर्माता डॉ. मंजू कुमारी की हिंदी फिल्म ‘‘युवा’’ में मुख्य भूमिका में अभिनेत्री अक्षरा सिंह (Akshara Singh) के अलावा श्वेता वर्मा (Shweta Verma), यशपाल शर्मा (Yashpal Verma), कल्पना शर्मा (Kalpana Sharma), प्रमिला उप्रेति (Pramila Upreti), शालू और मुंबई के चर्चित कलाकार मनोज मिश्रा,चेतन पंडित,अपर्णा मिश्रा ,विजय श्रीवास्तव और अन्य कलाकार है.
यह महज संयोग है या प्रचार का हथकंडा कि ‘युवा’ फिल्म के काॅन्सेप्ट पर बात करने से दो दिन पहले अभिनेत्री अक्षरा सिंह (Akshara Singh) एक सशक्त नारी के रूप में नारी जागरण का बिगुल बजाते हुए हाथरस के अलावा हर जगह हो रहे बलात्कार की घटनाओं पर गुस्सा व्यक्त किया था. उस वक्त अक्षरा सिंह (Akshara Singh) ने अपने एक पुराने गीत की पंक्तियों को दोहराते हुए इन बलात्कारियों को ‘चैराहे पे गोली मारो..’’ की मांग करते हुए पटना की सड़कों पर पोस्टर भी लहराए थे. उस वक्त बलात्कार की घटनाओं पर अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए अक्षरा सिंह (Akshara Singh) ने कहा था- ‘‘ऐसी घटनाएं सिर्फ सरकार के स्तर पर खत्म नहीं हो सकती. इसके लिए समाज को भी आगे आना होगा. बेटों को भी समझाना होगा और मनचलों को सबक सिखाना होगा. फिर भी अगर कुछ नहीं होता है तो ‘चैराहे पे गोली मारो’.’’