Short Story : उषा को इस बात का मलाल था कि उस का पति किसान है. वह किसानी को गंवारों का काम समझती थी. उसे गांव में रहना बिलकुल पसंद नहीं था. उषा की सारी सहेलियां शहर में सैटल्ड थीं. जब वे बात करतीं तो शहर के मौल्स,मल्टीप्लेक्स, मार्केट आदि के बारे में तरहतरह की बातें बतातीं. उषा के पास बताने के लिए कुछ खास नहीं होता. खेत, बागबगीचे के बारे में बात करना वह अपनी तौहीन समझती थी.
अपनी सहेलियों में वह सब से सुंदर और तेजतर्रार थी. गोरा रंग, लंबी छरहरी काया और तीखे नैननक्श वाली उषा के पीछे कई लड़के फिदा थे.
शादी से पहले उषा का एक प्रेमी भी था. उषा के परिवार वालों को जब इस प्रेमलीला के बारे में पता चला, तो आननफानन ही उस की शादी एक संपन्न किसान परिवार में करा दी गई.
उषा को ससुराल में कोई कमी नहीं थी. उस का पति अमित उस की हर जरूरत का खयाल रखता था. उषा को भी अमित से कोई दिक्कत नहीं थी. बस उसे गांव का लाइफस्टाइल पसंद नहीं था. वह चाहती थी कि अमित भी शहर में सैटल्ड हो. दूसरी ओर अमित किसानी में कुछ नया करना चाहता था. इस बात को ले कर अकसर ही दोनों में कहासुनी होती रहती थी.
अमित उसे समझाता था, ‘‘उषा, शहर की जिंदगी में बहुत संघर्ष भरी है. वहां की रोशनी का अंधकार बेहद गहरा होता है.”
‘‘यहां की जिंदगी कौन सी बेहतर है? शहर में कम से कम अवसर तो मिलता है,’’ उषा अमित से बहस करती.
‘‘अवसर मिलता है, यह कहना आसान है. पर हकीकत इस से कोसों दूर है. मेरा एक दोस्त विनोद दिल्ली में नौकरी करता है. वह गांव आने वाला है. मैं तुम्हें उस से मिलवाऊंगा. वह तुम्हें शहर की सचाई बताएगा,’’ अमित ने कहा.
कुछ दिन बाद विनोद गांव आया. वह रंगीनमिजाज का बांका जवान था. वह जब भी गांव आता, घूमघूम कर गांव वालों पर रोब झाड़ा करता था. हालांकि अमित को उस की असलियत पता थी. उसे भरोसा था कि लंगोटिया यार होने के नाते विनोद उस की बीवी को सही सलाह देगा.
अमित ने विनोद को अपनी पत्नी उषा से मिलवाया. पहली ही नजर में विनोद उषा पर फिदा हो गया. विनोद ने गांवभर में ऐसी सुंदर औरत नहीं देखी थी. उषा की नशीली गहरी आंखें, गुलाबी होंठ और उफनती जवानी विनोद की आंखों में अटक गए. वह उषा को पाने के लिए बेचैन हो उठा. उषा भी विनोद की रंगीली पर्सनैलिटी पर रीझ गई. बातचीत के दौरान विनोद ने भांप लिया कि उषा गांव में खुश नहीं है और शहर में शिफ्ट होना चाहती है.
विनोद ने शहरी जीवन की चकाचौंध के सब्जबाग दिखा कर उषा पर डोरे डालने शुरू किए. अमित के घर पर न होने पर विनोद उषा से मिलने पहुंच जाया करता था. उषा को भी विनोद की लुभावनी बातें रास आने लगी थीं.
एक दिन दोपहर में उषा नहा कर बाथरूम से निकली ही थी कि विनोद पहुंच गया. उषा के खुले भीगे बाल और पेटीकोट में मचलती जवानी ने विनोद को मदहोश कर दिया. उस ने उषा को अपनी बांहों में भर लिया और बेतहाशा चूमने लगा. उषा भी मचल उठी. उस ने विनोद को अपने आगोश में भींच लिया.
जवानी के उफान में वे गोते लगाने लगे. फिर यह सिलसिला चल निकला. वे जिस्मानी संबंध बनाने का कोई मौका नहीं चूकते.
विनोद के दिल्ली लौटने की तारीख नजदीक आ रही थी. उषा विनोद के प्यार में सुधबुध खो चुकी थी. विनोद भी उषा को चाहने लगा था. दोनों ने शादी करने का फैसला किया. वे भाग कर दिल्ली आ गए.
विनोद दिल्ली में झुग्गी में रहता था. उषा ने जब झुग्गी में रहने से मना किया, तो विनोद ने झूठ बोला कि वह जल्दी ही बड़ा घर ले लेगा. थोड़े ही दिनों में विनोद की सचाई सामने आ गई.
विनोद सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था. उस की सैलरी इतनी नहीं थी कि किसी अच्छी जगह पर घर ले सके.
विनोद और उषा में अब हर रोज किसी न किसी बात पर झगड़ा होने लगा. गुस्से में आ कर विनोद उषा की पिटाई भी कर देता था. उषा के सारे अरमान बिखर गए. अब उसे अपनी गलती का एहसास हो रहा था.
विनोद के झांसे में आ कर उस ने जो कदम उठाए थे, उस के आगे अंधकार ही अंधकार दिख रहा था. उषा को अमित के साथ गुजारे दिन याद आ रहे थे.
अमित भले ही स्टाइलिश नहीं था, लेकिन सच्चा आदमी था. उस के प्यार और समर्पण में कोई संदेह नहीं था. उषा ने हिम्मत कर के अमित को फोन किया, ‘‘अमित मुझे माफ कर दो. प्लीज, मुझे अपने पास बुला लो,‘‘ उषा इस से ज्यादा कुछ कह न सकी.
‘‘उषा, तुम हमेशा से शहर और शहरी लोगों के साथ रहना चाहती थी. किस्मत से तुम्हें दोनों मिल भी गए. वहीं सदा खुश रहो,” कह कर अमित ने फोन रख दिया.
उषा निढ़ाल हो कर बिस्तर पर गिर पड़ी. उसे अपने बहके कदमों का हिसाब ताउम्र चुकता करना था.
लेखक – सुजीत सिन्हा