छत्तीसगढ़ की राजनीतिक फिजा में आजकल एक ही चर्चा सरगर्म है, अखबारों और सोशल मीडिया में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक सर्वे के अनुसार कांग्रेस के आलाकमान रहे राहुल गांधी से लोकप्रियता में आगे बताया गया है. यह समाचार और सर्वे की राजनीति किसी की समझ में आ रही है और किसी की नहीं. मगर असल किस्सा यह है कि भूपेश बघेल को एक मुख्यमंत्री के रूप में राहुल गांधी से लोकप्रियता में अव्वल बताने के पीछे बहुतेरे समीकरण हैं. हम आज यह सवाल उठाना चाहते हैं कि आखिर कोई मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकप्रियता के शिखर पर कैसे पहुंच जाता है. कोई सर्वे कंपनी रातों-रात सर्वे करके अपने बने बनाए खांचों को कैसे लोगों को परोसती है. और लोग बड़े आनंद के साथ उसे लुफ्त उठाते हुए सच मानने लगते हैं. मगर ऐसा कुछ भी नहीं होता. दरअसल, यह एक ऐसा मायाजाल है जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री और महत्वपूर्ण लोगों को फंसा कर पिंजरे में कैद कर लिया जाता है.यह सब क्या है? क्या है इसकी हकीकत और पर्दे के पीछे की कहानी  आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताने का प्रयास कर रहे हैं.

भूपेश पर डाला डोरा!

छत्तीसगढ़ के लगभग सभी प्रमुख दैनिक, सोशल मीडिया में, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  से जुड़ी एक खबर प्रकाशित हुई, जो आईएएनएस-सीवोटर के एक कथित अनसुने सर्वे से संबंधित थी. जिसमें बताया गया था कि एक सर्वे हुआ है जिसमें कांग्रेश के विभिन्न मुख्यमंत्रियों और राहुल गांधी के संदर्भ में जानकारी एकत्रित की गई तो यह तथ्य सामने आया है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राहुल गांधी से भी आगे निकलकर लोकप्रिय हो चुके हैं.

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बता दें कि, पूर्व सरकार के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह भी कई दफ़ा अव्वल घोषित हुए थे, परन्तु बुरी तरह चुनावी जन-परीक्षा में फेल हुए थे. तब ये भी भी सुगबुगाहट थी कि, ऐसे विभिन्न सर्वे, वजन आधारित करवाए जाते हैं.

बहरहाल, ये तब की बात थी, तथा जरूरी नहीं कि, अब भी ऐसा ही कुछ परदे के पीछे से हो रहा हो.

ऐसे में, इस बात पर गाल बजा सकते  हैं कि, जब मात्र लगभग डेढ़ साल में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल , सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्रियों में भी अव्वल हो चुके हैं, तो अवश्य ही आगामी एक-दो वर्षों में वे कांग्रेस के अखिल भारत स्तर पर सबसे लोकप्रिय व प्रभावशाली नेता के रूप में उभरेंगे. ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है, क्योंकि, कथित रूप से इतनी अल्प अवधि में, इन्होंने पंजाब के कैप्टेन अमरिंदर सिंह तथा राजस्थान के अशोक गहलोत को, इस कथित  सर्वे रिपोर्ट मे, बहुत  पीछे छोड़  दिया है.

ऐसे में, सवाल यह है  है कि,  आगामी 2-3 साल में अखिल भारतीय  राष्ट्रीय कांग्रेस की अगुवाई एक सामर्थवान छत्तीसगढ़िया नेता करेगा, यह  प्रदेश हेतु अति गौरव की बात होगी. इसलिए, तेज़ी से बढने वालों की टांग खीचने के स्थापित कांग्रेसी इतिहास के मद्देनज़र, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बेहद सावधान व सजग रहना होगा.

क्योंकि ऐसे सर्वे हमारी आज की आधुनिक व्यवस्था में होते रहते हैं. जो सिर्फ मुंह दिखाई के अलावा कुछ भी नहीं होते. इनका कोई आधार नहीं होता और अगर कोई इसे सच मान कर हवा में उड़ने लगे तो उसके पर कटना अवश्यंभावी है.

निपटाने का खेल 

ऐसे कथित सर्वे सुगबुगाहट  छोड़ कर चले जाते हैं और अंध भक्तों को ऐसा मसाला दे जाते हैं जिसे वे भज भज कर  खुश होते रहते हैं. छत्तीसगढ़ की जमीनी सच्चाई को जानने वाले यह सच्चाई जानते हैं कि भूपेश बघेल मुख्यमंत्री के रूप में देश के आला और अपनी पहचान बना चुके कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों और नेताओं के अभी बहुत पीछे हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह या अशोक गहलोत या अभी-अभी मध्य प्रदेश से हटाए गए कमलनाथ जैसे नेताओं के सामने भूपेश बघेल एक बेहद नए राजनीतिक खिलाड़ी हैं मगर इसके बावजूद सर्वे में बड़े मुख्यमंत्री कद के लोगों को पीछे दिखाकर सर्वे करने वालों ने एक मायाजाल बुनने की कोशिश की है. इंतिहा तब हो जाती है जब किसी को प्रसन्न करने अथवा निपटाने के लिए पार्टी के आलाकमान से भी आगे दिखा दिया जाता है. छत्तीसगढ़ में यह चर्चा अपने सबाब पर है कि इंद्रधनुषी सर्वे का मकसद आखिर क्या है?

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इस मसले पर कांग्रेस के एक सामान्य से कार्यकर्ता सलाह देते हुए कहते हैं मुख्यमंत्री को, इस प्रकाशित सुने-सुनाए सर्वे के आंकड़ों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है.

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