छत्तीसगढ़ कोरोना महामारी के समयकाल मे नशीले पदार्थों के स्वर्ग के रूप में बदल गया है. प्रदेश के गली कूचे और शहरों, कस्बों में चारों तरफ नशे का व्यापार खुलेआम चल रहा है. यह भूपेश बघेल की प्रशासनिक दक्षता पर यह एक प्रश्न लगाता है और बताता है कि किस तरह प्रशासन की घोड़े पर भूपेश बघेल की लगाम कितनी कितनी ढीली है. छत्तीसगढ़ में चाहे प्रतिबंधित गुटखा, तंबाकू हो या अवैध शराब सब कुछ धड़ल्ले से बिक रहा है. और यह सब इन दिनों मानो किसी नदी में आई बाढ़ की भांति बौराई हुई स्थिति में है.
आपको आश्चर्य होगा कि नशीले पदार्थों की बिक्री और कालाबाजारी सारी सीमाएं तोड़ चुकी है. 5 रूपये का गुड़ाखू यहां 30 रुपए में बिकता है. 30 रूपये का गुड़ाखू छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में 120 रूपये में बेचा जा रहा है. यही हाल विभिन्न कंपनियों के गुटखा आदि का भी हो चुका है. जिससे लोगों को एक तरह से लूटा जा रहा है.सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न तो यह है कि जब सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है तो यह गली गली में, दुकान दुकान में, अबाध गति से कैसे बेचा जा रहा है?
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दरअसल, जिस चीज पर सरकार की निगाहें इनायत अर्थात सरकार की गाज गिरती है, वह चीज ब्लैक में अवैध रूप से बिकने लगती है और भारी कीमत पर बिकती है और जिसे प्रशासन का पूरा संरक्षण रहता है.
ढीली घोड़े की लगाम
खाद्य पदार्थों के अवैध भंडारण, कालाबाजारी एवं बिक्री करने वालों पर प्रशासन सिर्फ दिखावे की कार्रवाई करता है. राजस्व, पुलिस, खाद्य और नगरीय निकायों के अधिकारी छत्तीसगढ़ के एक शहर मुंगेली के शिवाजी वार्ड में एक किराना स्टोर्स के गोदाम में दबिश देते हैं . दुकान से लगभग 30 लाख रूपये की अवैध रूप से भंडारित 48 बोरी (प्रति बोरी 200 पैकेट) राजश्री, गुटखा तंबाकू गुडाखू आदि जप्त होता है जो बताता है कि किस तरह शहरों में अवैध भंडारण जारी है और बिक्री की जा रही है. यह एक छोटा सा उदाहरण एक जिले की एक दुकान का है इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि छत्तीसगढ़ में हालात कितने गंभीर हो चुके हैं.
मुंगेली कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने निर्देश दिया की खाद्य पदार्थों के अवैध भंडारण, कालाबाजारी एवं बिक्री करने वालों के विरूद्ध राजस्व, पुलिस, खाद्य और नगरी निकायों के अधिकारियों द्वारा लगातार कार्रवाई की जाए . मगर अधिकारी भी तू डाल डाल मैं पात पात की तर्ज पर दिखावा कर रहे हैं . कृषि उपज मंडी में संचालित एक किराना स्टोर्स में छापा मारा गया. अधिकारियों ने शेखी बघारते हुए बताया कि यहां अधिक दर पर नमक बिक्री की शिकायत मिली थी. किराना स्टोर्स में अवैध रूप से भंडारित 81 बोरी नमक और मंडी गोदाम में भंडारित 47 बोरी नमक जब्त किया गया. दुकान सील कर दुकान संचालक के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की गई. मगर लाखों करोड़ों की आबादी में चंद दुकानों तक पहुंचकर अधिकारी वर्ग सिर्फ औपचारिकता ही पूरी कर रहा है जमीनी सच्चाई यह है कि गांव गली मोहल्लों में यह सब अपने उफान पर है. ऐसा प्रतीत होता है कि भूपेश बघेल का अंकुश भोथरा हो चुका है.
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एक नजीर यह भी
अधिकारियों द्वारा एक नमकीन फैक्टरी मे छापेमारी की कार्रवाई की गई. छापेमारी के दौरान फैक्टरी में सिलौनी निर्माण के लिए उनके कर्मचारी द्वारा बिना मास्क लगाये पैर से मैदा को मिलाया जा रहा था और सिलौनी को तला जा रहा था. फैक्टरी में साफ-सफाई का भी अभाव था. सिलौनी के पैकिंग में न ही निर्माण कम्पनी का नाम और न तिथि, वैधता तिथि और न ही दर का उल्लेख किया गया था. इनके विरूद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर वैधानिक कार्रवाई की गयी .
इसी तरह एक अन्य किराना स्टोर्स द्वारा टाटा नमक की खुदरा मूल्य 18 रूपये प्रति पैकेट को 60 रूपये प्रति पैकेट की दर से बेचा जा रहा था. इनके विरूद्ध भी कार्रवाई करते हुए 25 हजार रूपये की जुर्माना लगाया गया . एक एजेसीं द्वारा सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं करने पर एक हजार रूपये और छापामारी कार्रवाई के दौरान एक पान मसाला के दुकान में अवैध रूप से गुटखा और पान मसाला बिक्री करने पर 20 हजार रूपये की जुर्माना किया गया .
इसके अलावा नाप तौल विभाग द्वारा भी छापेमारी की कार्रवाई जारी है . छापेमारी के दौरान एक ट्रेडर्स द्वारा इलेक्ट्रानिक मशीन का सत्यापित नहीं करने पर उसके विरूद्ध दो हजार रूपये की जुर्माना किया गया. यह सब कार्रवाई बेहद अल्प रूप में हो रही है और अधिकांश जगह तो संबंधों व दबाव के कारण जुर्माना राशि वापिस भी की गई है. यही नहीं यह सत्य भी प्रकट हुआ है कि चंद दिनों में पांच लाख रुपए कमाने वाले पर अगर 20 हजार का जुर्माना लग गया तो वह खुश है. क्योंकि उसने लाखों रुपए तो कमा कर तिजोरी भर ही ली हैं.
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