यों तो घर की पहचान घर के मुखिया के नाम और काम से होती है, लेकिन बैतूल जिले के एक पनवाड़ी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह पूरी दुनिया के लिए एक दिन मिसाल बनेगा. उस की एक मुहिम ने बेटी को बतौर घर की मुखिया नई पहचान दी है. उस की अपनी बेटी आयुषी के नाम की प्लेट बेटियों की कोख में हत्या के लिए बदनाम राज्य हरियाणा में नया बदलाव लाएगी.

हरियाणा के पानीपत में ऐतिहासिक लड़ाई हुई थी. उसी पानीपत में ऐसे घरों की तलाश की गई, जिन के घरों में बेटियां हैं. उन घरों के मातापिता को ‘लाडो फाउंडेशन’ से जोड़ने के लिए अपने कार्यक्रम ‘डिजिटल इंडिया विद लाडो’ की जानकारी दे कर ऐसे लोगों की लिस्ट उन के सामने रख दी, जिन्होंने अपने या दादा के नाम की पहचान वाले घर को अपनी बेटी के नाम पर एक पहचान दी.

पानीपत के बाद कन्या भू्रण हत्या व बेटियों पर होने वाले जोरजुल्म के मामलों में बदनाम राजस्थान और पंजाब के शहरों की पहचान कर वहां पर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का संदेश पहुंचाने के लिए बेटियों के नाम के डिजिटल साइन बोर्ड लगवा कर इस मुहिम को शुरू करने वाले अनिल यादव पहलवान की ‘लाडो फाउंडेशन’ के तहत 5 नवंबर, 2015 को ‘डिजिटल इंडिया विद लाडो’ नामक मुहिम की शुरुआत की गई.

बढ़ता गया कारवां

अकसर कहा जाता है कि पान वाला चूना लगाने में ऐक्सपर्ट होता है. उस का लगाया चूना मुंह का स्वाद बना देता है और थोड़ी सी चूक हुई तो मुंह को जला भी देता है.

आदिवासी बहुल बैतूल जिला हैडक्वार्टर के बाशिंदे और 12वीं जमात तक पढ़ने के बाद बीते 20 सालों से वहीं पान की दुकान चलाने वाले अनिल यादव पहलवान ने बेटे और बेटी में फर्क समझने वालों और भू्रण हत्या करने वालों को अपनी इस मुहिम के जरीए पटकनी दे कर एक आदर्श मिसाल कायम की है. उन्होंने अपनी इस मुहिम में उन राज्यों को फोकस किया, जहां पर कन्या जन्म दर कम है. जहां बेटी का होना पाप माना जाता है, जहां पर अकसर कोख में ही कन्या भू्रण हत्या कर दी जाती है.

‘डिजिटल इंडिया विद लाडो’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह प्रदेश गुजरात का भरूच, राजस्थान का बारा जिला हैडक्वार्टर, पंजाब का अमृतसर जिला हैडक्वार्टर, दक्षिण भारत के केरल, उत्तर प्रदेश, रांची, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ का जिला दुर्ग, महाराष्ट्र का यवतमाल जिला, दिल्ली, बिहार का औरंगाबाद व ओडिशा तक शामिल रहा.

हरियाणा व राजस्थान के बाद अपने गृह प्रदेश में भोपाल, इंदौर, उज्जैन, रतलाम, जबलपुर, खंडवा, देवास, हरदा, होशंगाबाद, सीहोर, छिंदवाड़ा, खरगौन, ग्वालियर, सतना, सीधी, मंदसौर में भी लाडो फाउंडेशन के तहत तकरीबन 1,500 परिवारों के दरवाजे पर आप को ‘डिजिटल इंडिया विद लाडो’ की नेम प्लेट में उस घर की मुखिया के रूप में बेटी का नाम पढ़ने को मिल जाएगा.

ऐसी एक नेम प्लेट की लागत तकरीबन 70 रुपए आती है. 2,000 लोगों तक पहुंची इस मुहिम को उत्तर से दक्षिण तक तारीफ भी मिली.

बेटियों को मिला सम्मान

इस मुहिम की शुरुआत अनिल यादव पहलवान की बेटी आयुषी के जन्मदिन से हुई. बेटी ने जब पिता से सवाल किया कि क्या उस के घर के दरवाजे पर पिता की जगह उस का नाम लिखा पढ़ने को मिल सकता है?

अनिल यादव पहलवान ने अपनी बेटी की तरह पूरे देश की बेटियों को एक अनुपम भेंट दी और उस का नाम दिया, ‘डिजिटल इंडिया विद लाडो’.

इस मुहिम का असर हुआ कि बेटियों ने अपने पिता से जायदाद में नहीं, बल्कि सम्मान में अपना हक मांगा, जिसे स्वीकार करने वाले महज 4 साल में 2,000 लोग हो गए.

‘डिजिटल इंडिया विद लाडो’ से जुड़े केरल की आरापुरा तहसील चेंगनूर के गांव चेरीयनाड कोल्लागढ़ा के रजा थौमस और एलिजाबेथ ईसाई जोड़े ने अपनी दोनों बेटियों अक्जा व डेल्सी के नाम की नेम प्लेट अपने दरवाजे पर लगा दी है. अब रजा थौमस का घर उस की मुखिया अक्जा व डेल्सी थौमस के तौर पर पहचाना जाता है.

सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़े थौमस परिवार के एक दोस्त बैतूल के बाशिंदे मैथ्यू पौल ने वह नेम प्लेट केरल पहुंचाई तो थौमस ने नेम प्लेट लगाते हुए केरल से तसवीर भेजी.

सराहना मिली, सम्मान नहीं

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत दूसरे राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्रियों ने इस मुहिम की तारीफ की. अनिल यादव पहलवान द्वारा खुद के खर्चे पर बना कर दी जाने वाली नेम प्लेट राज्य सरकार की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ मुहिम में मददगार साबित हो रही है, लेकिन प्रदेश की सरकार ने सम्मानपत्र देना तो दूर, एक पत्र तक नहीं लिखा.

इस समय बैतूल जिले के अनिल यादव पहलवान साल 2015 से ले कर आज तक इन नेम प्लेटों पर तकरीबन डेढ़ लाख रुपए खर्च कर चुके हैं, जबकि उन की पान की दुकान है. वे अपनी जेब से हर साल 20,500 रुपए इस काम  के लिए रखते हैं, ताकि कई चेहरों पर मुसकराहट लाई जा सके. यही वजह है कि गांवों से ले कर शहरों तक घरमकानबंगले को भी बेटी के नाम से पहचान मिलने लगी है और अनिल यादव पहलवान के साथ कारवां यों ही बढ़ता चला जा रहा है.

मिलेगा ताप्ती सम्मान

नदीनारी के मानसम्मान के लिए प्रदेश में मुहिम बनी मां सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति ताप्ती जन्मोत्सव पर साल 2020 का ताप्ती सम्मान अनिल यादव पहलवान को देगी.

इस समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता किशोर साहू व मीडिया प्रभारी रविंद्र मानकर ने इस बारे में ऐलान करते हुए उन की इस मुहिम की खुल कर तारीफ की है. यह समिति ऐसे लोगों को ताप्ती जन्मोत्सव व  दूसरे मौकों पर ताप्ती सम्मान से सम्मानित करती है, जो बेटी, नदी, नारी के रक्षक बन कर सामने आते हैं.

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