दिल्ली चुनाव के लिए मतदान होने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा. इन चुनावों में कांग्रेस कहीं भी नजर नहीं आ रही है. लड़ाई आप और बीजेपी के बीच है. इन चुनावों की घोषणा हुई तो लोगों ने कहा कि इस बार तो केजरीवाल ही सरकार बनाएगा. उसके पीछे का कारण है दिल्ली में विकास. सीएम केजरीवाल अब तो मंजे हुए नेता बन गए हैं लेकिन जब वो सीएम के पद पर बैठे थे तब वो राजनीति के दांव-पेंच से वाकिफ़ नहीं थे. फिर भी दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य पर अच्छा काम किया. इसके अलावा 200 यूनिट तक बिजली फ्री और पानी भी फ्री. इससे जनता को बहुत बड़ी राहत मिली. चुनाव आते-आते महिलाओं के लिए डीटीसी बस सेवा को भी मुफ्त कर दिया गया. ये भी सोने पर सुहागा.

इन सब कामों के आगे ‘रिंकिया के पापा’ की एक नहीं चल पा रही. सभी सर्वे एक सुर में यही कह रहे थे कि इस बार भी केजरीवाल को 60 से ऊपर सीटें मिलेंगी. फिर बीजेपी ने अपनाया अपना ब्रम्हास्त्र रूपी राष्ट्रवाद. दिल्ली में बीजेपी 2500 से ज्यादा छोटी बड़ी रैली कर चुकी है. गृह मंत्री अमित शाह दिल्ली में शाहीन बाग का मसला बार-बार उठा रहे हैं. शाहीन बाग में लोग सीएए-एनआरसी के विरोध में पिछले 50 दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं. बीजेपी ने दिल्ली के चुनाव इसी पर केंद्रित कर दिया है.

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भाजपा की हताशा इसी बात से समझ लीजिए कि अब तक जो पार्टी विकास-विकास का राग अलापती थी वो अब शाहीन बाग-शाहीन बाग चिल्ला रही है. भाजपा ने शाहीन बाग को ही चुनावी मुद्दा बना लिया है और वो काफी हद तक इसमें कामयाब भी होती दिख रही है लेकिन इससे चुनाव जीत लिया जाएगा ये कहना मुश्किल होगा. दिल्ली में भले ही केजरीवाल की सरकार हो लेकिर यहां की पुलिस तो केंद्र सरकार के अंडर में हैं. केंद्र में मोदी सरकार और इस सरकार के गृह मंत्री हैं अमित शाह. शाह खुद कई जगह भाषणों में शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को कोसते रहते हैं लेकिन जब यहां की पुलिस आपके अंडर है तो फिर आप क्यों नहीं उठवा देते. लेकिन वो ऐसा नहीं करेंगे.

भाजपा नेता और वित्त राज्य मंत्री ने बयान दिया ‘देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को’. जिसके बाद एक नाबालिग युवक ने उसी दिन गोली चलाई जिसदिन नाथूराम गोडसे ने बापू को गोली मारी थी. गोली मारी गई जामिया के पास. पहले जामिया में गोली चली, फिर शाहीन बाग में और अब फिर से जामिया में. पहले गोली चलाने वाले दोनों ही लड़के कोई पेशेवर अपराधी नहीं हैं. उनके नाम कोई पुराना अपराध का रिकॉर्ड नहीं है. अब दोनों ही अपराधी हैं और भारत के भविष्य भी. एक नाबालिग है जबकि दूसरा भी महज 25 साल का. रविवार रात को हुई तीसरी घटना में उन दो स्कूटी सवारों की तलाश है, जो फायरिंग कर भाग निकले. इस तीसरी घटना को अंजाम देने वालों की सोच भी पहले दो से अलग होगी, ऐसा लगता नहीं.

शाहीन बाग में फायरिंग करने वाला कपिल कहता है कि इस देश में सिर्फ हिन्दुओं की चलेगी, किसी और की नहीं. जामिया में गोली चलाने वाला नाबालिग भगवान राम की भक्ति के लिए नहीं, बल्कि हिंसक भावावेश के साथ ‘जय श्री राम’ के नारे लगाता है. नागरिकता कानून के विरोधियों को गोली मारकर ‘आजाद’ कर देने की बात करता है. ये सब क्यों हो रहा है इसके पीछे महज एक ही कारण है कि इन लोगों के दिलों पर महज नफरत भर दी गई है.

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फिजूल की बातें हैं. गलत आरोप हैं. जामिया के गोलीबाज को किसी ने कट्टा नहीं थमाया. शाहीन बाग के सिरफिरे को भी किसी ने हथियार नहीं दिया. शरजील को भी किसी राजनीतिक दल ने एएमयू में दिया उसका भाषण लिखकर नहीं दिया. मुंबई के आजाद मैदान में शरजील के समर्थन में नारे किसी राजनीतिक खेमे ने नहीं लगवाए. हमारे राजनीतिक दल और नेता इतनी टुच्ची बातें और काम नहीं करते. वे तो एक साथ लाखों लोगों पर असर डालने वाले प्रपंच करते हैं. फिर उसी असर में कोई शरजील देश विरोधी नारे लगाता है, तो कोई सिरफिरा (वस्तुत: बेचारा) शाहीन बाग या जामिया में कट्टा लहराता है.

अब भाजपा दिल्ली के हर तबके को साधना चाहती है. इसके लिए पार्टी अध्यक्ष ने नेताओं की फौज इकट्ठा कर दी है. इन नेताओं को वहां-वहां भेजा जा रहा है जहां की जनता या तो उनको पहचानती है या फिर उनका क्षेत्रीय या जातीय रिश्ता हो. दिल्ली में बिहार से आए लोगों की संख्या खूब है इसलिए नीतीश कुमार ने यहां की जनता को लुभाया. उसके बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ तो हैं हीं स्टार और फायरब्रांड नेता. वो दिल्ली क्या पूरे देश में कहीं भी चुनाव होता है तो बीजेपी उनको भेजती है. दिल्ली में पूर्वांचली और जाटों के बाद दक्षिण भारत के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है. तकरीबन 12 लाख मतदाता दक्षिण भारत के बताए जा रहे हैं. ऐसे में इन बिखरे हुए वोटरों को साधने के लिए भाजपा ने दक्षिण भारत के अपने 42 सांसदों के साथ लगभग 100 बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है.

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