डाक्टर के क्लिनिक से बाहर आते ही शरद के कदम लड़खड़ा गए. एक पल के लिए उसे लगा, जैसे उस की आंखों के आगे अंधेरा छा गया हो. किसी तरह से अपनेआप को संभाल कर उस ने दीवार का सहारा लिया और थोड़ी देर वैसे ही खड़ा रहा.