श्री को अपनी गृहस्थी में रमा देख रजनी को अच्छा जरूर लग रहा था लेकिन एक टीस रहरह कर उस के दिल में उठ रही थी. जो कुछ हुआ उस के लिए श्री को वह किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती थी. गलती तो उन्हीं से हुई थी जिसे ताउम्र उन्हें ही भुगतना था.