मामला 1
14 मई, 2019 को इंदौर शहर में एक औरत के आपरेशन में डाक्टरों ने उस के प्राइवेट पार्ट से मोटरसाइकिल का एक पार्ट निकाला, जो बच्चेदानी और पेशाब की थैली के बीच में फंसा था.
पार्वती (बदला नाम) इंदौर के स्कीम नंबर 71 में अपने पति प्रकाश भील के साथ एक झुग्गी में रहती थी. वे दोनों मेहनतमजदूरी कर के अपना और अपने 6 बच्चों का पेट पाल रहे थे.
बात अब से तकरीबन 2 साल पहले की है जब एक रात उन दोनों में जम कर झगड़ा हुआ. झगड़े की वजह थी पार्वती का शक कि प्रकाश के किसी औरत से नाजायज संबंध हैं.
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जैसे ही पार्वती ने इस बात पर एतराज जताया तो ‘तूतू मैंमैं’ शुरू हो गई जो झगड़े में तबदील हुई तो गुस्साए प्रकाश ने पार्वती के प्राइवेट पार्ट में बेरहमी से मोटरसाइकिल का क्लच लीवर घुसेड़ दिया.
उस समय चूंकि प्रकाश के साथसाथ पार्वती ने भी शराब पी रखी थी, इसलिए उसे दर्द महसूस नहीं हुआ और वह सो गई. लेकिन दर्द दूसरे दिन भी बरकरार रहा तो वह घबरा गई. बात कुछ ऐसी थी कि किसी को बताते हुए भी उसे शर्म आ रही थी.
इस शर्म का खमियाजा पार्वती दर्द की शक्ल में 2 साल झेलती रही, लेकिन 12 मई, 2019 को जब दर्द बरदाश्त के बाहर हो गया तो वह एमवाई अस्पताल गई जहां ऐक्सरे होने पर पता चला कि उस के प्राइवेट पार्ट के भीतर कोई भारीभरकम चीज घुसी हुई है.
पार्वती ने डाक्टरों को 2 साल पहले का सच बताया तो वे दहल गए और उसे पहले पुलिस में रिपोर्ट करने का मशवरा दिया. प्रकाश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने के बाद डाक्टरों ने आपरेशन कर उस के प्राइवेट पार्ट से 9 सैंटीमीटर लंबा और 3 सैंटीमीटर चौड़ा मोटरसाइकिल का क्लच लीवर निकाला.
एमवाई अस्पताल की औरतों की नामी डाक्टर सोमेन भट्टाचार्य समेत डेढ़ दर्जन डाक्टरों की टीम ने इस आपरेशन को अंजाम दिया तब कहीं जा कर पार्वती की जान बच पाई.
मामला 2
दूसरा हादसा भोपाल के हनुमानगंज थाने के हमीदिया रोड का है. 13 मई, 2019 की सुबह निशा (बदला नाम) जब काम पर जा रही थी तो उस के पति रामप्रकाश ने उस पर तेजाब से हमला कर दिया. इस तेजाबी हमले में निशा बुरी तरह झुलस गई और राहगीरों ने आटोरिकशा में ले जा कर उसे हमीदिया अस्पताल में भरती कराया.
जिस भीड़ ने पति को पकड़ा, उसे नहीं मालूम था कि मामला क्या है. लिहाजा, उन्होंने रामप्रकाश को लुटेरा समझ कर तबीयत से धुन दिया जिस से वह भी अधमरा हो गया. निशा की छाती, पीठ और गरदन बुरी तरह झुलस गई थी.
जब थाने में मामला दर्ज हुआ तब पता चला कि 38 साला रामप्रकाश एक होटल में खाना बनाने का काम करता था. उस ने तकरीबन 15 साल पहले निशा से लव मैरिज की थी और दोनों के 3 बच्चे थे.
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कुछ दिनों से रामप्रकाश को शक हो गया था कि निशा के एक बैंक मुलाजिम से संबंध हैं तो उस ने बीवी के साथ मारपीट शुरू कर दी.
रामप्रकाश आदतन शराबी था. जब रोजरोज की कलह और मारकुटाई निशा की बरदाश्त से बाहर होने लगी तो वह रामप्रकाश से अलग हो कर द्वारिका नगर महल्ले में किराए का मकान ले कर रहने लगी.
लेकिन रामप्रकाश ने वहां भी निशा का पीछा नहीं छोड़ा. वह अकसर वहां पहुंच कर पत्नी को मारता था.
तंग आ कर निशा ने वकील के जरीए उसे तलाक का नोटिस भिजवा दिया तो रामप्रकाश आगबबूला हो गया. इस से उस का शक और पुख्ता हो गया.
तलाक के नोटिस को भी उस ने अपनी बेइज्जती समझा. लिहाजा, हादसे वाले दिन वह स्टील के बरतन में तेजाब ले कर बस स्टौप पर निशा का इंतजार करने लगा और जैसे ही वह आई तो उस पर तेजाब उड़ेल दिया.
प्रकाश की तरह रामप्रकाश भी जेल में है. अपने बयान में उस ने पुलिस को बताया कि उस का इरादा तो पत्नी को मार डालने का था, लेकिन वह बच गई.
मामला 3
सुनील (बदला नाम) अपनी पत्नी ज्योति (बदला नाम) के साथ शराब के नशे में मारपीट करता था. उसे भी पत्नी के चालचलन पर शक था.
पत्नी पुलिस वाली हो तो उस के साथ जरूरत से ज्यादा मारपीट करना मुमकिन नहीं रह जाता, इसलिए सुनील ने दूसरा तरीका अपनाया. उस ने ज्योति के पर्सनल फोटो सोशल मीडिया पर शेयर कर दिए थे. इस से ज्योति का किसी को मुंह दिखाना दूभर हो गया तो उस ने झक मार कर कमला नगर थाने में सुनील की इस करतूत की रिपोर्ट लिखाई.
सुनील भी प्रकाश और रामप्रकाश की तरह जेल में बंद है.
तीसरे का रोल अहम
तीनों ही मामलों में एक बात समान है कि पतिपत्नी के बीच कोई तीसरा या तीसरी थी जो पत्नी की ही ऐसी गत की वजह बने. इस में नुकसान भी पत्नी का ही हुआ जिस पर यह कहावत लागू होती है कि छुरा खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरे पर कटना तो खरबूजे को ही पड़ता है.
शुरू के 2 मामलों में तीसरे या तीसरी की ऐंट्री शादी के कई साल बाद हुई जबकि तीसरे मामले में तीसरे को आए ज्यादा दिन नहीं हुए थे यानी शक इस तरह की वारदातों की बड़ी वजह है जिस के चलते पतिपत्नी रोज झगड़ते हैं, फिर एक दिन पति अपनी मर्दानगी दिखा ही देता है. इस के बाद वह अपने अंजाम और बच्चों की जिंदगी की भी परवाह नहीं करता है.
शादीशुदा जिंदगी में कोई पति या पत्नी यह बरदाश्त नहीं कर पाते हैं कि उन के पार्टनर के कहीं और संबंध बनें तो यह हक कम पार्टनर का आदी हो जाना ज्यादा है. पार्टनर का अलग कहीं संबंध बना लेना कोई नई बात नहीं है और इस में पत्नियां भी पीछे नहीं रहती हैं.
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लेकिन अफसोस की बात यह कि पिटती हमेशा पत्नी ही है क्योंकि औरत होने के नाते वह कुदरती तौर पर कमजोर होती है और घर के बाहर उस का कोई सहारा आमतौर पर नहीं होता है.
पुलिस में जाना भी इस समस्या का हल नहीं है क्योंकि पुलिस वाले जब तक कोई बड़ी वारदात न हो तब तक पतिपत्नी के बीच दखल नहीं देते हैं.
जाएं तो जाएं कहां
निशा ने सही कदम उठाया था लेकिन अलग होने के बाद भी पति उस का पीछा नहीं छोड़ रहा था. शादी के
5-6 साल बाद अगर पतिपत्नी में झगड़े होते हैं और पत्नी अलग रहने का फैसला लेती है तब उस का साथ कोई नहीं देता और कोई देता भी है तो उस की कीमत वसूलता है.
पत्नियां अगर मायके में जा कर रहें तो वहां भी बोझ समझी जाती हैं और उन्हें अपने ही घर में नौकरों की तरह काम करना पड़ता है.
फिर पति की मारकुटाई की सताई औरतें जाएं तो जाएं कहां? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है और इस का फायदा ही पति उठाते हैं.
नौबत या बात जब जान लेने और देने तक आ जाए तब जरूर पत्नियों को संभल जाना चाहिए और यह समझना चाहिए कि रोजरोज एक ही मसले पर कलह किसी के लिए ठीक नहीं, इसलिए कलह की वजह कुछ भी हो, पति के मुंह ज्यादा नहीं लगना चाहिए. खासतौर से उस वक्त, जब वह शराब के नशे में हो.
तो क्या फिर पत्नियां यों ही पिटती रहेंगी या फिर पति की हैवानियत का शिकार होती रहेंगी? इस सवाल का जवाब बड़े अफसोसजनक ढंग से हां में ही निकलता है, क्योंकि समाज मर्दों का है, घर के मुखिया वे ही होते हैं और पत्नी जब ज्यादा खिलाफत या कलह करती है, तो उसे मारने तक उतारू हो आते हैं.
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चिंता की बात हैवान शौहरों की तादाद में इजाफा होना है. रोज हजारों पार्वती, निशा और ज्योति शौहर की हैवानियत का शिकार हो रही होती हैं, लेकिन कड़वा सच यही है कि वे जाएं तो जाएं कहां?