पूर्व कथा

टीना और नरेश की शादी की सभी रस्में पूरी हो जाती हैं. विदाई के समय उस की मां केवल उसे अपना ध्यान रखने की सलाह देती है.

एक विवाह समारोह में नरेश की मां खूबसूरत टीना को देखती है और बहू बनाने का फैसला कर लेती है. 6 माह के अंदर नरेश और टीना की शादी हो जाती है.

शादी के बाद भी टीना मांमां की रट लगाए रहती है ससुराल में सभी लोग उसे बहुत प्यार करते हैं लेकिन टीना बड़ी बेरुखी से उन के साथ पेश आती है और नरेश से मायके जाने की जिद करती है? टीना के घर जा कर नरेश को यह एहसास होता है कि उस के घर में मां का राज है पिता को कोई पूछता भी नहीं.

शादी के कुछ ही हफ्तों में नरेश टीना की असलियत समझ जाता है कि टीना की गृहस्थी के कामों में कोई रुचि नहीं है बल्कि बातबात पर वह उस से लड़ने के बहाने ढूंढ़ती है और नाराज हो कर आत्महत्या की धमकी देने लगती है.

टीना अपनी ससुराल और नरेश से जुड़ी हर बात की खबर अपनी मां को देती है और वह भी टीना को सही सलाह देने के बजाय नरेश पर नजर रखने को कहती है अब आगे...

अंतिम भाग

कहानी द्य डा. के. रानी

गतांक से आगे...

टीना ने महसूस किया कि नरेश कुछ दिनों से खोयाखोया सा रहता है. पत्नी की इच्छा के खिलाफ उस ने कभी मांबाप से मिलने की इच्छा जाहिर नहीं की. उसे यकीन था उस का प्यार और धैर्य एक दिन टीना को बदल देगा. लेकिन एक साल गुजर गया पर टीना के व्यवहार में कोई फर्क न था. अपनी सास से वह नरेश के अनुरोध पर 10-15 दिनों में एकआध मिनट के लिए बात कर लेती. हां, अपनी मम्मी से सुबहशाम नियम से बात करना वह कभी न भूलती.

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