बीमार पति की तीमारदारी करते हुए रत्ना को कठोर यंत्रणा से गुजरना पड़ रहा था. ऊपर से सास के टोनेटोटके उस को आहत तो करते पर मजबूत इरादे वाली रत्ना की बस, एक ही जिद थी.