अगर कोई छरहरे बदन की खूबसूरत बिंदास लड़की कहे कि आज से 3 साल पहले उस के भाईबहन उसे ‘मोटी’ कह कर चिढ़ाते थे और जब वे सलाह देते थे कि इतना मत खाया कर तो वह और ज्यादा खाती. हैल्दी तो छोडि़ए, पेट भर कर जंक फूड. शराब पीने का शौक नहीं था, बल्कि लत लग गई थी उसे, तो आप यकीन नहीं करेंगे कि आज वही लड़की जिम में ऐक्सरसाइज कर के सिक्स पैक ऐब्स बना चुकी?है. इतना ही नहीं, आज वह लड़की भारत की पहली महिला नैचुरल बौडी बिल्डिंग यूनियन इंटरनैशनल प्रो कार्ड होल्डर बन गई है. प्रो कार्ड होल्डर होने का मतलब है कि वह प्रोफैशनल बौडी बिल्डिंग कंपीटिशन में भारत की नुमाइंदगी कर सकती है.
जी हां, हम बात कर रहे?हैं एक नामी फैशन डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट में डिजाइन टीचर मधु प्रिया झा की जिन्होंने अपने मोटापे की निशानी 85 किलो वजन को अपनी कड़ी मेहनत से 50 किलो कर लिया?है. पर यह सब करना इतना आसान नहीं था जितना दिख रहा है.
बिहार के मिथिलांचल इलाके की मधु प्रिया झा का जन्म और पढ़ाईलिखाई पटना में हुई है. उन के पापा अशोक कुमार झा बिहार सरकार के बाल विभाग से डिप्टी सैक्रेटरी पद से रिटायर हो चुके हैं जबकि मां निभा झा हाउस वाइफ हैं.
चूंकि मधु प्रिया झा पहले भारी शरीर की थीं और खाती भी खूब डट कर थीं तो उन की बड़ी बहन और छोटे भाई को उन्हें चिढ़ाने का अच्छा मौका मिल जाता था. इस बारे में मधु प्रिया झा ने बताया, ‘‘यह सारा बदलाव पिछले 3 साल में हुआ है. मैं तब मोटी थी और अपने उस मोटापे से प्यार करती थी. मेरा छोटा भाई मुझे ‘हाथी’ कहता था तो बड़ी बहन अपने स्टाइल में मेरी क्लास लेती थीं, पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था.
‘‘वे दोनों जितना ज्यादा कहते मैं उतना ज्यादा खाती. बाद में शराब पीने लगी और धीरेधीरे मैं एल्कोहोलिक हो गई. ‘‘शरीर बेडौल हुआ तो उस के बुरे नतीजे भी सामने आने लगे. थोड़ा सा चलते या सीढि़यां चढ़ते ही मेरी सांसें फूल जाती थीं. पीठ में भी दर्द रहने लगा था.
‘‘परिवार वालों को चिंता हुई तो उन्होंने जबरदस्ती जिम में भेज दिया. एक साल की फीस जमा करा दी और कहा कि अब कुछ भी हो जाए तुझे जाना ही पड़ेगा. ‘‘मैं न चाहते हुए भी जिम गई. कोच को दिखाने के लिए पहले दिन थोड़ा वार्मअप किया पर मैं उस में ही बहुत ज्यादा थक गई.
‘‘पार्टी में जाने की शौकीन थी तो अगले दिन जिम जाने के बजाय दोस्तों के साथ मस्ती मारने चली गई.’’ तो उस के बाद जिम नहीं गईं? इस सवाल पर मधु प्रिया झा ने बताया, ‘‘गई थी. जिम के ट्रेनर बड़े नाखुश थे. उन्होंने कहा कि तुम मुझे अपने 21 दिन दे दो. अगर उन 21 दिनों में तुम्हें अपने शरीर में कोई बदलाव महसूस नहीं हुआ तो मैं तुम्हें एक साल की पूरी फीस लौटा दूंगा. ‘‘मेरे लिए इस से अच्छी बात और क्या हो सकती थी. सोचा कि 21 दिन के बाद तो पार्टी ही पार्टी. पर मैं गलत थी, क्योंकि उन 21 दिनों ने मेरी जिंदगी बदल दी.
‘‘जिम में जाने से मेरा वजन कम होता दिखा. थकावट कम रहती थी. हां, शरीर में दर्द रहने लगा था, पर आप उसे ‘मीठा दर्द’ कह सकते?हैं, जिस से अब मैं प्यार करने लगी हूं. अगर अब मैं जिम में पसीना न बहाऊं तो लगता है जैसे मैं ने कुछ खो दिया है.’’
मधु प्रिया झा ने साल 2018 में पहली बार किसी बौडी बिल्डिंग कंपीटिशन में हिस्सा लिया था. इस के लिए वे अपने फिटनैस ट्रेनर रजत गोयल और बिंदिया शर्मा का शुक्रिया अदा करती हैं जिन्होंने उन्हें इस काम के लिए बढ़ावा दिया. मधु प्रिया झा ने बताया, ‘‘मैं मई, 2018 में नोएडा में हुए फिटलाइन क्लासिक फिटनैस कंपीटिशन के फाइनल में पहुंचने में कामयाब हुई थी. वहां %E