उस कोठे पर जो भी आता, शमा उस से यही उम्मीद लगाए रखती कि वह उस की मदद करेगा और उसे वहां से निकाल कर ले जाएगा. मगर कोई उस की फिक्र नहीं करता था और अपना मतलब निकाल कर चला जाता था. एक दिन शमा की कोठेदारनी चंद्रा को उस के भाग निकलने की योजना का पता चल गया.

‘‘अगर तू ने यहां से निकल भागने की कोशिश की, तो मैं तुझे काट डालूंगी. अरी, एक बार जो धंधे वाली बन जाती है, उसे तो उस के घर वाले भी वापस नहीं लेते हैं,’’ चंद्रा ने गुस्से में उबलते हुए कहा. शमा के कमरे से थोड़ी दूरी पर एक पान की दुकान थी. वह उस दुकान पर अकसर जाती थी.

एक दिन शमा ने पान वाले से कहा, ‘‘भैया, आप ही मुझे यहां से निकलवा दीजिए. मैं तवायफ नहीं हूं, मजबूरी में फंस कर यह सब…’’ पान वाले ने कहा, ‘‘मेरी इतनी ताकत नहीं है कि मैं तुम्हें यहां से निकलवा सकूं. हां, मेरे पास कमल और आरिफ आते हैं, वे तुम्हारी मदद जरूर कर सकते हैं.’’

शमा ने जब आरिफ और कमल का नाम सुना, तो उसे कुछ उम्मीद नजर आई. अब उस की आंखें हर पल आरिफ और कमल का इंतजार करने लगीं. एक शाम को आरिफ और कमल पान की दुकान पर आए, तो शमा भी दुकान पर पहुंच गई.

शमा बगैर किसी हिचक के उन से फरियाद करने लगी, ‘‘भैया, मैं तवायफ नहीं हूं. मैं यहां से निकलना चाहती हूं. आप ही मुझ बेसहारा, मजबूर लड़की की मदद कर सकते हैं. मैं आप के पास बहुत उम्मीद ले कर आई हूं.’’ ‘‘हम इस बारे में सोच कर बताएंगे,’’ कमल ने शमा को तसल्ली देते हुए कहा.

वहां से लौट कर उन दोनों ने आपस में बातचीत की और एक योजना बनाई. फिर कमल ने कोठे के एक दलाल से शमा को एक रात के लिए अपने पास रखने की बात की. दलाल ने जितनी रकम बताई, कमल ने फौरन अदा कर दी और उसे जगह बता दी.

वह आदमी उस महल्ले का काफी पुराना और भरोसेमंद दलाल था. हर कोठेदारनी उस पर भरोसा कर के उस के साथ लड़कियों को महल्ले से बाहर भेज देती थी. चंद्रा भी इनकार न कर सकी और रकम रखते हुए बोली, ‘‘तड़के ही शमा को वापस ले आना.’’

‘‘ठीक है,’’ दलाल ने अपनी मोटी गरदन हिलाते हुए कहा. रात को वादे के मुताबिक वह दलाल शमा को ले कर कमल के बताए पते पर पहुंच गया.

शमा ने जब वहां आरिफ और कमल को देखा, तो वह अपने बुलाए जाने का मकसद समझ गई और मन ही मन खुश हो गई. शमा को वहां छोड़ कर जब वह दलाल चला गया, तब आरिफ और कमल ने उस से अपने बारे में सबकुछ बताने को कहा.

शमा ने आराम से बैठते हुए बोलना शुरू किया, ‘‘साहब, मैं पश्चिम बंगाल की रहने वाली हूं. वहां मेरे पिता का अच्छा कारोबार है. मेरे 3 भाई और एक बहन है. भाइयों के भी अच्छे कारोबार हैं. बहन की शादी हो चुकी है. ‘‘कुछ महीने पहले हमारे घर में शीला नाम की एक औरत किराए पर रहने आई थी. कुछ ही दिनों में वह हमारे परिवार से घुलमिल गई थी. हम सब बच्चे उसे आंटी कह कर बुलाते थे.

‘‘एक शाम को मैं स्कूल से आ रही थी. एक सुनसान जगह पर एक गाड़ी आ कर मेरे पास रुकी. कुछ गुंडों ने मुझे उस गाड़ी के अंदर खींच लिया. इस से पहले कि मैं कुछ बोल पाती, मेरे मुंह पर कपड़ा बांध दिया गया. इस के बाद मैं बेहोश हो गई. ‘‘जब मुझे होश आया, तो मैं ने वहां शीला आंटी को देखा. उसे देख कर मैं हैरान रह गई.

‘‘मुझे यह समझते देर न लगी कि इसी औरत ने मुझे अगवा कराया है. रात को शीला और उस के एक साथी ने मुझे जिस्मफरोशी के लिए मजबूर किया. ‘‘अगर मैं उन की किसी बात से इनकार करती थी, तो वे चाकू से मेरे जिस्म को हलका सा काट कर उस में मिर्च भर देते थे, ताकि मैं इस धंधे में उतर आऊं.

‘‘साहब, वहां मेरी चीखें सुनने वाला भी कोई नहीं था. वे मुझे बहुत मारते थे,’’ कहतेकहते शमा रो पड़ी. शमा की दर्दभरी कहानी सुन कर कमल और आरिफ ने उस की हिम्मत की दाद दी.

‘‘शमा, हम तुम्हारी पूरी मदद करेंगे, लेकिन तुम इस राज को अपने तक ही रखना,’’ आरिफ ने कहा. सुबह होते ही वह दलाल वहां आ गया और शमा को ले गया.

कमल और आरिफ कुछ लोगों की मदद से एक पुलिस अफसर से मिले और उन को शमा के बारे में पूरी जानकारी दी. उन की बातें सुन कर पुलिस अफसर ने कहा, ‘‘ठीक है, हम छापा मार कर लड़की को वहां से निकालते हैं.’’

पुलिस कोठे पर छापा मार कर शमा के साथ चंद्रा और कई दलालों को पकड़ लाई. थाने में आ कर पुलिस अफसर ने शमा से पूछताछ शुरू की. इस पर शमा ने पुलिस अफसर को जो बताया, उसे सुन कर आरिफ और कमल के होश उड़ गए. उस ने बयान दिया, ‘‘साहब, मैं एक तवायफ हूं और अपने मरजी से यह धंधा करती हूं.’’

शमा का बयान सुनने के बाद पुलिस अफसर ने कमल और आरिफ को डांटते हुए कहा कि दोबारा इस तरह पुलिस को परेशान करने की कोशिश की, तो बहुत बुरा होगा. उन्होंने शमा को चंद्रा के साथ भेज दिया. कई दिन बाद कमल जब उसी गली से गुजर रहा था, तब शमा उसे रोक कर रोने लगी. वह बोली, ‘‘चंद्रा को हमारी योजना पता लग गई थी. उस ने अपने कुछ आदमियों से मुझे बहुत पिटवाया था, इसलिए मैं डर गई थी. लेकिन साहब, मैं अब भी यहां से किसी भी तरह निकलना चाहती हूं.’’

‘‘मैं तुम्हें एक मौका और दूंगा. अगर निकल सकती हो, तो निकल जाना, वरना जिंदगीभर यहीं जिस्मफरोशी करती रहना,’’ कमल ने गुस्से में कहा. ‘‘इस बार आप जैसा कहेंगे, मैं वैसा ही करूंगी,’’ शमा ने हाथ जोड़ते हुए कहा. जब कमल ने आरिफ से कहा, तो वह बोला, ‘‘कमल, हमें यह काम अब अकेले नहीं करना चाहिए. हमें अपने कुछ और दोस्तों की मदद लेनी चाहिए. मामला कुछ पेचीदा नजर आ रहा है.’’

कमल और आरिफ अपने एक दोस्त असद खां से मिले. असद खां का उस इलाके में काफी दबदबा था. वह जब उस गली से गुजरता था, तो सारी तवायफें उस के खौफ से अपने दरवाजे बंद कर लेती थीं. कमल ने असद खां को शमा के बारे में बताया. उस की सारी बातें सुन कर वह भी संजीदा हो गया और बोला, ‘‘पहले मैं उस लड़की से बात करूंगा, उस के बाद कोई फैसला लूंगा.’’

अगले दिन असद खां अपने कुछ साथियों के साथ उस कोठे पर पहुंच गया. असद खां को देखते ही महल्ले में भगदड़ सी मच गई. सारी तवायफें अपनेअपने कोठे के दरवाजे बंद करने लगीं.

असद खां ने शमा का कमरा खुलवाया. शमा ने उसे बैठने को कहा, लेकिन असद खां ने रोबीली आवाज में कहा, ‘‘मैं यहां बैठने नहीं आया हूं. मुझे कमल ने भेजा है.’’ असद खां के मुंह से कमल का नाम सुनते ही शमा सबकुछ समझ गई.

‘‘क्या तुम यहां से जाना चाहती हो?’’ असद खां ने उस से पूछा. ‘‘हां, मैं यहां से निकलना चाहती हूं, लेकिन आप लोगों ने देर कर दी, तो मुझे 1-2 दिन में कहीं दूर भेज दिया जाएगा,’’ शमा ने रोते हुए कहा.

‘‘मैं तुम्हें यहां से निकाल दूंगा, मगर याद रखना कि इस बार तुम पुलिस के सामने अपना बयान मत बदलना. अगर तुम ने ऐसा किया, तो मैं तुम्हें पुलिस थाने में ही गोली मार दूंगा,’’ असद खां ने कहा. ‘‘मैं थाने नहीं जाऊंगी. मुझे पुलिस से डर लगता है,’’ शमा ने सिसकते हुए कहा.

‘‘अच्छा, मैं तुम्हें थाने नहीं ले जाऊंगा. लेकिन तुम्हें अदालत में बयान देना होगा.’’ शमा ने ‘हां’ में अपना सिर हिला दिया.

‘‘देखो लड़की, मैं तुम्हें इस कोठे से खुलेआम निकाल कर ले जाऊंगा. किसी माई के लाल में इतनी हिम्मत नहीं, जो मुझे रोक सके,’’ असद खां ने आंखें फाड़ते हुए कहा. असद खां की बातों से शमा को यकीन हो गया कि वह उसे यहां से जरूर निकाल ले जाएगा.

असद खां जब शमा का हाथ पकड़ कर कमरे से बाहर ले आया, तो पूरे कोठे में सन्नाटा छा गया. किसी बदमाश या दलाल की उस से बात करने की हिम्मत न हो सकी. असद खां शमा को एक वकील के साथ अदालत में ले गया.

शमा मजिस्ट्रेट के सामने फूटफूट कर रोने लगी. उस ने उन्हें अपनी सारी कहानी सुना दी और अपने जिस्म के जख्मों के निशान भी दिखाए. शमा की दर्दभरी कहानी सुन कर मजिस्ट्रेट ने फौरन पुलिस को हुक्म दिया कि चंद्रा और उन लोगों को गिरफ्तार किया जाए, जिन्होंने इस लड़की पर जुल्म किया है.

मजिस्ट्रेट के हुक्म पर पुलिस ने फौरन गिरफ्तारी शुरू कर दी. बाद मैं मजिस्ट्रेट ने हुक्म दिया कि पुलिस की निगरानी में शमा को उस के घर भेज दिया जाए. कुछ दिनों के बाद शमा को हिफाजत के साथ उस के घर भेज दिया गया.

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