राजस्थान का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है. मेवाड़ और मारवाड़ की धरती शूरवीरता के लिए जानी जाती है. रेतीले धोरों और अरावली पर्वतमालाओं से घिरे इस सूबे के लोगों को भले ही जान गंवानी पड़ी, लेकिन युद्ध के मैदान में कभी पीठ नहीं दिखाई. इस के इतर राजस्थान की कुछ जनजातियां अपराध के लिए भी जानी जाती रही हैं.

लेकिन अब समय बदल गया है. ऐसे तमाम लोग हैं, जो कामयाब न होने पर अपने सपने पूरे करने के लिए जनजातियों की तरह अपराध की राह पर चल निकले हैं. अन्य राज्यों के लोगों की तरह राजस्थान के भी हजारों लोग भारत के दक्षिणी राज्यों में रोजगार की वजह से रह रहे हैं.

मारवाड़ के रहने वाले कुछ लोगों ने अपने विश्वस्त साथियों का गिरोह बना कर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में करोड़ों की चोरी, लूट और डकैती जैसे संगीन अपराध किए हैं. ये वहां अपराध कर के राजस्थान आ जाते हैं और अपने गांव या रिश्तेदारियों में छिप जाते हैं. कुछ दिनों में मामला शांत हो जाता है तो फिर वहां पहुंच जाते हैं. उन्हें वहां किसी तरह की परेशानी भी नहीं होती, क्योंकि वहां रहतेरहते ये वहां की भाषा भी सीख गए हैं. स्थानीय भाषा की वजह से ये जल्दी ही वहां के लोगों में घुलमिल जाते हैं.

मारवाड़ के इन लुटेरों ने जब वहां कई वारदातें कीं तो वहां की पुलिस इन लुटेरों की खोजबीन करती हुई उन के गांव तक पहुंच गई. लेकिन राजस्थान पहुंचने पर दांव उल्टा पड़ गया. इधर 3 ऐसी घटनाएं घट गईं, जिन में लुटेरों को पकड़ने आई तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की पुलिस खुद अपराधी बन गई. यहां तक कि चेन्नै के एक जांबाज इंसपेक्टर को जान से भी हाथ धोना पड़ा.

चेन्नै के थाना मदुरहोल के लक्ष्मीपुरम की कडप्पा रोड पर गहनों का एक काफी बड़ा शोरूम है महालक्ष्मी ज्वैलर्स. यह शोरूम मुकेश कुमार जैन का है. वह मूलरूप से राजस्थान के जिला पाली के गांव बावरा के रहने वाले हैं. वह रोजाना दोपहर के 1 बजे के करीब शोरूम बंद कर के लंच के लिए घर चले जाते थे. कुछ देर घर पर आराम कर के वह शाम करीब 4 बजे शोरूम खोलते थे.

16 नवंबर, 2017 को भी मुकेश कुमार जैन अपना जवैलरी का शोरूम बंद कर के लंच करने घर चले गए थे. शाम करीब 4 बजे जब उन्होंने आ कर शोरूम खोला तो उन के होश उड़ गए. शोरूम की छत में सेंध लगी हुई थी. अंदर रखे डिब्बों से सोनेचांदी के सारे गहने गायब थे. 2 लाख रुपए रकद रखे थे, वे भी नहीं थे. मुकेश ने हिसाब लगाया तो पता चला कि साढ़े 3 किलोग्राम सोने और 5 किलोग्राम चांदी के गहने और करीब 2 लाख रुपए नकद गायब थे.

दिनदहाड़े ज्वैलरी के शोरूम में छत में सेंध लगा कर करीब सवा करोड़ रुपए के गहने और नकदी पार कर दी गई थी. चोरों ने यह सेंध ड्रिल मशीन से लगाई थी. उन्होंने गहने और नकदी तो उड़ाई ही, शोरूम में लगे सीसीटीवी कैमरे भी उखाड़ ले गए थे.

मुकेश ने वारदात की सूचना थाना मदुरहोल पुलिस को दी. पुलिस ने घटनास्थल पर आ कर जांच की. जांच में पता चला कि शोरूम की छत पर बने कमरे से ड्रिल मशीन द्वारा छेद किया गया था.

crime

शोरूम के ऊपर बने कमरे में कपड़े की दुकान थी. वह दुकान नाथूराम जाट ने किराए पर ले रखी थी. वह भी राजस्थान के जिला पाली के गांव रामावास का रहने वाला था. उसी के साथ दिनेश और दीपाराम भी रहते थे. दिनेश थाना बिलाड़ा का रहने वाला था तो दीपाराम पाली के खारिया नींव का रहने वाला था. ये तीनों पुलिस को कमरे पर नहीं मिले. पुलिस ने शोरूम के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो पता चला कि मुकेश के ज्वैलरी शोरूम में नाथूराम और उस के साथियों ने ही लूट की थी.

लूट के 2 दिनों बाद चेन्नै पुलिस ने शोरूम के मालिक मुकेश जैन को साथ ले कर अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए राजस्थान के जिला पाली आ कर डेरा डाल दिया. पुलिस ने पूछताछ के लिए कुछ लोगों को पकड़ा भी, लेकिन नाथूराम जाट और उस के साथियों के बारे में कुछ पता नहीं चला तो चेन्नै पुलिस लौट गई.

11 दिसंबर, 2017 को एक बार फिर चेन्नै पुलिस पाली आई. इस टीम में इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन और इंसपेक्टर टी.एम. मुनिशेखर के अलावा 2 हैडकांस्टेबल अंबरोस व गुरुमूर्ति और एक कांस्टेबल सुदर्शन शामिल थे. यह टीम पाली के एसपी दीपक भार्गव से मिली तो उन्होंने टीम की हर तरह से मदद मरने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि जब भी उन्हें काररवाई करनी हो, बता दें. स्थानीय पुलिस हर तरह से उन की मदद करेगी.

इस के बाद चेन्नै से आई पुलिस अपने हिसाब से आरोपियों की तलाश करती रही. पुलिस ने नाथूराम के 2 नजदीकी लोगों को हिरासत में ले कर उन से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि नाथूराम पाली में जैतारण-रामवास मार्ग पर करोलिया गांव में खारिया नींव के रहने वाले दीपाराम जाट के बंद पड़े चूने के भट्ठे पर मिल सकता है.

इस सूचना पर चेन्नै पुलिस ने पाली पुलिस को बिना बताए 12 दिसंबर की रात करीब ढाई-तीन बजे करोलिया गांव स्थित दीपाराम के चूने के भट्ठे पर बिना वर्दी के छापा मारा. पुलिस की यह टीम सरकारी गाड़ी के बजाय किराए की टवेरा कार से गई थी.

टीम की अगुवाई कर रहे इंसपेक्टर पेरियापांडियन और इंसपेक्टर मुनिशेखर के पास सरकारी रिवौल्वर थी. पुलिस टीम के पहुंचते ही भट्ठे पर बने एक कमरे में सो रहे लोग जाग गए. उस समय वहां 3 पुरुष, 6 महिलाएं और कुछ लड़कियां थीं. उन सब ने मिल कर लाठीडंडों से पुलिस पर हमला बोल दिया.

पुलिस घबरा गई और हमलावरों का मुकाबला करने के बजाय वहां से भागने लगी. इसी बीच लोहे के गेट पर चढ़ रहे इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन को गोली लग गई, जिस से वह वहीं गिर गए. जबकि उन के साथी भाग गए थे. मौका पा कर हमला करने वाले सभी लोग वहां से भाग निकले. इस हमले में टीम के कुछ अन्य लोग भी घायल हो गए थे.

थोड़ी दूर जा कर जब पुलिस टीम को पता चला कि टी.वी. पेरियापांडियन साथ नहीं हैं तो सभी वापस लौटे. भट्ठे पर जा कर देखा तो टी.वी. पेरियापांडियन घायल पड़े थे.

उन्हें जैतारण के अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. अभी तक स्थानीय पुलिस को इस घटना की कोई जानकारी नहीं थी. स्थानीय पुलिस को जैतारण अस्पताल प्रशासन से इस घटना की जानकारी मिली. इस घटना की जानकारी एसपी दीपक भार्गव को भी मिल गई.

सूचना पा कर सारे पुलिस अधिकारी अस्पताल पहुंचे और चेन्नै पुलिस से घटना के बारे में पूछताछ की. पता चला कि छापा मारने के दौरान नाथूराम ने अपने 8-10 साथियों के साथ उन पर हमला किया था. इस हमले में इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन उन के बीच फंस गए थे. इन्होंने उन की सरकारी पिस्टल छीन ली और उसी से उन्हें गोली मार दी, जिस से उन की मौत हो गई.

पाली के पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो चेन्नै से आई पुलिस ने उन्हें जो कुछ बताया, वह उन के गले नहीं उतरा. फिर भी थाना जैतारण में चेन्नै पुलिस की ओर से नाथूराम जाट, दीपाराम जाट और दिनेश चौधरी व अन्य लोगों के खिलाफ हत्या, जानलेवा हमला करने और सरकारी काम में बाधा डालने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

पाली पुलिस को घटनास्थल पर गोली का एक खोखा मिला था, जो पुलिस की पिस्टल का था. एफएसएल टीम ने भी घटनास्थल पर जा कर जरूरी साक्ष्य जुटाए. पुलिस के लिए जांच का विषय यह था कि गोली किस ने और कितनी दूरी से चलाई. वह गोली एक्सीडेंटल चली थी या डिफेंस में चलाई गई थी. जैतारण पुलिस ने हमलावरों में से कुछ को पकड़ लिया, लेकिन नाथूराम नहीं पकड़ा जा सका था. पुलिस उस की तलाश में सरगर्मी से जुटी थी.

जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन की लाश का पोस्टमार्टम मैडिकल बोर्ड द्वारा कराया गया. इस के बाद 14 दिसंबर को हवाई जहाज द्वारा उन के शव को चेन्नै भेज दिया गया. चेन्नै में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीसामी, उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम, डीजीपी टी.के. राजेंद्रन, पुलिस कमिश्नर ए.के. विश्वनाथन और विपक्ष के नेता एम.के. स्टालिन सहित तमाम राजनेताओं और पुलिस अफसरों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

crime

इस मौके पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीसामी ने दिवंगत इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन के घर वालों को 1 करोड़ रुपए की राशि बतौर मुआवजा और घायल पुलिसकर्मियों को एकएक लाख रुपए देने की घोषणा की. इस के बाद टी.वी. पेरियापांडियन के शव को उन के पैतृक गांव जिला तिरुनलवेली के मुवेराथली ले जाया गया, जहां राजकीय सम्मान के साथ उन का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

14 दिसंबर को चेन्नै पुलिस के जौइंट पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार जैतारण पहुंचे और डीएसपी वीरेंद्र सिंह तथा चेन्नै के पुलिस इंसपेक्टर मुनिशेखर से घटना के बारे में जानकारी ली. घटनास्थल का भी निरीक्षण किया गया. इस के बाद एसपी दीपक भार्गव ने भी पाली जा कर घटना के बारे में तथ्यात्मक जानकारी ली और आरोपियों की गिरफ्तारी और लूटी गई ज्वैलरी की बरामदगी के बारे में चर्चा की.

इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन की मौत की जांच के लिए पाली पुलिस के बुलाने पर जयपुर से पहुंचे बैलेस्टिक एक्सपर्ट ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया. उन्होंने चेन्नै पुलिस के दोनों इंसपेक्टरों की पिस्टल, घटनास्थल तथा लाश के फोटोग्राफ और वीडियो फुटेज आदि राज्य विधिविज्ञान प्रयोगशाला जयपुर पर मंगवाए.

गोली की बरामदगी के लिए पाली पुलिस ने मेटल डिटेक्टर से घटनास्थल के आसपास जांच कराई, लेकिन गोली नहीं मिली. जबकि मृतक इंसपेक्टर की लाश में भी गोली नहीं मिली थी.

इस बीच 14 दिसंबर, 2017 को जोधपुर के थाना रातानाड़ा की पुलिस ने चेन्नै के महालक्ष्मी ज्वैलर्स के शोरूम में हुई सवा करोड़ रुपए के गहनों की लूट के मुख्य आरोपी नाथूराम के साथी जोधपुर के बिलाड़ा निवासी दिनेश जाट को गिरफ्तार कर लिया था. दिनेश जाट बिलाड़ा थाने का हिस्ट्रीशीटर था. उस के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज थे. पुलिस ने उस की गिरफ्तारी के लिए स्टैंडिंग वारंट भी जारी कर रखा था.

15 दिसंबर को जोधपुर रेंज के आईजी हवा सिंह घुमारिया भी जैतारण पहुंचे और घटनास्थल का निरीक्षण किया. इस बीच पाली पुलिस ने घटनास्थल पर जा कर मृतक इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन की मौत का क्राइम सीन दोहराया.

चेन्नै एवं राजस्थान के पुलिस अधिकारियों और एफएसएल विशेषज्ञों की उपस्थिति में दोहराए गए क्राइम सीन में सामने आया कि जब टी.वी. पेरियापांडियन ने लोहे के गेट पर चढ़ कर भागने की कोशिश की थी, तब पहले गेट से बाहर निकल चुके चेन्नै पुलिस के इंसपेक्टर मुनिशेखर की पिस्टल से एक्सीडेंटल गोली चल गई थी. इसी गोली से पेरियापांडियन की मौत हुई थी.

चेन्नै पुलिस के इंसपेक्टर की मौत का सच सामने आने के बाद थाना जैतारण पुलिस ने 15 दिसंबर को हमलावर तेजाराम जाट, उस की पत्नी विद्या देवी और बेटी सुगना को गिरफ्तार कर लिया.

लेकिन उन्हें हत्या का आरोपी न बना कर भादंवि की धारा 307, 331 व 353 के तहत गिरफ्तार किया गया था. चूना भट्ठे के उस कमरे में तेजाराम का परिवार रहता था.

हमलावर तेजाराम और चेन्नै पुलिस टीम से की गई पूछताछ में पता चला कि 12 दिसंबर की रात चेन्नै पुलिस ने जब चूना भट्ठे पर छापा मारा था, तब दोनों इंसपेक्टरों ने अपनी पिस्टल लोड कर रखी थीं.

पुलिस टीम जैसे ही अंदर हाल के पास पहुंची, पदचाप सुन कर तेजाराम जाग गया. पुलिस वालों को चोर समझ कर वह चिल्लाया तो हाल में सो रही उस की पत्नी, बेटियां व अन्य लोग जाग गए और उन्होंने लाठियों से पुलिस पर हमला कर दिया.

उस समय नाथूराम भी वहां मौजूद था. वह समझ गया कि ये चोर नहीं, चेन्नै पुलिस है, इसलिए वह भागने की युक्ति सोचने लगा. अचानक हुए हमले से घबराई चेन्नै पुलिस भागने लगी. इंसपेक्टर मुनिशेखर और अन्य पुलिस वाले तो दीवार फांद कर बाहर निकल गए.

टी.वी. पेरियापांडियन दीवार फांदने के बजाय जब लोहे के गेट पर चढ़ कर कूदने का प्रयास कर रहे थे, तब गेट के बाहर खड़े इंसपेक्टर मुनिशेखर अपनी पिस्टल को अनलौक कर रहे थे कि अचानक एक्सीडेंटल गोली चल गई, जो टी.वी. पेरियापांडियन को लगी. वह गेट से गिर गए और उन की मौत हो गई. इसी बीच मौका पा कर नाथूराम फरार हो गया था.

दरअसल, चेन्नै पुलिस को अनुमान नहीं था कि वहां 9-10 लोग होंगे. उस का मानना था कि नाथूराम 1-2 लोगों के साथ छिपा होगा. चेन्नै के थाना मदुरहोल थाने के इंसपेक्टर टी.वी. पेरियापांडियन दबंग और बहादुर पुलिस अफसर थे.  यह दुर्भाग्य ही था कि उन की मौत अपने ही साथी की गोली से हो गई.

पाली के एसपी दीपक भार्गव के अनुसार, चेन्नै पुलिस के इंसपेक्टर मुनिशेखर को चार्जशीट में भादंवि की धारा 304ए का आरोपी बनाया जाएगा. तथ्यात्मक जांच रिपोर्ट चेन्नै पुलिस को भेजी जाएगी. चेन्नै पुलिस इंसपेक्टर मुनिशेखर पर विभागीय काररवाई करेगी.

17 दिसंबर को पुलिस ने चेन्नै में हुई ज्वैलरी लूट की वारदात के मुख्य आरोपी नाथूराम जाट की पत्नी मंजू देवी को गिरफ्तार कर लिया था. वह जोधपुर के पीपाड़ शहर के पास मालावास गांव में अपने धर्मभाई के घर छिपी हुई थी. मंजू को चेन्नै से आई पुलिस टीम पर हमले के आरोप में पकड़ा गया था.

कथा लिखे जाने तक नाथूराम और अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस लगातार छापे मार रही थी. नाथूराम के खिलाफ पाली के थाना जैतारण में मारपीट के 4 और जोधपुर के थाना बिलाड़ा में एक मुकदमा पहले से दर्ज है. वह कई सालों से अपने गांव में नहीं रहा था. वह चेन्नै बेंगलुरु आदि शहरों में रहता था.

नाथूराम और दीपाराम के पकड़े जाने के बाद चेन्नै में महालक्ष्मी ज्वैलर्स के शोरूम में हुई सवा करोड़ रुपए के गहनों की लूट का मामला भले ही सुलझ जाए, लेकिन चेन्नै पुलिस के लिए माल की बरामदगी चुनौती रहेगी. जोधपुर में गिरफ्तार चोरी के आरोपी दिनेश जाट को चेन्नै पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर चेन्नै ले गई.

इसी तरह 29 अगस्त, 2017 को विशाखापट्टनम में एक ज्वैलर से 3 किलोग्राम सोना लूट लिया गया था. लूट की इस वारदात में ज्वैलर के पास काम करने वाला राकेश प्रजापत शामिल था.

crime

वह राजस्थान के जिला पाली के रोहिट के पास धींगाणा का रहने वाला था. लूट के बाद वह पाली आ गया था. यहां बाड़मेर रोड पर होटल चलाने वाले हनुमान प्रजापत से उस की पुरानी जानपहचान थी. हनुमान के मार्फत राकेश ने लूट का सारा सोना श्रवण सोनी को बेच दिया.

मामले की जांच करते हुए आंध्र प्रदेश पुलिस जोधपुर पहुंची और 3 नवंबर को झालामंड मीरानगर निवासी रामनिवास जाट को गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद जोधपुर जिले के थाना बोरानाड़ा के गांव खारडा भांडू के रहने वाले ज्वैलर श्रवण सोनी को पकड़ा गया.

श्रवण सोनी को ले जाने पर उस के घर वालों ने थाना बोरानाड़ा में उस के अपरहण का मामला दर्ज करा दिया था. बोरानाड़ा पुलिस ने जांचपड़ताल की तो श्रवण सोनी के आंध्र प्रदेश पुलिस की कस्टडी में होने की बात पता चली.

आंध्र प्रदेश पुलिस ने रामनिवास, श्रवण सोनी, हनुमान प्रजापत और राकेश प्रजापत को हिरासत में ले कर सोना बरामद कर लिया था. लेकिन कागजों में न तो उन्हें गिरफ्तार दिखाया गया था और न ही सोने की बरामदगी दिखाई गई थी, जबकि राकेश प्रजापत को बाकायदा हथकड़ी लगा कर रखा गया था. लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं दिखाया गया था.

आंध्र प्रदेश की पुलिस टीम द्वारा रामनिवास को लूट के मामले में आरोपी न बनाने और उस की कार जब्त न करने के लिए डेढ़ लाख रुपए मांगे गए थे, साथ ही मौजमस्ती के लिए लड़कियों का इंतजाम करने को भी कहा गया था. पुलिस टीम का कहना था कि उस ने यह कार विशाखापट्टनम से लूटे गए 3 किलोग्राम सोने को बेच कर खरीदी थी.

आंध्र प्रदेश पुलिस ने 5 नवंबर को रामनिवास और श्रवण सोनी को कुछ शर्तों पर छोड़ दिया था और श्रवण सोनी से 6 नवंबर को 2 लाख रुपए लाने को कहा था. इस से पहले आंध्र प्रदेश पुलिस ने रामनिवास के एटीएम से 20 हजार रुपए निकलवा कर रख लिए थे.

छूटते ही रामनिवास सीधे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के कार्यालय पहुंचा और आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा रिश्वत मांगने की शिकायत कर दी. एसीबी ने 80 हजार रुपए दे कर रामनिवास को आंध्र प्रदेश पुलिस के पास भेज कर शिकायत की पुष्टि की. इस के बाद 6 नवंबर को विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश से आई 4 लोगों की पुलिस टीम को 80 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया गया.

इन में विशाखापट्टनम जिले की क्राइम ब्रांच के सबडिवीजन नौर्थ के इसंपेक्टर आर.वी.आर.के. चौधरी, विशाखापट्टनम के थाना परवाड़ा के एसआई एस.के. शरीफ, थाना एम.आर. पेटा के एसआई गोपाल राव और थाना वनटाउन के कांस्टेबल एस. हरिप्रसाद शामिल थे. ये चारों जोधपुर में बाड़मेर रोड पर बोरानाड़ा स्थित एक होटल में रुके हुए थे.

गिरफ्तारी के अगले दिन 7 नवंबर को चारों लोगों को अदालत में पेश किया गया, जहां से अदालत के आदेश पर सभी को जेल भेज दिया गया. पूरी टीम के गिरफ्तार होने की सूचना मिलने पर 3 किलोग्राम सोने की लूट के मामले की जांच के लिए विशाखापट्टनम से दूसरी टीम भेजी गई. यह टीम 7 नवंबर को जोधपुर पहुंची. इस टीम ने सोने की लूट के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...