15 मई, 2017 की सुबह की बात है. समय 11-साढ़े 11 बजे सीकर जिले के शहर फतेहपुर के ज्वैलर ललित पोद्दार अपनी ज्वैलरी की दुकान पर थे. उन की पत्नी पार्वती और बेटा ध्रुव ही घर पर थे. बेटी वर्षा किसी काम से बाजार गई थी. उसी समय अच्छी कदकाठी का एक सुदर्शन युवक उन के घर पहुंचा. उस के हाथ में शादी के कुछ कार्ड थे. युवक ने ललित के घर के बाहर लगी डोरबेल बजाई तो पार्वती ने बाहर आ कर दरवाजा खोला. युवक ने हाथ जोड़ते हुए कहा, ‘‘नमस्ते आंटीजी, पोद्दार अंकल घर पर हैं?’’

पार्वती ने शालीनता से जवाब देते हुए कहा, ‘‘नमस्ते भैया, पोद्दारजी तो इस समय दुकान पर हैं. बताइए क्या काम है?’’

‘‘आंटीजी, हमारे घर में शादी है. मैं कार्ड देने आया था.’’ युवक ने उसी शालीनता से कहा.

युवक के हाथ में शादी के कार्ड देख कर पार्वती ने उसे अंदर बुला लिया. युवक ने सोफे पर बैठ कर एक कार्ड पार्वती की ओर बढ़ाते हुए कहा, ‘‘आंटीजी, यह कार्ड पोद्दार अंकल को दे दीजिएगा. आप लोगों को शादी में जरूर आना है. बच्चों को भी साथ लाइएगा.’’

पार्वती ने शादी का कार्ड देख कर कहा, ‘‘भैया आप को पहचाना नहीं.’’

‘‘आंटीजी, आप नहीं पहचानतीं, लेकिन पोद्दार अंकल मुझे अच्छी तरह से पहचानते हैं.’’ युवक ने कहा.

पार्वती ने घर आए, उस मेहमान से चायपानी के बारे में पूछा तो उस ने कहा, ‘‘चायपानी के तकल्लुफ की कोई जरूरत नहीं है, आंटीजी. अभी एक कार्ड आप के भांजे अश्विनी को भी देना है. मैं उन का घर नहीं जानता. आप अपने बेटे को मेरे साथ भेज देतीं तो वह उन का घर बता देता. कार्ड दे कर मैं आप के बेटे को छोड़ जाऊंगा.’’

बाहर तेज धूप थी. इसलिए पार्वती बेटे को बाहर नहीं भेजना चाहती थीं. इसलिए उन्होंने टालने वाले अंदाज में कहा, ‘‘आप कार्ड हमें दे दीजिए. शाम को अश्विनी हमारे घर आएगा तो हम कार्ड दे देंगे.’’

पार्वती की बात सुन कर युवक ने मायूस होते हुए कहा, ‘‘कार्ड तो मैं आप को दे दूं, लेकिन पापा मुझे डांटेंगे. उन्होंने कहा है कि खुद ही जा कर अश्विनी को कार्ड देना.’’

युवक की बातें सुन कर पार्वती ने ड्राइंगरूम में ही वीडियो गेम खेल रहे अपने 13 साल के बेटे ध्रुव से कहा, ‘‘बेटा, अंकल के साथ जा कर इन्हें अश्विनी का घर बता दे.’’

ध्रुव मां का कहना टालना नहीं चाहता था, इसलिए वह अनमने मन से जाने को तैयार हो गया. वह युवक ध्रुव के साथ घर से निकलते हुए बोला, ‘‘थैंक्यू आंटीजी.’’

ध्रुव और उस युवक के जाने के बाद पार्वती घर के कामों में लग गईं. काम से जैसे ही फुरसत मिली उन्होंने घड़ी देखी. दोपहर के साढ़े 12 बज रहे थे. ध्रुव को कब का घर आ जाना चाहिए था. लेकिन वह अभी तक नहीं आया था. पार्वती ने सोचा कि ध्रुव वहां जा कर खेलने या चायपानी पीने में लग गया होगा. हो सकता है, अश्विनी ने उसे किसी काम से भेज दिया हो. यह सोच कर वह फिर काम में लग गईं.

थोड़ी देर बाद उन्हें जब फिर ध्रुव का ध्यान आया, तब दोपहर का सवा बज रहा था. ध्रुव को घर से गए हुए डेढ़ घंटे से ज्यादा हो गया था. पार्वती को चिंता होने लगी. 10-5 मिनट वह सेचती रहीं कि क्या करें. कुछ समझ में नहीं आया तो उन्होंने पति ललित पोद्दार को फोन कर के सारी बात बता दी. पत्नी की बात सुन कर ललित को भी चिंता हुई. उन्होंने पत्नी को तसल्ली देते हुए कहा, ‘‘ध्रुव कोई छोटा बच्चा नहीं है कि कहीं खो जाए या इधरउधर भटक जाए. फिर भी मैं अश्विनी को फोन कर के पता करता हूं.’’

ललित ने अश्विनी को फोन कर के ध्रुव के बारे में पूछा तो अश्विनी ने जवाब दिया, ‘‘मामाजी, मेरे यहां न तो ध्रुव आया था और ना ही कोई आदमी शादी का कार्ड देने आया था.’’

अश्विनी का जवाब सुन कर ललित भी चिंता में पड़ गए. वह तुरंत घर पहुंचे और पार्वती से सारी बातें पूछीं. उन्होंने वह शादी का कार्ड भी देखा, जो वह युवक दे गया था. कार्ड पर लियाकत सिवासर का नाम लिखा था. ललित को वह शादी का कार्ड अपने किसी परिचित का नहीं लगा. उन्होंने कार्ड पर लिखे मोबाइल नंबरों पर फोन किया तो वे नंबर फरजी निकले.

ललित को किसी अनहोनी की आशंका होने लगी. उन के मन में बुरे ख्याल आने लगे. उन्हें आशंका इस बात की थी कि कहीं किसी ने पैसों के लालच में ध्रुव का अपहरण न कर लिया हो. इस की वजह यह थी कि वह फतेहपुर के नामीगिरामी ज्वैलर थे. राजस्थान के शेखावटी इलाके में उन का अच्छाखासा रसूख था. बेटे के घर न आने से पार्वती का रोरो कर बुरा हाल हो रहा था.

ललित ने अपने कुछ परिचितों से बात की तो सभी ने यही सलाह दी कि इस मामले की सूचना पुलिस को दे देनी चाहिए. इस के बाद दोपहर करीब ढाई बजे ललित ने इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी. सूचना मिलते ही पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी. पार्वती से पूछताछ की गई. शुरुआती जांच से यही नतीजा निकला कि ध्रुव का अपहरण किया गया है.

अपहर्त्ता प्रोफेशनल अपराधी हो सकते थे. क्योंकि रात तक फिरौती के लिए किसी अपहर्त्ता का फोन नहीं आया था. पुलिस को अनुमान हो गया था कि अपहर्त्ता ने ध्रुव के अपहरण का जो तरीका अपनाया था, उस से साफ लगता था कि उन्होंने रेकी कर के ललित पोद्दार के बारे में जानकारियां जुटाई थीं.

पुलिस ने फिरौती मांगे जाने की आशंका के मद्देनजर पोद्दार परिवार के सारे मोबाइल सर्विलांस पर लगवा दिए. लेकिन उस दिन रात तक ना तो किसी अपहर्त्ता का फोन आया और ना ही ध्रुव को साथ ले जाने वाले उस युवक के बारे में कोई जानकारी मिली. पुलिस ने ललित के घर के आसपास और लक्ष्मीनारायण मंदिर के करीब स्थित उस की दुकान के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, लेकिन उन से पुलिस को कुछ हासिल नहीं हुआ.

पुलिस को अब तक केवल यही पता चला था कि ललित पोद्दार के घर जो युवक शादी का कार्ड देने आया था, उस की उम्र करीब 30 साल के आसपास थी. वह सफेद शर्ट पहने हुए था. अगले दिन सीकर के एसपी राठौड़ विनीत कुमार त्रिकमलाल ने ध्रुव का पता लगाने के लिए अपने अधीनस्थ अधिकारियों को दिशानिर्देश दिए. इस के बाद पुलिस ने उस शादी के कार्ड को आधार बना कर जांच आगे बढ़ाई.

परेशानी यह थी कि शादी के कार्ड पर किसी प्रिंटिंग प्रैस का नाम नहीं लिखा था, जबकि हर शादी के कार्ड पर प्रिंटिंग प्रैस का नाम जरूरी होता है. इस की वजह यह है कि राजस्थान सरकार ने बालविवाह की रोकथाम के लिए यह कानूनी रूप से जरूरी कर दिया है. पुलिस ने शादी के कार्ड छापने वाले प्रिंटिंग प्रैस मालिकों से बात की तो पता चला कि उस कार्ड में औफसेट पेंट का इस्तेमाल किया गया था.

उस पेंट का उपयोग फतेहपुर में नहीं होता था. सीकर में प्रिंटिंग प्रैस वाले उस का उपयोग करते थे. इस के बाद पुलिस ने सीकर, चुरू और झुंझुनूं के करीब डेढ़ सौ प्रैस वालों से पूछताछ की. इस जांच के दौरान एक नया तथ्य यह सामने आया कि ध्रुव के अपहरण से 4 दिन पहले से उसी के स्कूल में पढ़ने वाला छात्र अंकित भी लापता था. अंकित चुरू जिले के रतनगढ़ शहर का रहने वाला था. वह फतेहपुर के विवेकानंद पब्लिक स्कूल में पढ़ता था और हौस्टल में रहता था. गर्मी की छुट्टी में वह रतनगढ़ अपने घर गया था. वह 12 मई को दोपहर करीब सवा बारह बजे बाल कटवाने के लिए घर से निकला था, तब से लौट कर घर नहीं आया था.

तीसरे दिन आईजी हेमंत प्रियदर्शी एवं एसपी राठौड़ विनीत कुमार ने ध्रुव के घर वालों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि ध्रुव का जल्द से जल्द पता लगा लिया जाएगा. उसी दिन यानी 17 मई को अपहर्त्ता ने ललित पोद्दार को फोन कर के बताया कि उन के बेटे ध्रुव का अपहरण कर लिया गया है. उन्होंने ध्रुव की उन से बात करा कर 70 लाख रुपए की फिरौती मांगी.

उन्होंने चेतावनी भी दी थी कि अगर पुलिस को बताया तो बच्चे को मार दिया जाएगा. ललित ने समझदारी से बातें करते हुए अपहर्त्ता से कहा कि आप तो जानते ही हैं कि नोटबंदी को अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है. भाइयों, परिवार वालों और रिश्तेदारों से पैसे जुटाने के लिए समय चाहिए. चाहे जितनी कोशिश कर लूं, 70 लाख रुपए इकट्ठे नहीं हो पाएंगे. बैंक से एक साथ ज्यादा पैसा निकाला तो पुलिस को शक हो जाएगा.

ललित ने अपहर्ता को अपनी मजबूरियां बता कर यह जता दिया कि वह 70 लाख रुपए नहीं दे सकते. बाद में अपहर्ता 45 लाख रुपए ले कर ध्रुव को सकुशल छोड़ने को राजी हो गए. अपहर्ताओं ने फिरौती की यह रकम कोलकाता में हावड़ा ब्रिज पर पहुंचाने को कहा. लेकिन बाद में वे फिरौती की रकम मुंबई में लेने को तैयार हो गए.

ललित का मोबाइल पहले से ही पुलिस सर्विलांस पर लगा रखा था. पुलिस को अपहर्ता और ललित के बीच हुई बातचीत का पता चल गया. इसी के साथ पुलिस को वह मोबाइल नंबर भी मिल गया, जिस से ललित को फोन किया गया था.

इसी बीच पुलिस ने शादी के उस कार्ड की जांच एक्सपर्ट से कराई तो पता चला कि वह एविडेक प्रिंटर से छपा था. शेखावटी के सीकर, चुरू व झुंझुनूं जिले में करीब 60 एविडेक प्रिंटर थे. इन प्रिंटर मालिकों से पूछताछ की गई तो पता चला कि वह कार्ड नवलगढ़ के एक प्रिंटर से छपवाया गया था. उस प्रिंटर के मालिक से पूछताछ में पता चला कि वह कार्ड फतेहपुर के किसी आदमी ने उस के प्रिंटर पर छपवाया था. उस आदमी से पूछताछ में पुलिस को अपहर्त्ता युवक के बारे में कुछ सुराग मिले.

इस के अलावा पुलिस ने 15 मई को ललित पोद्दार के मकान के आसपास घटना के समय हुई सभी मोबाइल कौल को ट्रेस किया. इस में मुंबई का एक नंबर मिला. यह नंबर साजिद बेग का था. काल डिटेल्स के आधार पर यह भी पता चल गया कि साजिद के तार फतेहपुर के रहने वाले अयाज से जुड़े थे.

जांच में यह बात भी सामने आ गई कि अपहर्ता मुंबई से जुड़ा है. इस पर पुलिस ने फतेहपुर से ले कर विभिन्न राज्यों के टोल नाकों पर जांच की और उन नाकों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी. इस में सब से पहले शोभासर के टोल पर सफेद रंग की एसेंट कार पर जयपुर का नंबर मिला. अगले टोल नाके मौलासर पर इसी कार पर महाराष्ट्र की नंबर प्लेट लगी हुई पाई गई. आगे के टोल नाकों पर उसी कार पर अलगअलग नंबर प्लेट लगी हुई पाई गई. जांच में ये सारे नंबर फरजी पाए गए.

सीकर के एसपी ने मुंबई के पुलिस कमिश्नर से बात कर के ध्रुव के अपहरण की पूरी जानकारी दे कर अपराधियों को पकड़ने में सहायता करने का आग्रह किया. इसी के साथ एसपी के दिशानिर्देश पर एडिशनल एसपी तेजपाल सिंह ने 3 टीमें गठित कर के 3 राज्यों में भेजी. सब से पहले रामगढ़ शेखावाटी के थानाप्रभारी रमेशचंद्र को टीम के साथ मुंबई भेजा गया. यह टीम मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच के साथ मिल कर आरोपियों की तलाश में जुट गई.

फतेहपुर कोतवाली के थानाप्रभारी महावीर सिंह ने लगातार जांच कर के ध्रुव के अपहरण में साजिद बेग और फतेहपुर के रहने वाले अयाज के साथ उस के संबंधों के बारे में पता लगाया.

एसपी ध्रुव के घर वालों को सांत्वना देने के साथ यह भी बताते रहे कि उन्हें अपहर्ता को किस तरह बातों में उलझा कर रखना है, ताकि पुलिस बच्चे तक पहुंच सके. पुलिस की एक टीम उत्तर प्रदेश और एक टीम पश्चिम बंगाल भी भेजी गई. पुलिस को संकेत मिले थे कि अपहर्ता धु्रुव को ले कर मुंबई, कोलकाता या कानपुर जा सकते हैं.

लगातार भागदौड़ के बाद सीकर पुलिस ने मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच की मदद से 21 मई की आधी रात के बाद मुंबई के बांद्रा  इलाके से ध्रुव को सकुशल बरामद कर लिया. पुलिस ने उस के अपहरण के आरोप में साजिद बेग को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया था. इस के अलावा उस की 2 गर्लफ्रैंड्स को भी गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने वह एसेंट कार भी बरामद कर ली, जिस से ध्रुव का अपहरण किया गया था. सीकर पुलिस 22 मई की रात ध्रुव और आरोपियों को ले कर मुंबई से रवाना हुई और 23 मई को फतेहपुर आ गई.

पुलिस ने ध्रुव के अपहरण के मामले में मुंबई से साजिद बेग और उस की गर्लफ्रैंड्स यास्मीन जान और हालिमा मंडल को गिरफ्तार किया था. पूछताछ के बाद फतेहपुर के रहने वाले अयाज उल हसन उर्फ हयाज को गिरफ्तार किया गया. इस के बाद सभी आरोपियों से की गई पूछताछ में ध्रुव के अपहरण की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

साजिद बेग पेशे से सिविल इंजीनियर था. वह बांद्रा, मुंबई में मछली बाजार में रहता था. उसे हिंदी, अंग्रेजी व मारवाड़ी का अच्छा ज्ञान था. वह मूलरूप से फतेहपुर का ही रहने वाला था. उस के दादा और घर के अन्य लोग मुंबई जा कर बस गए थे. फतेहपुर में साजिद का 2 मंजिला आलीशान मकान था. वह फतेहपुर आताजाता रहता था. उस की पत्नी भी पढ़ीलिखी है. उस का एक बच्चा भी है.

मुंबई स्थित उस के घर पर नौकरचाकर काम करते हैं. उस के पिता के भाई और अन्य रिश्तेदार भी मुंबई में ही रहते हैं. इन के लोखंडवाला, बोरीवली सहित कई पौश इलाकों में आलीशान बंगले हैं. वह मुंबई में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम करता था. मौजमस्ती के गलत शौक और व्यापार में घाटा होने की वजह से साजिद कई महीनों से आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. उस पर करीब 30 लाख रुपए का कर्ज हो गया था. इसलिए वह जल्द से जल्द किसी भी तरीके से पैसे कमा कर अपना कर्ज उतारना चाहता था.

करीब 2 महीने पहले साजिद ने फतेहपुर के रहने वाले अपने बचपन के दोस्त अयाज उल हसन उर्फ हयाज को मुंबई बुलाया. वह 5 दिनों  तक मुंबई में रहा. इस बीच साजिद ने उस से पैसे कमाने के तौर तरीकों के बारे में बात की. इस पर अयाज ने कहा कि फतेहपुर में किसी का अपहरण कर के उस के बदले में अच्छीखासी फिरौती वसूली जा सकती है. हालांकि उस समय यह तय नहीं हुआ था कि अपहरण किस का किया जाएगा.

साजिद ने अयाज को यह कह कर फतेहपुर वापस भेज दिया कि वह किसी ऐसी पार्टी का चयन करे, जिस से मोटी रकम वसूली जा सके. अयाज फतेहपुर आ कर योजना बनाने लगा. अयाज ने पिछले साल फतेहपुर के ज्वैलर ललित पोद्दार के मकान पर पेंट का काम किया था. इसलिए उसे ललित के घरपरिवार की सारी जानकारी थी. उस ने साजिद को ललित के बारे में बताया.

इस के बाद दोनों ने ललित के बेटे ध्रुव के अपहण की योजना बना ली. उसी योजना के तहत शादी का फरजी कार्ड नवलगढ़ से छपवाया गया. इस के बाद कार्ड से कैमिकल द्वारा प्रिंटिंग प्रैस का नाम हटा दिया गया. योजनानुसार साजिद 10 मई को मुंबई से कार ले कर फतेहपुर आ गया और दरगाह एरिया में रहने वाले अपने दोस्त अयाज से मिला. इस के बाद ध्रुव के अपहरण की योजना को अंतिम रूप दिया गया.

15 मई को शादी का कार्ड देने के बहाने साजिद ललित के घर से उस के बेटे धु्रव को अश्विनी के घर ले जाने की बात कह कर साथ ले गया और उसे घर के बाहर खड़ी एसेंट कार में बैठा लिया. उस ने धु्रव से कहा कि गाड़ी में पैट्रोल नहीं है, इसलिए पहले पैट्रोल भरवा लें, फिर अश्विनी के घर चलेंगे.

फतेहपुर में पैट्रोल पंप से पहले ही साजिद ने गाड़ी की रफ्तार बढ़ा दी तो ध्रुव को शक हुआ. वह शीशा खोल कर ‘बचाओबचाओ’ चिल्लाने लगा. इस पर साजिद ने उसे कोई नशीली चीज सुंघा दी, जिस से वह बेहोश हो गया.

ध्रुव को बेहोशी की हालत में पीछे की सीट पर सुला कर साजिद अपनी कार से मुंबई ले गया. बीचबीच में टोलनाकों से पहले उस ने 5 बार कार की नंबर प्लेट बदलीं.

साजिद ने अपहृत ध्रुव को मुंबई में अपनी 2 गर्लफ्रैंड्स के पास रखा. इन में एक गर्लफ्रैंड यास्मीन जान मुंबई के चैंबूर में लोखंड मार्ग पर रहती थी. तलाकशुदा यास्मीन को साजिद ने बता रखा था कि वह कुंवारा है. उस ने उसे शादी करने का झांसा भी दे रखा था. साजिद ने यास्मीन को धु्रव के अपहरण के बारे में बता दिया था. यास्मीन फिरौती में मिलने वाली मोटी रकम से साजिद के साथ ऐशोआराम की जिंदगी गुजारने का सपना देख रही थी. इसलिए उस ने साजिद की मदद की और धु्रव को अपने पास रखा.

साजिद की दूसरी गर्लफ्रैंड हालिमा मंडल मूलरूप से पश्चिम बंगाल की रहने वाली थी. वह पिछले कई सालों से बांद्रा इलाके में बाजा रोड पर रहती थी. उस के 2 बच्चे हैं. साजिद मुंबई पहुंच कर ध्रुव को सीधे हलिमा के घर ले गया था. उस ने उसे ध्रुव के अपहरण के बारे में बता दिया था. हालिमा ने भी फिरौती में मोटी रकम मिलने के लालच में साजिद का साथ दिया और ध्रुव को अपने पास रखा. वह ध्रुव को नींद की गोलियां देती रही, ताकि वह शोर न मचा सके.

फेसबुक पर एक पोस्ट में खुद को मुंबई का किंग बताने वाला साजिद इतना शातिर था कि ललित पोद्दार से या अयाज से बात करने के बाद मोबाइल स्विच औफ कर लेता था, ताकि पुलिस उसे ट्रेस न कर सके. ध्रुव को जहां रखा गया था, वहां से वह करीब सौ किलोमीटर दूर जा कर नए सिम से फोन करता था, ताकि अगर किसी तरह पुलिस मोबाइल नंबर ट्रेस भी कर ले तो उसी लोकेशन पर बच्चे को खोजती रहे.

साजिद के बताए अनुसार, टीवी पर आने वाले आपराधिक धारावाहिकों को देख कर उस ने ध्रुव के अपहरण की साजिश रची थी. सीरियलों को देख कर ही उस ने हर कदम पर सावधानी बरती, लेकिन पुलिस उस तक पहुंच ही गई. जबकि उस ने पुलिस से बचने के तमाम उपाय किए थे.

23 मई को पुलिस ध्रुव को ले कर फतेहपुर पहुंची तो पूरा शहर खुशी से नाच उठा. पुष्पवर्षा और आतिशबाजी की गई. 9 दिनों बाद बेटे को सकुशल देख कर पार्वती की आंखों से आंसू बह निकले. पिता ललित पोद्दार ने बेटे को गले से लगा कर माथा चूम लिया. सालासर मंदिर में लोगों ने फतेहपुर कोतवाली के थानाप्रभारी महावीर सिंह का सम्मान किया.

पुलिस ने ध्रुव के अपहरण के मामले में साजिद के अलावा यास्मीन जान, हालिमा मंडल और फतेहपुर निवासी अयाज को गिरफ्तार किया था. फतेहपुर के एक अन्य युवक की भी इस मामले में भूमिका संदिग्ध पाई गई. इस के अलावा उत्तर प्रदेश के एक गैंगस्टर नसरत उर्फ नागा उर्फ चाचा का नाम भी ध्रुव के अपहरण में सहयोगी के रूप में सामने आया है.

नसरत उर्फ नागा उत्तर प्रदेश के सिमौनी का रहने वाला था. वह फिलहाल मुंबई के गौरी खानपुर में रहता है. साजिद काफी समय से उस के संपर्क में था. उस के साथ नागा भी आया था. उस ने नागा को सीकर में ही छोड़ दिया था.

ध्रुव के अपहरण के बाद नागा साजिद के साथ हो गया था. दोनों ध्रुव को ले कर मुंबई गए थे. नागा पर उत्तर प्रदेश और मुंबई में हत्या के 3 मामले और लूट, चाकूबाजी, हथियार तस्करी, गुंडा एक्ट आदि के दर्जनों मामले दर्ज हैं. वह हिस्ट्रीशीटर है. कथा लिखे जाने तक सीकर पुलिस इस मामले में नागा की तलाश कर रही थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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