26 नवंबर, 2016 की बात है. दोपहर के ढाई बजे थे. घड़ी पर जैसे ही मनोज कुमार की नजर पड़ी, उस के मुंह से ‘ओफ्फ…काफी देर हो गई’ की आवाज निकली. उसे कहीं जाना था, इसलिए वह फटाफट घर से निकल कर सवारी पकड़ने के लिए गांव से बाहर सड़क पर आ गया. सड़क पर पहुंच कर वह वाहन का इंतजार कर ही रहा था कि अचानक उस की नजर सड़क के बाईं पटरी पर सरपतों की झाड़ी में पहुंची. वहां पर एक लड़की की लाश पड़ी थी.

चूंकि मनोज केराकत कोतवाली का चौकीदार भी था, इसलिए वह जिज्ञासावश उस जगह पहुंच गया, जहां लाश पड़ी थी.

उस लड़की की उम्र 10-12 साल लग रही थी. वह बैंगनी रंग का कढ़ाईदार सलवारसूट पहने हुई थी. उस का गला कटा हुआ था. लाश मिलने की सूचना कोतवाली में देना उस की जिम्मेदारी थी, इसलिए जिस जगह उसे जाना था, वहां न जा कर वह सीधे केराकत कोतवाली पहुंच गया. कोतवाली प्रभारी नरेंद्र कुमार को उस ने लड़की की लाश मिलने की जानकारी दे दी. उस ने यह भी बता दिया कि लाश गांव शिवरामपुर खुर्द के रहने वाले भीम सिंह के खेत के किनारे पर है.

मनोज की सूचना पर कोतवाली प्रभारी नरेंद्र कुमार फौरन पुलिस टीम के साथ मौके की तरफ रवाना हो गए. इस की जानकारी उन्होंने अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी. घटनास्थल की दूरी केराकत कोतवाली से महज 12 किलोमीटर थी, इसलिए कुछ ही देर में वह मौके पर पहुंच गए.

तब तक लाश मिलने की जानकारी आसपास के क्षेत्रों में भी फैल गई थी, इसलिए वहां काफी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ भी जुट गई थी. कोतवाली प्रभारी ने लाश का निरीक्षण किया तो लग रहा था कि उस के साथ शायद दुराचार किया गया है. उसी दौरान क्षेत्राधिकारी (केराकत) राकेश पांडेय, उपजिलाधिकारी सहदेव मिश्रा भी वहां पहुंच गए. जितने लोग वहां खड़े थे, पुलिस ने उन सब से उस लड़की की शिनाख्त करानी चाही पर कोई भी उसे नहीं पहचान सका. तब पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

चौकीदार मनोज कुमार की तहरीर पर भादंसं की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. मौके से मृतका या हत्यारे के बारे में कोई ऐसी कोई चीज नहीं मिली, जिस के जरिए पुलिस आगे बढ़ सके. इस के बावजूद पुलिस अपने स्तर से ही केस की जांच करने लगी.

कोतवाली प्रभारी मृतका की पहचान को ले कर उलझे हुए थे. दूसरे दिन समाचारपत्रों में यह खबर प्रमुखता से छपी तो 28 नवंबर की शाम को वाराणसी के जैतपुरा थाना क्षेत्र से कुछ लोग पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे. उन्हें जब वह लाश दिखाई गई तो आजाद कुरैशी नाम के एक शख्स ने उस की पुष्टि अपनी बेटी मुसकान के रूप में की. कोतवाली पहुंच कर उस ने अपनी बेटी के कपडे़ भी पहचान लिए.

29 नवंबर को उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उस में दुष्कर्म की भी पुष्टि हो गई. चूंकि मुसकान की रिपोर्ट भादंवि की धारा 363 के तहत जैतपुरा थाने में 26 नवंबर को दर्ज हुई थी. इसलिए एसएसपी नितिन तिवारी के निर्देश पर कोतवाली प्रभारी नरेंद्र कुमार ने यह केस थाना जैतपुरा को स्थानांतरित कर दिया.

अब जैतपुरा थानाप्रभारी रमेश यादव यह जानने में लग गए कि मुसकान का हत्यारा कौन है. इस संबंध में उन्होंने मुसकान के मातापिता से बात की तो मां रजिया सुलतान ने बताया कि पड़ोस के एक आदमी ने मोहल्ले के ही पप्पू गुप्ता के साथ मुसकान को मल्लाही बगीचे की तरफ जाते देखा था. पप्पू को गांव के सभी लोग जानते थे कि वह आपराधिक प्रवृत्ति का है. इसलिए उन्हें बेटी को ले कर चिंता हुई. जब वह पप्पू के घर गईं तो वह नहीं मिला.

रजिया से बात करने के बाद थानाप्रभारी को भी पप्पू पर ही शक हो गया. पुलिस ने उस की तलाश के लिए मुखबिर भी सक्रिय कर दिए. पुलिस ने 29 नवंबर को ही मुखबिर की सूचना पर 30 वर्षीय पप्पू गुप्ता को दबोच लिया. वह कहीं भागने की फिराक में था.

जब पुलिस ने उस से मुसकान के बारे में सख्ती से पूछताछ की तो वह बहुत देर तक टिक नहीं पाया और उस ने स्वीकार कर लिया कि मुसकान की हत्या उस ने ही की थी. उस ने उस की हत्या की जो कहानी बताई, वह मानवता को शर्मसार करने वाली निकली. उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के जैतपुरा के अंतर्गत एक मोहल्ला है शक्कर तालाब. यहीं पर आजाद कुरैशी अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी रजिया सुलतान के अलावा 2 बेटे और 2 बेटियां थीं. आजाद कुरैशी मोहल्ले में ही चिकन की दुकान चलाता था.

घर के काम निपटाने के बाद रजिया घर में खाली रहती तो उस ने अखबार की थैलियां बनानी शुरू कर दीं. उस के पास थैलियों की मांग बढ़ने लगी तो कभीकभार बच्चे भी उस के काम में शरीक हो जाते थे. इस तरह इस काम से उसे अतिरिक्त आमदनी हो जाती थी.

26 नवंबर का दिन था. सुबह के यही कोई साढ़े 9 बज रहे थे. रजिया घर के कामकाज में लगी हुई थी कि तभी उसी के मोहल्ले का पप्पू गुप्ता उस के दरवाजे पर आया. वह गली में घूमघूम कर हाथ ठेले पर मूंगफली के दाने, चने आदि बेचता था. उस के लिए वह थैलियां रजिया से ही ले जाता था. उस दिन भी वह थैलियां लेने आया था. जैसे ही पप्पू ने दरवाजा खटखटाया तो दरवाजे पर रजिया की ननद रेशमा आई. वह उस से बोली, ‘‘अभी थैलियां तैयार नहीं हैं. थोड़ी देर में हो जाएंगी.’’

इस पर वह बोला, ‘‘ठीक है, मैं 20 मिनट रुक जाता हूं. तैयार कर के दे दीजिए.’’ इतना कह कर वह वहीं रुक गया, जबकि रेशमा घर के अंदर चली गई. इतने में रजिया की 10 वर्षीय बेटी मुसकान घर का कूड़ा फेंकने के लिए बाहर निकली तो पप्पू ने उसे 10 रुपए दे कर नजदीक की दुकान से पान लाने को कहा.

पैसे ले कर मुसकान पान की दुकान की ओर गई तभी पीछेपीछे पप्पू भी हो लिया. चूंकि पप्पू के मन में कुछ और ही था, इसलिए वह मुसकान को पान की दुकान से बहलाफुसला कर अपनी स्कूटी पर बिठा कर वाराणसी से करीबन 45 किलोमीटर दूर जौनपुर जिले की केराकत कोतवाली क्षेत्र के एक खेत में ले गया. वहां डराधमका कर उस ने उस मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म किया फिर बाद में ब्लेड से उस का गला भी रेत डाला.

उस की हत्या करने के बाद वह स्कूटी से वाराणसी लौट आया था और छिपछिप कर लोगों पर नजर रखने लगा. जब उसे पता चला कि पुलिस उस के पीछे पड़ी है तो उसे वहां से कहीं भागना ही उचित लगा. लेकिन उस से पहले ही वह पुलिस के हाथ लग गया.

उधर मुसकान कूड़ा फेंकने के बाद भी घर नहीं आई तो रजिया उसे घर से बाहर देखने निकली. पर वह नहीं दिखी और न ही वहां पप्पू गुप्ता दिखा जो थैलियां लेने के इंतजार में दरवाजे के बाहर खड़ा था.

रजिया उसे पड़ोसियों के यहां खोजने गई, पर वह वहां भी नहीं मिली. बेटी की चिंता में रजिया की धड़कनें तेज होने लगीं. खबर मिलने पर रजिया का पति आजाद कुरैशी भी दुकान से घर चला आया.

वह भी परिवार और मोहल्ले के लोगों को ले कर आसपास बेटी की खोज में जुट गया लेकिन उस का कहीं कोई पता नहीं चल पाया. उसी दौरान मोहल्ले के ही एक आदमी ने बताया कि मुसकान पप्पू के साथ कुछ देर पहले मल्लाही बगीचे की ओर जाते दिखी थी.

यह खबर मिलते ही रजिया और उस के पति ने पप्पू के घर का रुख किया. घर पर पप्पू तो नहीं मिला बल्कि उस की पत्नी नेहा (काल्पनिक नाम) मिली. उस ने बताया कि पप्पू घर पर नहीं है. वह सुबह से ही निकले हैं

पप्पू आपराधिक प्रवृत्ति का था. मोहल्ले के सभी लोग उसे अच्छी तरह जानते थे. सन 2004 में उस ने एक 7 साल की बच्ची के साथ रेप और हत्या की कोशिश की थी.

उस बच्ची के बयान के बाद उसे 10 साल की सजा हुई थी. वह 10 साल की सजा काट कर जेल से हाल ही में बाहर आया था. ऐसे में उस के साथ मुसकान के गायब होने से उस के परिवार वाले ही नहीं, बल्कि मोहल्ले के लोग भी परेशान और आशंकित थे.

अंत में सभी लोग एक राय हो कर सीधे जैतपुरा थाना पहुंच गए, जहां थानाप्रभारी रमेश यादव को पूरी बात बताने के साथ बेटी मुसकान का पता लगाने की गुहार लगाई. तब पुलिस ने 26 नवंबर को ही अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 363 के तहत मामला दर्ज कर काररवाई शुरू कर दी.

रिपोर्ट दर्ज करने के बाद जैतपुरा थाना पुलिस मुसकान और पप्पू को तलाशने लगी. पर दोनों का ही पता नहीं लगा. मुसकान का पता न लगने पर मोहल्ले के लोगों में भी आक्रोश भर गया. लोगों ने पुलिस को आंदोलन करने की भी धमकी दे डाली.

तीसरे दिन सोमवार 29 नवंबर, 2016 को जैसे ही अखबारों के माध्यम से जौनपुर में बच्ची का शव पाए जाने की खबर आजाद कुरैशी को हुई तो वह परिजनों के साथ जौनपुर पहुंच गए. तब पता चला कि वह लाश किसी और की नहीं, बल्कि मुसकान की ही थी.

पप्पू गुप्ता से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे भादंवि की धारा 363, 366, 367(च), 302, आईपीसी व पोक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार कर उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक जहां उस की जमानत नहीं हो पाई थी, वहीं उस के किए पर उस के 2 छोटे भाई और पत्नी भी शर्मसार हैं. उन्हें मोहल्ले वालों के तानों से दोचार होना पड़ रहा है.

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