12वीं जमात में पढ़ने वाले हामिद अशरफ नाम के एक 19 साला लड़के ने 2 सालों में भारतीय रेल को करोड़ों रुपए का चूना लगाया और रेलवे अफसरों को इस की भनक तक नहीं लगी. मामले का खुलासा तब हुआ, जब रेलवे विजिलैंस टीम ने इस की शिकायत बेंगलुरु व लखनऊ की सीबीआई टीम से की. पता चला कि रेल का टिकट बुक करने वाली आईआरसीटीसी वैबसाइट का क्लोन तैयार कर देशभर की कई जगहों से फर्जी तरीके से तत्काल टिकट की बुकिंग की जा रही थी.

इस मामले के खुलासे के लिए रेलवे विजिलैंस व सीबीआई टीम द्वारा पिछले 2 सालों से कोशिश की जा रही थी कि अचानक सीबीआई के हाथ एक क्लू लगा कि देशभर में तकरीबन 5 हजार एजेंटों के जरीए आईआरसीटीसी की वैबसाइट को हैक कर तत्काल टिकटों के कोटे में सेंध लगा दी गई थी और इस का संचालन उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले से किया जा रहा था.

इस के बाद बेंगलुरु की सीबीआई टीम के इंस्पैक्टर टी. राजशेखर और लखनऊ सीबीआई टीम के इंस्पैक्टर रमेश पांडेय की टीम रेलवे विजिलैंस के साथ बस्ती पहुंची और पुरानी बस्ती के थाना प्रभारी रणधीर मिश्र के साथ मिल कर 3 दिनों तक इस मामले के खुलासे की कोशिश करती रही.

आखिरकार पुलिस की मेहनत रंग लाई. 27-28 अप्रैल, 2016 की रात सीबीआई टीम ने पुरानी बस्ती थाने के थाना प्रभारी रणधीर मिश्र व एसआई अरविंद कुमार व रामवृक्ष यादव, एचसीपी रामकरन और महिला सिपाही प्रीति पांडेय के साथ मिल कर दरवाजा नाम की जगह पर बनी एक मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान पर छापा मारा, तो गुफानुमा संकरे गलियारों से होते हुए जब पुलिस के लोग एक कमरे में पहुंचे, तो वहां तकरीबन 19 साला एक किशोर को 10 लैपटौप के बीच काम करता हुआ पाया गया.

उस लड़के ने पुलिस को देखते ही भागने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की मुस्तैदी से वह धर दबोचा गया.

हामिद अशरफ ने बताया कि वह पिछले 2 साल से आईआरसीटीसी का क्लोन तैयार कर वैबसाइट को हैक कर चुका था, जिस के जरीए उस ने नकली सौफ्टवेयर बना कर पूरे देश में तकरीबन 5 हजार एजेंट तैयार किए थे. इन एजेंटों से उसे अच्छीखासी रकम मिलती थी.

जहां रेल महकमा एक टिकट को बुक करने में एक मिनट का समय लगाता था, वहीं हामिद अशरफ द्वारा तैयार किए गए सौफ्टवेयर से 30 सैकंड में ही टिकट की बुकिंग हो जाती थी.

  1. हामिद की चाहत

 हामिद अशरफ ने पुलिस को बताया कि वह बस्ती जिले के कप्तानगंज थाने के वायरलैस चौराहे का रहने वाला है. उस के पिता जमीरुलहसन उर्फ लल्ला बिल्डिंग मैटीरियल का कारोबार करते हैं. लेकिन घर का खर्च मुश्किल से ही चल पाता था. ऐसे में उसे इंजीनियर बनने का सपना पूरा होता नहीं दिखा.

माली तंगी से परेशान हो कर वह अपने मामा के घर आ कर रहने लगा. बस्ती रेलवे स्टेशन के पास ही एक दुकान पर वह रेलवे टिकट निकालने का हुनर सीखने लगा.

चूंकि हामिद अशरफ का झुकाव इंजीनियरिंग की ओर था. ऐसे में रेलवे टिकट की बुकिंग के दौरान उस के दिमाग में एक ऐसी योजना आई, जिस से न केवल उस ने आईआरसीटीसी का सौफ्टवेयर तैयार किया, बल्कि रुपयों की बौछार भी होने लगी.

2. बेचता था सौफ्टवेयर

 हामिद अशरफ ने आईआरसीटीसी की डुप्लीकेट वैबसाइट को बेचने के लिए तमाम सोशल साइटों का सहारा लिया. देखते ही देखते पूरे देश में तकरीबन 5 हजार एजेंटों की फौज तैयार कर ली. इस सौफ्टवेयर को वह 60 हजार से 80  हजार रुपए में एजेंटों को बेचता था.

2 साल में हामिद अशरफ ने नकली सौफ्टवेयर के जरीए इतना पैसा कमा लिया था कि उस के एक ही खाते में तकरीबन 50 लाख रुपए जमा होने की जानकारी पुलिस को हुई.

हामिद अशरफ लोगों की नजर में तब आया, जब उस ने औडी जैसी महंगी गाड़ी की बुकिंग कराई. साथ ही, उस ने अपने पिता के लिए नकद रुपए दे कर एक बोलैरो गाड़ी खरीदी थी.

इंटरनैट पर सर्च कर के हामिद अशरफ ने जानकारी इकट्ठा की थी कि किस तरह से किसी भी साइट को हैक कर इस की सिक्योरिटी में सेंध लगाई जा सकती है.

हामिद अशरफ ने यह कबूला कि उस ने 2 सालों में रेलवे को तकरीबन 16 करोड़ रुपए का चूना लगाया है, लेकिन सीबीआई व पुलिस का मानना है कि यह रकम कई करोड़ रुपए हो सकती है.

3. टूटेगा गिरोह का नैटवर्क

 पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र से पकड़े गए हामिद अशरफ की कारगुजारी को ले कर हर कोई हैरान है. यहां के लोगों को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा कि हामिद इतना बड़ा शातिर निकलेगा.

गिरफ्तारी के बाद उसे सीबीआई की लखनऊ कोर्ट में पेश किया गया, जहां से बेंगलुरु की सीबीआई टीम उसे ट्रांजिट रिमांड पर ले कर बेंगलुरु चली गई.

सूत्रों की मानें, तो सीबीआई बस्ती के अलावा गोरखपुर, संत कबीरनगर, फैजाबाद, गोंडा समेत देश के अलगअलग इलाकों से जुड़े लोगों के बारे में जानकरी इकट्ठा करने की कोशिश कर रही है.

4. रेलवे पर उठे सवाल

भारतीय रेल सेवा के नैटवर्क में 19 साला एक लड़के ने इस तरह से सेंध लगाई कि देखते ही देखते 2 साल में उस ने रेलवे को 16 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया. इस के अलावा देशभर में तैयार किए गए तकरीबन 5 हजार एजेंटों ने पता नहीं कितने रुपए का चूना लगाया होगा.

इस मामले की जांच सीबीआई के हवाले है. बस्ती पुलिस ने बताया कि उस की भूमिका सीबीआई और रेलवे विजिलैंस टीम के साथ हामिद अशरफ की गिरफ्तारी तक थी. इस के बाद क्या हुआ, पुलिस को नहीं पता.

इस मामले के मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी हो चुकी है. अब देखना यह है कि सीबीआई और रेलवे विजिलैंस टीम हामिद अशरफ द्वारा तैयार किए गए देशभर के नैटवर्क को किस तरह से खत्म करती है.

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