महापुरुषों के नाम पर छुट्टियां रद्द करने से उत्तर प्रदेश की सरकार को 50 हजार करोड का लाभ होगा. यह अफसरों द्वारा तैयार की गई आंकड़ों की ऐसी बाजीगरी है जिससे योगी सरकार खुश होकर अपनी पीठ थपथपा रही है. सरकार को खुश करने की कला जानने वाले अफसर योगी सरकार को भी अपनी आंकड़ों की बाजीगरी दिखा रहे हैं. जिसमें गुमराह होकर सरकार खुश है. इसका जनता को क्या लाभ होगा यह दिखाई नहीं दे रहा है. छुटिट्या खत्म होने से काम की क्षमता बढ़ती है. यह सरल सा नियम है. सरकार के आधे से ज्यादा विभाग अनुउत्पादक काम करते हैं. ऐसे में उनसे यह लाभ कैसे मिलेगा सोचने वाली बात है. अगर महापुरुषों के नाम से छुट्टियां खत्म होने से इतना लाभ है तो सरकार को चाहिये कि धार्मिक आधार पर दी जाने वाली छुट्टियों को कम करके कुछ और लाभ कमाने की कोशिश करे जिससे उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी से जल्दी बाहर निकाला जा सके.

योगी सरकार ने महापुरुषों के नाम पर होने वाली छुट्टियों को खत्म किया तो अफसरो ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ को यह बता दिया कि इससे उत्तर प्रदेश सरकार को 50 हजार करोड़ का लाभ होगा. देखिये अफसरों ने यह मुनाफा दिखाया कहां से है. विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण का जवाब देते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी सरकार की जीडीपी करीब रुपये 12 से 12.50 लाख करोड वार्षिक के बीच की है. इस हिसाब से एक महीने में एक लाख करोड का राजस्व मिलता है. 15 दिन की छुट्टियां खत्म होने पर करीब 50 हजार करोड़ का मुनाफा होगा.

दो माह के बाद भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी मनपसंद अफसरों की टीम का गठन नहीं कर पाये हैं. पुलिस विभाग में जिस तरह से अफसरों की तैनाती की गई उनके रैंक को लेकर सवाल उठने लगे हैं. प्रशासनिक अफसरों में वह कोई बड़ा बदलाव नहीं कर पा रहे हैं. शुरुआती दौर में केन्द्र सरकार से वापस लौटे अफसरों को प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी दी गई, पर उसका कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा है. न चाहने के बाद भी मुख्यमंत्री योगी को पुरानी सरकार में खास पदों पर रहे नौकरशाहों को यहां भी बड़ी जिम्मेदारी देने पर मजबूर होना पड़ रहा है. अफसर भी अब ऐसी बातों पर जोर देने लगे है जिनको सुनकर मुख्यमंत्री खुश हों.

पुलिस के एक अधिकारी का बयान आया कि ‘पुलिस उन सड़कों पर सघन चेकिंग अभियान चलायेगी, जहां से पशुओं को लाया ले जाया जाता है.’ उत्तर प्रदेश में अपराध और कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार के दावे हवा हो रहे हैं. सरकार के खिलाफ जनता सड़कों पर है. ऐसे में अफसर इस बात को लेकर सर्तक हैं कि किसी पशु के खिलाफ कुछ गलत न हो. ऊर्जा विभाग के अफसरों के दावे में आकर मुख्यमंत्री ने सभी जिलों को ज्यादा बिजली देने की घोषणा कर दी. हालत यह है कि बिजली की कमी से पूरा प्रदेश परेशान है. सरकार इस बात को मानने को तैयार नहीं है.

असल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा अच्छी है. वह कहते हैं ‘यह पद मेरे लिये दायित्व है. आभूषण नहीं, कर्तव्य है प्रतिष्ठा है पर साथ ही साथ परीक्षा भी है’. योगी के अफसर अपने काम से मुख्यमंत्री की तारीफ पाने के लिये ऐसे काम कर रहे हैं जिससे योगी खुश रहें. अतिउत्साह में किये जाने वाले काम योगी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी शहीद के घर सात्वंना देने गये तो वहां प्रशासन ने एसी से लेकर तमाम तरह के इंतजाम कर दिये. मुख्यमंत्री के वापस आते ही प्रशासन ने वह सब सामान घर से हटवा लिया. जो एक तरह से शहीद का अपमान सा लगा. मुख्यमंत्री योगी को ऐसे अफसरों की करतूतों से सावधान रहना चाहिये. काम भले ही अफसर करते हो पर इनका परिणाम नेताओं को ही भुगतना पड़ता है.

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