22 दिसंबर, 2016 की बात है. जयपुर में कड़ाके की ठंड पड़ रही थी. शाम करीब साढे़ 7 बजे राजस्थान पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के एडिशनल एसपी आशीष प्रभाकर ने अपने मोबाइल से पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया. उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘शिवदासपुरा इलाके में विधानी चौराहे के पास एक कार में एक महिला और एक पुरुष के शव पड़े हैं.’’ कंट्रोल रूम का ड्यूटी अफसर कुछ और पूछ पाता, इस से पहले ही एएसपी प्रभाकर ने फोन काट दिया. ड्यूटी अफसर ने फोन की विश्वसनीयता जानने के लिए पुलिस अधिकारियों के फोन नंबरों की सूची निकाली. उस में एएसपी आशीष प्रभाकर का मोबाइल नंबर देख कर ड्यूटी अफसर ने उस नंबर पर फोन लगाया, लेकिन फोन नो रिप्लाई जाता रहा. कई बार ट्राई करने के बाद भी आशीष के मोबाइल नंबर पर कोई रेस्पांस नहीं मिला.

थकहार कर ड्यूटी अफसर ने पैट्रोलिंग पुलिस टीमों को वायरलैस पर शिवदासपुरा इलाके में विधानी चौराहे के पास कार में 2 शव पड़े होने की सूचना प्रसारित कर दी. वायरलैस संदेश मिलते ही पैट्रोलिंग पुलिस टीमें विधानी चौराहे की ओर रवाना हो गईं. वहां उन्होंने कई जगह देखा, लेकिन ऐसी कोई कार नजर नहीं आई. कई लोगों से पूछताछ भी की, लेकिन किसी कार के एक्सीडेंट होने की भी कोई जानकारी नहीं मिली.

फोन पर मिली सूचना झूठी होगी, यह सोच कर पैट्रोलिंग टीमें वापस लौटने लगीं, तभी एक पैट्रोलिंग टीम को विधानी चौराहे से करीब 500 मीटर दूर एक निर्माणाधीन अस्पताल के सामने पुलिस की बत्ती लगी सरकारी स्कौर्पियो कार खड़ी नजर आई. पुलिस टीम उत्सुकतावश उस कार के पास गई. कार में कोई हलचल नजर नहीं आ रही थी.

पैट्रोलिंग अधिकारी ने स्कौर्पियो पर टौर्च से रोशनी डाली तो वह हैरान रह गया. कार की ड्राइविंग सीट पर बैठे व्यक्ति का सिर स्टीयरिंग पर टिका हुआ था और खून बह रहा था. पैट्रोलिंग टीम के इंचार्ज ने टौर्च की रोशनी से कार के अंदर झांक कर देखा तो आगे की सीट पर बैठी एक महिला भी मृत पड़ी दिखाई दी. महिला के शरीर से भी खून बह रहा था.

पैट्रोलिंग टीम ने घटना की सूचना तुरंत अधिकारियों को दी. सूचना मिलने के कुछ देर बाद ही शिवदासपुरा एसीपी मौके पर पहुंच गए. थोड़ी देर बाद पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल, एटीएस के मुखिया उमेश मिश्रा सहित कई अन्य अधिकारी भी वहां आ गए. कार की ड्राइविंग सीट पर मृत अवस्था में पड़े व्यक्ति को पुलिस अधिकारियों ने तुरंत पहचान लिया. वह एटीएस के एएसपी आशीष प्रभाकर थे. उन के पास ही कार में आगे की सीट पर मृत पड़ी महिला की उस वक्त शिनाख्त नहीं हो सकी. अलबत्ता कार में शराब की खाली बोतल और चिप्स के पैकेट पड़े मिले. आशीष का सर्विस रिवौल्वर भी उन के हाथ में था.

मौके के हालात से लग रहा था कि एएसपी आशीष ने सर्विस रिवौल्वर से पहले कार में अगली सीट पर बैठी महिला को गोली मारी और उस के बाद उसी रिवौल्वर से अपनी कनपटी पर गोली मार ली. सिर में गोली लगने से आशीष की भी मौत हो गई.

यह खबर मिलने पर आशीष के बैचमेट कई अधिकारी वहां पहुंच गए. उन्होंने महिला का शव देख कर यह बात साफ कर दी कि वह आशीष की पत्नी नहीं, बल्कि फ्रैंड थी. लेकिन मृतका का नामपता कोई अधिकारी नहीं बता सका. अलबत्ता आशीष के साथी अधिकारियों से यह बात जरूर पता चली कि उन दिनों आशीष घरेलू विवाद की वजह से तनाव में चल रहे थे. इसी के चलते कुछ समय से वह उदास रहते थे.

कार की जांचपड़ताल के दौरान इस बात के सबूत भी मिले कि आशीष और उन की महिला मित्र के बीच छीनाझपटी हुई थी. 2 गोलियां कार के गेट के शीशे पर और एक गोली कार की छत में लगी मिली. इस से अधिकारियों को लगा कि आशीष ने सुसाइड के लिए जैसे ही अपना सर्विस रिवौल्वर निकाला होगा, तभी उन का अपनी महिला मित्र ने विवाद हुआ होगा. महिला मित्र ने आशीष का रिवौल्वर वाला हाथ पकड़ा होगा, इसी दौरान गोलियां कार के गेट और छत पर लगी होगीं.

अधिकारियों को कार में आशीष के पास से एक सुसाइड नोट भी मिला. सुसाइड नोट में आशीष ने अपनी पत्नी से माफी मांगते हुए लिखा था कि वह गलत रास्ते पर चले गए थे और एक महिला उन्हें ब्लैकमेल कर रही थी. पत्नी अनीता को संबोधित करते हुए उन्होंने सुसाइड नोट में आगे लिखा था कि ‘मैं अपने दोनों बच्चों के लिए बहुत कुछ करना चाहता था, लेकिन समस्या कुछ ज्यादा बढ़ गई थी. इसलिए मुझे ऐसा करना पड़ा, मुझे माफ कर देना.’

सुसाइड नोट मिलने से यह माना गया कि आशीष ने महिला मित्र को कार में बैठाने से पहले ही पूरा मन बना कर सुसाइड नोट लिख लिया होगा. कार में आशीष का मोबाइल भी मिला.

पुलिस अधिकारियों ने आशीष के घर वालों को सूचना दे कर मौके पर बुला लिया. आशीष की पत्नी अनीता उस समय जयपुर में ही चौड़ा रास्ता स्थित अपने मायके में रह रही थीं. आशीष के ससुराल वाले और परिजन घटनास्थल पर आ गए. उन की मौजूदगी में पुलिस ने आवश्यक काररवाई की. विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) के अधिकारियों ने मौके से जरूरी सबूत जुटाए. प्राथमिक काररवाई के बाद रात को ही आशीष और उन की महिला मित्र के शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिए गए.

आशीष करीब 20 दिनों पहले ही एटीएस में आए थे. इस से पहले उन्होंने राजस्थान पुलिस अकादमी में 10 महीने की ट्रेनिंग पूरी की थी. घटना से करीब एक महीना पहले पुलिस अकादमी में वह ट्रेनिंग के दौरान लापता हो गए थे. जब काफी देर तक उन का मोबाइल कनेक्ट नहीं हुआ तो उन की पत्नी अनीता ने पुलिस अधिकारियों को सूचना दे कर नाकाबंदी करवाई थी. बाद में वह जयपुर में ही जलमहल के पास मिले थे. आशीष के अचानक ट्रेनिंग से गायब होने पर काफी विवाद भी हुआ था. बहरहाल, बाद में उन की नियुक्ति एटीएस में हो गई थी.

जांचपड़ताल में यह बात सामने आई कि उस दिन सुबह रोजाना की तरह आशीष करीब 10 बजे अपने औफिस पहुंच गए थे. दिन भर काम करने के बाद वह शाम करीब साढे़ 5 बजे औफिस से निकले थे. उस समय वह अकेले ही थे. बाद में उन्होंने अपनी महिला मित्र को साथ लिया होगा. महिला मित्र के साथ वह सरकारी कार में करीब 2 घंटे तक घूमते रहे. इधरउधर घूमने के बाद वह शिवदासपुरा क्षेत्र में विधानी चौराहे के पास पहुंचे थे. पुलिस रात भर मामले की जांचपड़ताल में जुटी रही.

जांच में सामने आया कि राजस्थान में इंडियन मुजाहिदीन के मौड्यूल को तोड़ने में अहम भूमिका निभाने वाले आशीष पूनम के प्रेमजाल में फंसे हुए थे. आशीष करीब 40 साल के थे. पुलिस को घटना के दूसरे दिन एक और सुसाइड नोट मिला. उस में उन्होंने लिखा था कि पूनम शर्मा ने उन की जिंदगी बरबाद कर दी है. उस ने प्रदेश के कई पुलिस और अन्य अधिकारियों को भी अपनी सुंदरता के जाल में फांस रखा था. वह अपने साथियों के साथ मिल कर मुझे ब्लैकमेल कर रही थी.

एक पुलिस अफसर होने के नाते मैं ने उसे सजा दे दी. आशीष ने इस दूसरे सुसाइड नोट में लिखा था कि पूनम ने प्यार का नाटक कर मुझे व मेरे परिवार को तबाह कर दिया. वह अफसरों को अपनी सुंदरता के जाल में फंसाती थी. अपने इस सुसाइड नोट में आशीष ने पूनम के अलावा रोशन, दीपक, उमेश, प्रभाकर, महेश, नरसीराम व मुकेश मीणा आदि 7 लोगों के नाम और 5 मोबाइल नंबर लिख कर कहा था कि पुलिस इन से पूछताछ करे.

दूसरे दिन आशीष के साथ कार में मृत मिली उन की महिला मित्र की शिनाख्त हो गई. वह पूनम ही थी. इस के बाद पुलिस ने शिवदासपुरा थानाप्रभारी की रिपोर्ट पर आशीष प्रभाकर के खिलाफ पूनम की हत्या करने और उस के बाद सुसाइड करने का मामला दर्ज कर लिया. आशीष और पूनम के शवों का पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस ने शव उन के घर वालों को सौंप दिए.

शव सौंपे जाते समय पूनम के घर वालों ने आरोप लगाया कि आशीष ने पूनम की हत्या कर दी और मरतेमरते उसे बदनाम भी कर गया. पूनम के घर वालों का कहना था कि उस के मोबाइल में न तो आशीष की कोई फोटो है और न ही नंबर. आशीष इस मामले को गलत दिशा दे कर खुद को सही साबित करना चाहता है.

पूनम का शव उस के घर वाले उसी दिन अलवर जिले के टहला थाना इलाके के गांव रामपुरा ले गए. रामपुरा में पूनम की अंत्येष्टि कर दी गई. दूसरी ओर आशीष के घर वालों ने आशीष के शव का जयपुर में ही अंतिम संस्कार कर दिया.

पुलिस की शुरुआती जांचपड़ताल में आशीष व पूनम की जो प्रेम कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है—

आशीष अजमेर में अलवर गेट के रहने वाले जानेमाने साहित्यकार प्रफुल्ल प्रभाकर के बेटे थे. उन की 2 बहनें हैं. एक बहन की ससुराल जयपुर में है और दूसरी की ग्वालियर में. आशीष ने अजमेर के सेंट एंसलम से स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद डीएवी कालेज से ग्रैजुएशन किया. घर में साहित्य का माहौल होने के कारण आशीष ने बाद में पत्रकारिता की पढ़ाई की. उन्होंने एक साल तक एक दैनिक अखबार में बतौर ट्रेनी नौकरी भी की. बाद में उन का चयन राजस्थान पुलिस सेवा (आरपीएस) में हो गया. आशीष अपने काम के प्रति ईमानदार थे. वह शरमीले और सीधेसादे माने जाते थे.

काफी समय से आशीष जयपुर में रह रहे थे. जयपुर में अजमेरी गेट के पास उन्हें पुलिस क्वार्टर मिला हुआ था. दिल्ली पुलिस की स्पैशल सेल और राजस्थान एटीएस ने मार्च 2014 में जयपुर और जोधपुर में एक साथ काररवाई कर के इंडियन मुजाहिदीन मौड्यूल का खुलासा किया था.

इस में आईएम का सरगना तहसीन अख्तर उर्फ मोनू, बम मेकर वकास और जयपुर, जोधपुर तथा सीकर से कई लोग गिरफ्तार हुए थे. इस मामले की खोजबीन आशीष प्रभाकर ने की थी. पुलिसकर्मियों की हत्या कर करीब सवा साल पहले हिरासत से फरार हुए कुख्यात अपराधी आनंदपाल के गिरोह के कुछ गुर्गे पकड़ने में भी आशीष की अहम भूमिका रही थी.

कुछ साल पहले उन्होंने जयपुर में गोपालपुरा बाईपास पर अपने किसी परिचित के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए कोचिंग इंस्टीट्यूट खोला था.

पूनम अलवर जिले के रामपुरा गांव के रहने वाले लक्ष्मणप्रसाद शर्मा की बेटी थी. पूनम की शादी सन 2011 में हो गई थी, लेकिन कुछ समय बाद ही उस का पति से झगड़ा हो गया. उस समय जयपुर के माणक चौक थाने में पूनम की ओर से दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया गया था. आशीष तब माणक चौक इलाके के सर्किल अफसर थे. पूनम की अपने केस के सिलसिले में आशीष से मुलाकात होती थी. इन्हीं मुलाकातों के दौरान पूनम की आशीष से नजदीकियां बढ़ गईं. इस बीच पूनम का अपने पति से तलाक हो गया.

पूनम पढ़ीलिखी थी. पति से तलाक के बाद वह सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगी.  पूनम की इच्छा राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) की अधिकारी बनने की थी. इस के लिए वह आरएएस की कोचिंग करने लगी. आशीष प्रभाकर ने गोपालपुरा बाईपास पर कोचिंग सेंटर खोला तो पूनम उसी में पढ़ने के लिए जाने लगी. इसी दौरान पूनम और आशीष की प्रेमकहानी तेजी से आगे बढ़ने लगी.

सन 2011-12 में शुरू हुई पूनम और आशीष की प्रेमकहानी में करीब 6 महीने पहले उस समय मोड़ आ गया, जब पूनम आशीष पर शादी के लिए दबाव बनाने लगी. इस से आशीष का घरपरिवार बिखरने की नौबत आ गई. घटना से करीब एक महीने पहले आशीष जब आरपीए में ट्रेनिंग कर रहे थे, तब एक दिन आशीष का पूनम से किसी बात पर विवाद हो गया. इस पर पूनम ने जयपुर के बजाजनगर थाने जा कर आशीष प्रभाकर के खिलाफ प्रताड़ना की शिकायत दर्ज करा दी. आशीष को जब इस बात का पता चला तो वह घर से गायब हो गए और ट्रेनिंग छोड़ कर चले गए.

घटना वाले दिन 22 दिसंबर को एएसपी आशीष प्रभाकर शाम करीब साढ़े 5 बजे एटीएस औफिस से निकले. वहां से वह सीधे पूनम के निवास पर गए. इस दौरान उन्होंने शराब भी पी. पूनम को अपनी सरकारी कार स्कौर्पियो में साथ ले कर वह काफी देर तक सड़कों पर घूमते रहे. बाद में वह शिवदासपुरा इलाके में विधानी चौराहे की तरफ चले गए. वहां पहुंच कर आशीष ने फिर शराब पी. इस दौरान उन की पूनम से अपने संबंधों को ले कर बात होती रही.

रात करीब साढ़े 7 बजे आशीष ने अपने मोबाइल से पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर के 2 लोगों के शव पड़े होने की सूचना दी. इस के कुछ देर बाद ही आशीष ने अपना सर्विस रिवौल्वर निकाल लिया. आशीष के हाथ में रिवौल्वर देख कर पूनम घबरा गई. कार में आगे की सीट पर बैठी पूनम ने आशीष से रिवौल्वर छीनने की कोशिश की. इसी छीनाझपटी में रिवौल्वर से गोलियां चल गईं. ये गोलियां कार के शीशे और छत पर लगीं.

आशीष की पकड़ मजबूत थी. उन्होंने रिवौल्वर नहीं छोड़ा, बल्कि इस की जगह पूनम की दाईं कनपटी पर रिवौल्वर लगा कर गोली दाग दी. गोली लगते ही पूनम के सिर से खून का फव्वारा फूट निकला. वह सीट पर लुढ़क गई. आशीष को जब लगा कि पूनम मर चुकी है तो कुछ क्षण बाद उन्होंने अपने सर्विस रिवौल्वर से ही अपनी कनपटी पर गोली मार ली.

गोली लगते ही आशीष के सिर से भी खून निकलने लगा. ड्राइविंग सीट पर बैठे आशीष स्टीयरिंग पर ही लुढ़क गए. बाद में पुलिस को आशीष के रिवौल्वर की मैगजीन में 7 जिंदा कारतूस और कार में गोलियों के 2 खोखे मिले.

मामले की जांच के लिए पुलिस ने एएसपी आशीष प्रभाकर और पूनम के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाईं. इस से पता चला कि आशीष की पूनम से घटना के दिन से पहले 17 दिसंबर को बात हुई थी. जांच में यह भी जानकारी मिली कि आशीष ने दूसरे सुसाइड नोट में 7 लोगों के नाम लिखते हुए जो 5 मोबाइल नंबर लिखे थे, उन में 3 नंबर आशीष प्रभाकर और 2 नंबर पूनम के नाम से जारी हुए थे. पुलिस यह जांच कर रही है कि इन मोबाइल नंबरों के सिमकार्ड का उपयोग कौन कर रहा है. पुलिस यह भी पता लगा रही है कि पूनम के माध्यम से कोई व्यक्ति आशीष को ब्लैकमेल तो नहीं कर रहा था.

घटना के एक सप्ताह बाद 28 दिसंबर, 2016 को जांचपड़ताल के दौरान पुलिस को एटीएस कार्यालय में आशीष प्रभाकर के कमरे की तलाशी के दौरान उन की अलमारी से 2 सुसाइड नोट और मिले. इन में एक सुसाइड नोट में उन्होंने मातापिता से माफी मांगते हुए लिखा था कि ‘मैं आप का अच्छा बेटा साबित नहीं हो सका.’ बच्चों के नाम लिखे गए दूसरे सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा था कि ‘मेरी तरह गलत रास्ते पर मत चले जाना. तुम लोग पढ़ाई करना, कभी हिम्मत मत हारना.’

ये 2 सुसाइड नोट और मिलने से यह बात सामने आई कि आशीष ने पूनम की हत्या करने के बाद सुसाइड करने की योजना पहले ही बना ली थी. आशीष ने घटना को अंजाम देने से पहले 4 सुसाइड नोट लिखे थे. इन में 2 नोट वह अपने औफिस की अलमारी में छोड़ गए थे और 2 नोट साथ ले गए थे.

कथा लिखे जाने तक पुलिस मामले की जांचपड़ताल में जुटी थी. मामले की तह तक जाने के लिए पूनम व आशीष के घर वालों के बयान लिए गए हैं. वहीं एटीएस के अधिकारियों व कर्मचारियों के बयान भी लिए गए हैं. पुलिस का मानना है कि मर्डर और सुसाइड की यह मिस्ट्री बेवफाई के इर्दगिर्द घूमती नजर आ रही है. पुलिस अफसर का मामला होने के कारण फिलहाल पुलिस इस मामले में पूरी गोपनीयता बरत रही है.

अफसरों का मानना है कि पूनम व प्रभाकर की कुछ समय से बात नहीं हो रही थी. इस का बड़ा कारण यह था कि पूनम की कुछ अन्य लोगों से मोबाइल पर बातचीत होती थी. संभवत: इसी बात से प्रभाकर खफा थे. उन्होंने इस बारे में कई बार पूनम को समझाने की कोशिश की, लेकिन पूनम ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. संभवत: पूनम की हत्या की वजह यह भी हो सकती है.

जयपुर में तैनात राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी ने इस मामले में पुलिस विभाग पर ही सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया था कि आशीष प्रभाकर की मौत टाली जा सकती थी. एक होनहार अधिकारी समाज और पुलिस विभाग पर कई सवाल छोड़ गए हैं. मैं जितना इस अधिकारी के बारे में जान सका हूं, यह पुलिस के लिए बड़ा नुकसान है.

ऐसे क्या कारण रहे कि पुलिस विभाग को इस अधिकारी की मानसिक दशा का आभास नहीं हो सका. पुलिस विभाग एक परिवार के रूप में है. क्या आशीष को सब से ज्यादा असुरक्षा और भय अपने ही विभाग से था, जो अपनी व्यथा विभाग के सामने रखने की हिम्मत नहीं जुटा सका. अगर ब्लैकमेलिंग व चीटिंग से परिवार तबाह होने के कगार पर था तो पुलिस पर भरोसा होना चाहिए था. इस के बदले उन्होंने यह मान लिया कि विभाग के अधिकारी उन का पक्ष नहीं मानेंगे और उन्हें हंसी का पात्र बना देंगे.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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