Women’s Cricket World Cup 2025: शुरुआत एक ऐसे शख्स से करते हैं, जिस का नाम है अमोल मजूमदार. क्रिकेट को समर्पित ऐसा इनसान, जो एक समय मुंबई रणजी की जान हुआ करता था. उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 11,000 से ज्यादा रन बनाए हैं, जिन में 30 सैंचुरी भी शामिल हैं.

अक्तूबर, 2023 में जब अमोल मजूमदार को भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हैड कोच बनाया गया था, तब टीम बदलाव के दौर से गुजर रही थी. नए हैड कोच को नई मजबूत टीम बनानी थी. ठीक वैसे ही जैसे हिंदी फिल्म ‘चक दे इंडिया’ में कबीर खान (शाहरुख खान) ने अपनी हौकी टीम को बनाया और चमकाया था.

अमोल मजूमदार की मेहनत से आई इसी चमक का नतीजा आज यह है कि 2 नवंबर, 2025 को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में भारत ने फाइनल मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को हरा कर खिताब अपने नाम किया.

बारिश के खलल से मैच थोड़ा देरी से शुरू हुआ था, पर जब भारतीय महिला टीम बल्लेबाजी करने मैदान पर उतरी, तो उस के बाद वह नया इतिहास बना कर ही खुशी के मारे नाचतीकूदती ड्रैसिंग रूम में लौटी.

टीम इंडिया ने महिला वनडे वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हरा दिया. पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने 50 ओवर में 7 विकेट पर 298 रन बनाए थे, जिस के जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम 246 रन पर सिमट गई.

फाइनल मुकाबले में भारत की ओर से दीप्ति शर्मा के अलावा शेफाली वर्मा ने भी कमाल का खेल दिखाया. शेफाली ने बल्लेबाजी में 87 रन बनाने के अलावा 2 विकेट भी ?ाटके. वे ‘प्लेयर औफ द मैच’ रहीं.

दीप्ति शर्मा ने 5 विकेट अपने नाम किए. वे ‘प्लेयर औफ द सीरीज’ बनीं और फाइनल मुकाबले में उन्होंने
58 रन भी बनाए.

राह नहीं थी आसान

जीतने के बाद सबकुछ सही होता है. पर आज से कुछ साल पहले हाल यह था कि लोग भारतीय महिला खिलाडि़यों के नाम तक नहीं जानते थे. वे किस बैकग्राउंड से आती हैं, इस बात से किसी को कोई लेनादेना नहीं था. एक समय अंजुम चोपड़ा, मिताली राज, झूलन गोस्वामी ने थोड़ाबहुत नाम कमाया था, पर वे भी जनता की नजरों में ज्यादा नहीं चढ़ पाई थीं.

एक इंटरव्यू में मिताली राज ने बताया था कि एक समय ऐसा था जब उन्हें एक मैच खेलने के 1,000 रुपए मिलते थे.

मिताली राज ने ‘लल्नटौप’ को दिए इस इंटरव्यू में कहा था, ‘‘हमारा एनुअल कौन्ट्रैक्ट नहीं था. हमें बीसीसीआई के अंदर आने के बाद एनुअल कौन्ट्रैक्ट मिला. साथ ही हमें कोई मैच फीस भी नहीं मिलती थी.

मुझे लगता है कि जब हम 2005 वर्ल्ड कप में उपविजेता थे और हम लौटे तो हमें उस टूर्नामैंट में हर मैच के लिए 1,000 रुपए दिए गए थे. हम ने 8 मैच खेले थे, तो हमें 8,000 रुपए दिए गए थे.’’

इस बार की वर्ल्ड कप विजेता टीम की बहुत सी लड़कियां छोटे शहरों से आई हैं. कप्तान हरमनप्रीत कौर पंजाब के मोगा शहर की हैं, तो शेफाली वर्मा हरियाणा के रोहतक शहर की हैं. दीप्ति शर्मा उत्तर प्रदेश के आगरा शहर से हैं, तो रिचा घोष पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से वास्ता रखती हैं. उमा छेत्री असम के गोलाघाट से हैं, तो आदिवासी समाज की क्रांति गौड़ मध्य प्रदेश के घुवारा इलाके की हैं. स्मृति मंधाना महाराष्ट्र के सांगली इलाके से हैं.

सैमीफाइनल मुकाबले की स्टार खिलाड़ी जेमिमा रोड्रिग्स, जो मुंबई के बांद्रा की गलियों में पलीबढ़ी हैं, ने बताया कि उन के लिए यह वर्ल्ड कप इतना आसान नहीं रहा था. उन्होंने सैमीफाइनल जीतने के बाद कहा था कि इस पूरे दौरे में मैं तकरीबन हर दिन रोई हूं. मैं मानसिक रूप से ठीक नहीं थी, एंग्जायटी से गुजर रही थी. लेकिन मुझे पता था कि मुझे डटे रहना है.

सैमीफाइनल मुकाबले में अच्छी बल्लेबाजी के बाद जेमिमा रोड्रिग्स ने ‘जीजस’ का शुक्रिया अदा किया था, पर जब वे फाइनल मुकाबले में अच्छी बल्लेबाजी नहीं कर पाईं, तो उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल कर दिया गया था.

फाइनल मुकाबले में जेमिमा के जल्दी आउट होने के बाद सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा, ‘जीसस ने आज मदद नहीं की?’

दरअसल, पिछले साल अक्तूबर में जेमिमा के पिता इवान रोड्रिग्स पर इलजाम लगा था कि उन्होंने क्लब की सुविधाओं का इस्तेमाल धर्म परिवर्तन से जुड़े कार्यक्रमों के लिए किया था. बताया गया कि इवान ब्रदर मैनुअल मिनिस्ट्रीज नामक एक संगठन से जुड़े थे और प्रैसिडैंशियल हाल में कई धार्मिक आयोजन कर धर्म परिवर्तन कराए थे. हालांकि, इन आरोपों पर जेमिमा के पिता ने साफ इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा था कि उन का किसी भी धर्म परिवर्तन से कोई संबंध नहीं है.

इसी तरह फाइनल मुकाबले में अपने बल्ले और गेंद से जलवा दिखाने वाली शेफाली वर्मा तो इस वर्ल्ड कप का हिस्सा ही नहीं थीं. इस टीम की रैगुलर ओपनर प्रतीका रावल इंजर्ड हुईं और फिर शेफाली वर्मा को इस वर्ल्ड कप के सीधे सैमीफाइनल और फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेलने का मौका मिला.

फाइनल मैच में बल्लेबाजी में उन्होंने 87 रन बनाए ही, वहीं 2 विकेट ले कर भी टीम की तरफ मैच झुकाया.

जेमिमा और शेफाली के बहाने हम ने यह बताने की कोशिश की है कि ग्लैमर के इस खेल क्रिकेट में महिला क्रिकेटरों की राह इतनी आसान नहीं है. वे अपने परिवार, रिश्तेदारों और पासपड़ोस के तानों, हिदायतों का बो?ा ले कर बल्ला या गेंद पकड़ने की हिम्मत करती हैं और मर्दों के दबदबे वाले इस खेल में अपना नाम कमाने की कोशिश करती हैं, ऊपर से लोग भी उन की कमियों पर बात का बतंगड़ बनाते हैं.

सब से बड़ी दिक्कत तो उन महिला क्रिकेटरों को होती हैं, जो समाज के उस निचले हिस्से से आती हैं, जिन्हें हर तरह की सहूलियत से दूर रखा जाता है. क्रांति गौड़ इस की जीतीजागती मिसाल हैं. एक समय ऐसा था, जब उन के पास के खाने तक को कुछ नहीं होता था.

बचपन में भाई के जूते पहन कर खेलने वाली क्रांति गौड़ की कामयाबी के पीछे उन के कोच सोनू वाल्मीकि की अहम भूमिका रही. मां ने गहने बेचे, पिता ने मजदूरी की और आज उसी मेहनत का फल है कि क्रांति भारत की नई क्रिकेट सनसनी बन गई हैं.

क्रिकेटर राधा यादव के पिता ने एक इंटरव्यू में बताया कि राधा जब छोटी थी, तभी से उस का क्रिकेटर बनने का सपना था. बेटी के सपने को पूरा करने के लिए कभी गरीबी को आड़े नहीं आने दिया. पहले बहुत मुश्किल 5 से 10 हजार कमा पाते थे और कभी कभी कर्ज भी लेना पड़ता था, लेकिन उन्होंने बेटियों के सपनों को पूरा करने की कोशिश की. जो लोग कल कहते थे कि शर्म नहीं आती लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती है, आज वे ही मिठाई बांट रहे हैं.

अब बदल गए हैं हालात

यह वर्ल्ड कप जीतने के बाद भारतीय महिला क्रिकेट टीम पर पैसों की बरसात हुई है. लोगों से मिली शाबाशी के बाद वे हर लिहाज से मजबूत दिख रही हैं और कप्तान हरमनप्रीत कौर की अगुआई में एकजुट भी लग रही हैं. पर सब से बड़ी बात यह है कि भारत में महिला क्रिकेट खिलाडि़यों को अब दर्शक मिल रहे हैं. फाइनल मुकाबले में स्टेडियम भरा हुआ था और टैलीविजन पर भी करोड़ों लोगों ने इसे देखने का लुत्फ उठाया.

अगर कहें कि इस मैच के शुरू होने से पहले भारत की पुरुष क्रिकेट टीम ने आस्ट्रेलिया में हुए तीसरे टी20 मैच को जीतने के रंग को फीका कर दिया, तो यह सच ही है. वहां हो रही हिंदी कमैंट्री में महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले की चर्चा ज्यादा हो रही थी.

होती भी क्यों न, यह जीत ही इतनी शानदार रही कि इस ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम के सपने को पूरा कर दिया है. साथ ही, इस जीत ने हर उस लड़की को नई दिशा दी है, जो तमाम तरह की मुसीबतें झेलते हुए खेल के मैदान पर अपना कैरियर तलाशती है. Women’s Cricket World Cup 2025

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