Hindi Romantic Story: गीता का ब्याह तो रामशरण से हुआ था, लेकिन वह उसे नहीं चाहती थी. उस का दिल तो अपने पुराने आशिक सुखराम से लगा हुआ था.
शादी के पहले ही संगीता उसे अपना सबकुछ दे बैठी थी. शादी तो घर वालों ने उस की पसंद पूछे बिना ही रामशरण से कर दी थी. उस ने भी घर वालों को अपनी पसंद नहीं बताई थी.
रामशरण चौकीदार था. उस की अकसर नाइट ड्यूटी रहा करती थी. वह सीधासादा आदमी था. रात को 8 बजे टिफिन ले कर घर से निकलता, तो सुबह 8 बजे ही लौटता.
संगीता रात को घर में अकेली रहती. रात को देर तक वह अपने आशिक सुखराम से मोबाइल पर बातें करती थी. वीडियो काल कर के भी अपना हालेदिल बयां करती थी.
आशिक सुखराम संगीता के मायके वाले गांव में रहता था. कभीकभार वह संगीता से मिलने आया करता था.
वह पूरी रात वहीं गुजारता, ऐश करता और सुबह चला जाता.
ऐसा कई महीने तक चलता रहा.
संगीता के पड़ोसियों में सुखराम को ले कर खुसुरफुसुर हुआ करती थी. कोई पूछता, तो संगीता कह देती, ‘‘मेरे सुक्खू भैया हैं, कभीकभार मिलने आ जाते हैं.’’
पड़ोसी इतने नादान नहीं थे. उन्हें शक हो गया था कि चुपचाप रात को आने वाला भैया नहीं, बल्कि सैयां है. कई औरतें इस बारे में खूब रस लेले कर बातें किया करती थीं.
बूढ़ी सुखिया काकी कहती थीं, ‘‘बेचारा रामशरण कमातेकमाते मर रहा है और इधर यह छैलछबीली औरत पराए मर्द के साथ पाप कर रही है. नरक में जाएगी, नरक में. कहे देती हूं कि एक दिन भुगतेगी.
‘‘मैं ने दुनिया देखी है. पराया मर्द किसी का सगा हुआ है क्या… रस ले कर छोड़ देगा. आजकल तो लोग हत्या भी कर देते हैं. कोई बताओ रे, बेचारा रामशरण इस पापलीला से अनजान है अभी तक.’’
जब रामशरण से किसी ने कुछ नहीं बताया, तो एक दिन सुबह सुखिया काकी ने ही हिम्मत दिखाई. उन्होंने काम से लौट रहे रामशरण को अपने घर के पास रोक लिया और पूछा, ‘‘आ गए बेटा…’’
‘‘हां काकी, कैसी हो?’’
‘‘मैं तो ठीक हूं बेटा, तुम अपनी सुनाओ. खड़ी कर दो साइकिल, आओ बैठ जाओ थोड़ा सुस्ता लो.’’
रामशरण जा कर सुखिया काकी के घर में बैठ गया.
‘‘कल रात को तुम्हारा साला आया था. तुम से मुलाकात हुई कि नहीं? वह अकसर रात को आता है,’’ सुखिया काकी ने बताया.
‘‘मु झे कुछ नहीं पता काकी. मेरा कोई साला नहीं है. मेरी पत्नी संगीता अपने मातापिता की एकलौती औलाद है. मैं उस से पूछूंगा कि कौन आता है,’’ रामशरण को शक हुआ.
‘‘लेकिन बेटा, मेरा नाम मत लेना. मु झे तो लगता है कि तुम्हारे साथ धोखा हो रहा है. बुरा मत मानना, लेकिन मुझे तुम्हारी औरत का चालचलन ठीक नहीं लगता.’’
रामशरण घर गया. पहले तो उस के मन में आया कि वह संगीता से पूछे कि कौन आता है, लेकिन बाद में उस ने सोचा कि वह खुद ही पकड़ेगा, पूछताछ करना ठीक नहीं होगा.
उसी दिन रामशरण ने महल्ले के एक लड़के से बात की, ‘‘राजू, मेरे घर की देखभाल किया कर. पता चला है कि कोई आता है.’’
‘‘आप को आज पता चला है, वह तो कई महीने से आ रहा है. चाची कहती हैं कि वह उन का भैया है. अब वह दिखाई पड़ गया, तो आप को फोन करूंगा.
‘‘आप खुद ही पूछ लेना कि वह कौन है. कोई गलत आदमी होगा, तो उस की कुटाई की जाएगी तबीयत से,’’ राजू बोला.
समय गुजरता गया. एक रात रामशरण का फोन बज उठा. उस ने देखा कि राजू का फोन है. उस ने कहा, ‘‘हां, राजू बोल, क्या बात है?’’
‘चाचा, कुछ देर पहले ही वह आदमी आप के घर आया है. आ जाओ जल्दी से.’
‘‘ठीक है बेटा, आता हूं.’’
कुछ देर में रामशरण घर पहुंच गया और उस ने दरवाजा खटखटाया.
‘‘कौन है?’’ अंदर से संगीता की आवाज आई.
‘‘मैं हूं, दरवाजा खोलो,’’ रामशरण बोला.
यह सुन कर संगीता घबरा गई.
उस ने सुखराम को जल्दी से पलंग के नीचे छिपाया और फिर जा कर दरवाजा खोला.
‘‘आज रात को ही कैसे आ गए?’’ संगीता ने पूछा.
‘‘ब्लड प्रैशर की दवा भूल गया था. वही लेने आया हूं.’’
‘‘रुको, मैं ला देती हूं.’’
‘‘नहीं, रहने दो. मैं दवा यहीं खाऊंगा,’’ यह कह कर रामशरण अंदर चला गया.
संगीता दवा और पानी लेने चली गई. इधर रामशरण ने तंबाकू रगड़ना शुरू कर दिया.
‘‘यह क्या? आए हो दवा खाने और तंबाकू खाने लगे. तंबाकू खाते हो, इसीलिए ब्लड प्रैशर बढ़ता है.
फेंको तंबाकू और दवा खाओ,’’ संगीता बोली.
लेकिन रामशरण तंबाकू रगड़ता ही रहा. तंबाकू तेज था. उस ने तंबाकू हथेली पर जोर से ठोंका, तो उस की झार से पलंग के नीचे छिपे सुखराम को खांसी आ गई. अब तो संगीता को काटो तो खून नहीं. वह बुरी तरह घबरा गई.
‘‘कौन हो भाई? कहां छिपे हो? सामने आओ,’’ रामशरण ने कहा.
जब सुखराम नहीं निकला, तो रामशरण ने उसे खींच कर निकाला और पूछा, ‘‘कब से यह खेल चल रहा है?’’
घबराहट के मारे सुखराम कुछ बोल नहीं सका.
‘‘घबराओ नहीं, बोलो… मैं मारपीट नहीं करूंगा भाई,’’ रामशरण बोला.
फिर भी सुखराम कुछ नहीं बोल पाया.
‘‘यह बेचारा नहीं बोल पा रहा है, तो तुम ही बता दो मेरी जान,’’ रामशरण ने संगीता की ओर देख कर कहा.
‘‘पूछ ही रहे हो तो सबकुछ सचसच बता देती हूं. यह मेरा प्रेमी है. मैं इसे ही पसंद करती हूं. इस के बिना जी नहीं सकती,’’ संगीता बोली.
‘‘ठीक है, लेकिन मुझ से शादी क्यों की? मु झे पहले ही बता दिया होता. मैं बिलकुल तुम से शादी न करता. लेकिन अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है.
तुम इस से शादी कर लो,’’ रामशरण ने कहा.
उसी बीच सुखराम भाग खड़ा हुआ.
बाहर राजू डंडा लिए खड़ा था. उस ने सुखराम को पकड़ लिया और पिटाई शुरू कर दी. शोर सुन कर महल्ले के तमाम लोग आ गए वहां. कुछ और लोग भी सुखराम की धुनाई करने लगे.
रामशरण ने बाहर निकल कर उन लोगों को मना किया और कहा, ‘‘इसे जाने दो.’’
राजू ने कहा, ‘‘किस मिट्टी के बने हो चाचा? हमें इसे कूटने दो.’’
‘‘नहीं, जाने दो, मत मारो,’’ रामशरण शांत भाव से बोला.
लोगों ने सुखराम को छोड़ दिया. वह जान बचा कर भागा.
लोग तरहतरह की बातें कर रहे थे. ज्यादातर लोग रामशरण की हंसी उड़ा रहे थे. उसे डरपोक और नामर्द कह रहे थे. उन का कहना था कि पकड़े गए आदमी को खूब कूट कर पुलिस के हवाले करना था.
रामशरण अगले ही दिन संगीता को ले कर उस के मायके गया और उस के मातापिता से सारा हाल कह सुनाया. इतना ही नहीं, उस ने पंचायत बैठा दी और कहा, ‘‘मैं संगीता की शादी सुखराम से करा देना चाहता हूं. इस से मेरी नहीं निभेगी. उसे बुलाया जाए.’’
पता लगाया गया तो सुखराम घर में मिल गया. कुछ लोग उसे पंचायत में खींच लाए.
मुखिया गजाधर काका ने सुखराम से पूछा, ‘‘क्या तुम संगीता से ब्याह करोगे?’’
‘‘मैं क्यों ब्याह करूं… मेरे जैसे इस के कई यार होंगे. बुलाती थी तो चला जाता था. जब यह अपने पति की नहीं हुई, तो मेरी क्या होगी? यह तो मु झ से अपने पति को मरवाने की बात कहती थी. अच्छा हुआ कि मैं हत्या के पाप से बच गया,’’ सुखराम बोला.
सुखराम की यह बात सुन कर पंचायत सन्न रह गई.
रामशरण ने कहा, ‘‘अब मैं कुछ नहीं कर सकता. मैं तो दोनों की शादी कराने आया था. अब मैं इस औरत को नहीं रख सकता. मेरी कोई गलती हो तो आप लोग बताएं.’’
मुखिया ने कहा, ‘‘तुम ठीक कह रहे हो. तुम्हारा कोई कुसूर नहीं है. यह झूठे प्यारवार का चक्कर ही बहुत खराब है. यह हमारे देश में, समाज में तेजी से बढ़ रहा है. इस के चलते हत्याएं हो रही हैं.
‘‘समाज को जागना होगा, वरना बच्चों की इसी तरह जिंदगी बरबाद होगी. मैं बहुत चिंतित हूं. यह समस्या कैसे दूर होगी? क्या हमारे लड़केलड़कियां इसी तरह नाक कटाएंगे?’’
संगीता बहुत रोईगिड़गिड़ाई, लेकिन रामशरण उसे अपने साथ नहीं ले गया.
संगीता अपने मायके में रह कर मेहनतमजदूरी करने लगी. वह पछता रही थी कि अगर नाजायज प्यार में न पड़ती, तो उस की जिंदगी तबाह न होती. Hindi Romantic Story