News Story: यह छोटा सा होटल शहर से दूर था. आज विजय और अनामिका दोपहर से ही यहीं पर थे. लंच से ले कर डिनर तक. इस बीच उन दोनों ने भरपूर प्यार भी किया था. फिलहाल वे दोनों बिस्तर पर लेटे हुए थे. डिनर हो चुका था और थोड़ी देर बाद वे अपनेअपने घर जाने वाले थे.

रात के 9 बजे वे दोनों होटल से बाहर निकले. विजय बोला, ‘‘मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूं. यह सड़क थोड़ी सुनसान लगती है.’’

‘‘अरे, तुम क्यों तकलीफ करते हो. मैं अकेले ही चली जाऊंगी. मैं ने रैपिडो बाइक बुला ली है. बाइक वाले ने कहा था कि वह इस बड़ी सड़क से दूसरी तरफ खड़ा मिलेगा. 2 मिनट का ही तो रास्ता है. तुम निकलो. सुबह लाइब्रेरी में मिलते हैं, ठीक 8 बजे,’’ अनामिका ने विजय के होंठों को चूमते हुए कहा.

विजय ने अनामिका को ‘बाय’ कहा और बाइक स्टार्ट करने लगा.

अनामिका सड़क के दूसरी तरफ चलने लगी. अभी वह कुछ ही दूर गई थी कि अचानक रात के अंधेरे से कुछ आवारा कुत्ते निकल आए. वे भौंक नहीं रहे थे, बल्कि अनामिका को देख कर गुर्रा रहे थे.

अनामिका संभलती, उस से पहले ही एक कुत्ते ने उस पर हमला कर दिया. पीछे हटने की हड़बड़ाहट में अनामिका गिर गई और उस के बाद कई कुत्ते उस पर झपट पड़े.

अनामिका ने होश नहीं खोया, बल्कि एक हाथ में कस कर बैग पकड़ कर उस ने कुत्तों को मारना शुरू किया और दूसरे हाथ से मोबाइल पर विजय का नंबर डायल कर दिया.

विजय ने फोन उठाया तो उसे अनामिका की दबी सी आवाज आई, ‘‘जल्दी आओ, मुझ पर कुछ कुत्ते झपट पड़े हैं.’’

विजय को लगा कि अनामिका कुछ बदमाशों को ‘कुत्ता’ कह रही है और उस की इज्जत पर आंच आई है. उस ने जल्दी से अपनी बाइक मोड़ी और तेज रफ्तार से अनामिका की तरफ बढ़ गया.

इस बीच रैपीडो बाइक वाला लड़का भी वहां आ गया था. उस ने शोर मचा कर कुत्तों को भगाना चाहा, पर वे कुत्ते उस पर भी झपटने लगे, लेकिन काट नहीं पाए.

इस बीच अनामिका को थोड़ा समय मिल गया और वह किसी तरह उठ कर वहां से जाने लगी. उसे कुत्तों ने काट खाया था. वह दर्द से तड़प रही थी.

तभी विजय वहां आ गया और उस ने झट से अनामिका को अपनी बाइक पर बिठाया और पास के प्राइवेट अस्पताल की तरफ चल दिया. तब तक रैपीडो बाइक वाला भी वहां से निकल गया था.

अस्पताल में डाक्टर ने अनामिका के जख्म देख कर कहा, ‘‘आवारा कुत्तों के खौफनाक दांतों का कहर बढ़ने लगा है. अब तो इस तरह के केस बढ़ने लगे हैं. आप चिंता मत करें. हम रेबीज का टीका लगा देंगे और आप के घाव अच्छे से साफ कर देंगे.’’

‘‘डाक्टर साहब, मैं तो कहता हूं कि आवारा कुत्तों के साथसाथ उन कुत्तों पर भी बैन लगना चाहिए, जिन्हें लोग अपने घरों में पालते हैं. मैं ने कुछ वीडियो देखे हैं, जिन में आवारा कुत्ते ही नहीं, बल्कि पालतू कुत्ते भी अचानक से किसी पर भी हमला कर देते हैं. कुत्तों की कुछ नस्लें तो इतनी ज्यादा खतरनाक हैं कि अगर वे बिदक जाएं, तो अपने मालिक को भी काटने से गुरेज नहीं करती हैं,’’ विजय बोला.

‘‘बात सिर्फ कुत्तों के काटने की नहीं है, बल्कि उन से होने वाले लाइलाज रोग रेबीज की भी है. जिसे होता है वह तो अपनी जान से जाता ही है, दूसरों में भी दहशत हो जाती है,’’

डाक्टर के पास खड़ी एक नर्स ने कहा.

‘‘पर डाक्टर साहब, यह रेबीज बला क्या है?’’ विजय ने सवाल किया.

डाक्टर ने बताया, ‘‘आसान भाषा में समझें तो रेबीज एक खतरनाक वायरस है जो कुत्ते, लोमड़ी, बंदर या बिल्ली जैसे जानवरों के काटने से फैल सकता है. अगर किसी इनसान के घाव पर संक्रमित जानवर की लार लग जाए, तो वह रेबीज से संक्रमित हो सकता है. इस का एक ही इलाज है कि तुरंत रेबीज से बचाव का टीका लगवाएं.

‘‘आप को बता दूं कि उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में रेबीज संक्रमण फैलने से एक मासूम की मौत हो गई थी. कुत्ते द्वारा उस का घाव चाटने के कुछ दिनों बाद 2 साल के अदनान की जान चली गई थी. इस घटना के बाद पूरे गांव में दहशत फैल गई थी. यह एक मामला नहीं है, बल्कि हर जगह से ऐसी खबरें आती रहती हैं.’’

‘‘रेबीज से पीडि़त कुत्ते की पहचान क्या होती है?’’ विजय ने दूसरा सवाल किया.

‘‘रेबीज से पीडि़त कुत्ते की पहचान कुछ साफसाफ लक्षणों से होती है, जैसे बिना उकसाए बारबार काटना, आवाज बदलना या भौंकने में दिक्कत, मुंह से झाग निकलना, अजीब चाल, गिरनालड़खड़ाना, इलाके को न पहचान पाना, जबड़ा ढीला होना, आंखों में खालीपन और अजीबोगरीब बरताव.

‘‘अगर कोई कुत्ता रेबीज से संक्रमित होता है, तो वह सिर्फ इनसानों को नहीं, बल्कि किसी भी चीज को काट सकता है. ऐसे कुत्तों का जीवनकाल बहुत छोटा होता है,’’ डाक्टर ने बताया.

‘‘मैं ने भी एक खबर पढ़ी थी कि किस तरह आवारा कुत्तों का खौफ दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भी बढ़ गया है.

‘‘उस खबर के मुताबिक, गलीमहल्ले में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक को ले कर केंद्रीय मंत्री रह चुके और लोक अभियान के अध्यक्ष विजय गोयल ने 15 मार्च, 2023 को जंतरमंतर पर धरना भी दिया था. उन्होंने तब कहा था कि कुत्तों के डर से लोग पार्कों और गलियों में नहीं जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि 28 फरवरी, 2023 को उन्होंने इसे ले कर उपराज्यपाल को चिट्ठी भी लिखी थी,’’ विजय बोला.

‘‘पर डाक्टर साहब, आवारा कुत्तों के आक्रामक होने की वजहें क्या होती हैं?’’ इस बार अनामिका ने डाक्टर से सवाल किया.

‘‘आवारा कुत्तों के आक्रामक बरताव की कई वजहें हैं. अगर ऐसे कुत्तों को लगता है कि कोई शख्स उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है, तो वे उस पर हमला कर सकते हैं. आवारा कुत्तों के निशाने पर बच्चे और बुजुर्ग ही होते हैं. जैसे ही उन्हें मौका मिलता है, वे उन पर हमला कर देते हैं. इस के अलावा कुत्तों के इलाकों में कोई जाता है, तो भी उन्हें अटपटा लगता है और वे लोगों पर हमला कर देते हैं.

‘‘अगर आप को आवारा कुत्ते देखते ही भौंकने लगें, तो आप सतर्क हो जाएं. इस के अलावा अगर कोई आवारा कुत्ता परेशान सा घूम रहा हो, तो भी सतर्क हो जाएं. अगर बच्चे बाहर खेलने जाएं, तो वहां किसी बड़े को भी जरूर होना चाहिए,’’ डाक्टर ने बताया.

‘‘यही वजह है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया. आवारा कुत्ते रेबीज की बढ़ती घटनाओं की बड़ी वजहों में से एक हैं और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता जताई है.

‘‘रेबीज और आवारा कुत्तों की समस्या दुनियाभर में है. इस को ले कर सब से अहम सवाल यह उठता है कि भारत और दुनियाभर में आवारा कुत्तों पर काबू पाने के लिए किस तरह की नीति का पालन किया जाता है?

‘‘वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन का कहना है कि भारत में रेबीज के असली आंकड़ों की जानकारी नहीं है, लेकिन मुहैया जानकारी के मुताबिक, हर साल इस से 18 हजार से 20 हजार मौतें होती हैं.

‘‘सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में साल 2024 में रेबीज से 54 मौतें दर्ज की गईं, जो साल 2023 में दर्ज 50 मौतों से ज्यादा थीं,’’ विजय ने बताया.

यह सुन कर नर्स बोली, ‘‘जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा था कि इस समस्या की सब से बड़ी वजह जिम्मेदार महकमों की लापरवाही है. लोकल अथौरिटी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी.’’

विजय ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘‘11 अगस्त, 2025 को जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की 2 जजों वाली खंडपीठ ने आवारा कुत्तों से जुड़े मसले पर फैसला सुनाते हुए सख्त निर्देश दिया था कि पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 (एबीसी नियम) के तहत एक बार पकड़े जाने और नसबंदी किए जाने के बाद आवारा कुत्तों को उन के इलाकों में वापस नहीं छोड़ा जाना चाहिए.

‘‘इस के बाद देशभर में डौग लवर्स ने एक मुहिम चलाई कि यह आवारा कुत्तों के साथ नाइंसाफी है. हर कुत्ते को शहर में या कहीं भी इनसान के साथ रहने का हक है.

‘‘इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले आदेश में बदलाव करते हुए नया निर्देश दिया कि दिल्ली में सभी आवारा कुत्तों को पकड़ कर नसबंदी और टीकाकरण किया जाएगा. उन्हें जहां से उठाया गया है, वहीं छोड़ दिया जाएगा.

‘‘रेबीज से संक्रमित और आक्रामक कुत्तों को सड़क पर नहीं छोड़ा जाएगा. इस के अलावा नगरनिगम को कुत्तों के लिए अलग फीडिंग पौइंट बनाने होंगे और सड़क या सार्वजनिक जगहों पर खाना खिलाना मना रहेगा. यह आदेश पूरे देश में लागू होगा.

‘‘आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि यह फैसला जनता को राहत देने वाला है और सरकार ईमानदारी से इस समस्या का समाधान करेगी.

‘‘दूसरी ओर दिल्ली के मेयर इकबाल सिंह ने बताया है कि दिल्ली नगरनिगम के पास कोई शैल्टर होम नहीं हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली नगरनिगम के पास 10 नसबंदी केंद्र हैं, जिन्हें बढ़ाया जा सकता है और कुछ शैल्टर होम बनाए जाएंगे.’’

‘‘यह तो सरकारी काम हुआ न. पर क्या इस से आवारा कुत्तों की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा? क्या दिल्ली जैसे बड़े शहर आवारा पशुओं के रहने लायक बचे हैं? कुत्तों के साथसाथ गाय और सांड़ भी खुलेआम सड़कों पर घूमते दिखते हैं. कई बार तो उन्हें बचाने के चक्कर में सड़क पर हादसे भी हो जाते हैं.

2 सांड़ों की लड़ाई में कोई बेकुसूर इनसान भी घायल हो जाता है,’’ अनामिका ने अपनी बात रखी.

इस पर विजय ने कहा, ‘‘तुम सही कहती हो. दिल्ली जैसे शहर जहां हर जगह कंक्रीट की सड़कें बन गई हैं, वहां आवारा कुत्तों का रहना ही सब से बड़ी समस्या बन गया है. वे सड़कों पर ही गंदगी करते हैं, जिस से लोगों का चलना तक दूभर हो जाता है. रात को उन के भौंकने से नींद में खलल पड़ता है. पार्कों में भी आवारा कुत्ते घूमते रहते हैं.

‘‘यही समस्या कुत्ते पालने वालों के साथ भी है. पहले घर ज्यादा मंजिला नहीं होते थे, तो उन्हें संभालना इतना मुश्किल नहीं था, पर अब बहुमंजिला इमारतों का जमाना है. अपार्टमैंट्स कल्चर में हमें अपनी सुविधा के साथसाथ दूसरों की सहूलियत भी देखनी पड़ती है.

‘‘पर लोग समझते ही नहीं हैं. वे अपने कुत्तों को टहलाने के बहाने कहीं भी गंदगी करा देते हैं और साफ भी नहीं करते हैं. इस बात पर आएदिन उन का दूसरों के साथ झगड़ा होता है.

‘‘कई बार तो लोग लिफ्ट से अपने पालतू कुत्ते को ले जाते हैं. क्या लिफ्ट पालतू कुत्तों के लिए बनी है? बिलकुल नहीं, पर वे इसे अपना हक समझते हैं और जब कुत्ता किसी को काट ले, तो वे पीडि़त पर ही दोष लगाते हैं कि तुम बाद में लिफ्ट में आ जाते.’’

डाक्टर ने अनामिका को रेबीज का टीका लगा दिया था और जख्मों पर मरहमपट्टी भी कर दी थी. उन्होंने कहा, ‘‘एक बात और यह कि दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में तकरीबन 10 लाख आवारा कुत्ते हैं, इसलिए सभी के लिए तय फीडिंग स्पौट बनाना बहुत मुश्किल काम है.

‘‘इन हालात में जरूरी है कि नगरनिगम, एनजीओ और ऐक्टिविस्ट मिल कर ऐसे समाधान खोजें, जो आवारा जानवरों के फायदे में हों और साथ ही प्रशासन के लिए भी अपना काम करना आसान हो जाए.

‘‘केवल आपसी सहयोग और समझदारी से ही यह समस्या हल हो सकेगी. वैसे भी कुत्ते हमारे दुश्मन
नहीं है, बल्कि ये बहुत प्यारे होते हैं और सदियों से इनसान के साथ रहते आए हैं.’’ News Story

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