Physical Relationship: आज के मौडर्न दौर में हम जिस समाज में रह रहे हैं, वहां फिल्मों, वैब सीरीज और सोशल मीडिया का हमारी सोच और लाइफस्टाइल पर गहरा असर पड़ रहा है. कई बार फिल्मों और वैब सीरीज में यह दिखाया जाता है कि एक लड़का और लड़की बिना किसी इमोशनल कनैक्शन के केवल फिजिकल रिलेशन बना लेते हैं, एक ऐसा रिश्ता जिस में किसी तरह की कोई बंदिश या जिम्मेदारी नहीं होती. इसे आज की भाषा में हुकअप या मेकआउट कहा जाता है. इस तरह के रिश्तों में अकसर लोग सिर्फ अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए एकदूसरे के करीब आते हैं और जब चाहें इस रिश्ते से अलग हो सकते हैं.

यह एक ऐसा चलन बन चुका है जिस में रिश्ते का कोई नाम नहीं होता, फिर भी नजदीकियां होती हैं. आसान शब्दों में कहें तो यह एक ऐसा तरीका है, जिस से आज की जैनेरेशन फिजिकल अट्रैक्शन और संबंधों को प्रायोरिटी दे रही है. आज के युवाओं के लिए जीवन का मतलब बन गया है ‘आज को जीना’ और ऐंजौय करना’. उन के लिए रिश्तों का मतलब सिर्फ एक फन ऐक्टिविटी बन कर रह गया है. वे मानते हैं कि अगर बिना किसी जिम्मेदारी या इमोशनल इन्वौल्वमैंट के उन की जरूरतें पूरी हो रही हैं, तो इस में गलत क्या है?

इस सोच का सब से बड़ा आधार यही है कि दोनों लोग इस रिश्ते को सिर्फ एक ऐंजौयमैंट मानें, कोई जिम्मेदारी नहीं, कोई सवालजवाब नहीं. लेकिन अकसर होता यह है कि समय के साथ एक इनसान इमोशनली इन्वौल्व होने लगता है और तब शुरू होती है वह तकलीफ जो शब्दों में नहीं कही जा सकती. ऐसे रिश्ते धीरेधीरे इनसान के अंदर के इमोशन्स को खोखला कर देते हैं. बारबार की नजदीकियां और दूरियां, भरोसे का टूटना और साथ का न होना ये सब मिल कर उसे अंदर से तोड़ने लगते हैं. फिजिकल रिलेशनशिप एक ऐसा इमोशनल जख्म बन जाता है जो लंबे समय तक दर्द देता है.

अकसर लोग इस दर्द को पहचान नहीं पाते, लेकिन इस का असर उन के आने वाले रिश्तों पर भी पड़ता है. वे या तो किसी से जुड़ने से डरने लगते हैं या फिर रिश्तों को सिर्फ एक खेल समझने लगते हैं. इस का गंभीर नतीजा भी हो सकता है. Physical Relationship

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