Best Hindi Story: रोमा बचपन से ले कर जवानी तक कसबे में ही पलीबढ़ी थी. जब उस का ब्याह कमल से हुआ तब वह बेहद रोमांचित थी.
कमल एक होनहार नौजवान था. उस ने राजधानी दिल्ली में एक अच्छी नौकरी पा ली थी. शादी के बाद वह रोमा को अपने साथ दिल्ली ले गया.
रोमा को दिल्ली की यह नई जिंदगी अनोखी ही लगी. एक साल तो जैसे पलक ?ापकते ही गुजर गया.
कमल सुबह 7 बजे घर से निकल जाता था और शाम के 7 बजे के बाद ही वापस घर लौट कर आता था. रोमा का एक साल तो घर को सजाने और संभालने में ही बीत गया था. उस के बाद उसे अपनी दिनचर्या में बदलाव करने की इच्छा होने लगी थी.
वैसे, कमल उस से कभी भी कुछ नहीं कहता था. उस ने रोमा पर कभी भी कोई बंधन या दबाव नहीं डाला कि वह उस की मरजी से कुछ करे.
कमल जब 27 साल का था, तो रोमा महज 23 साल की थी. वह रोमा पर जबरदस्ती कोई विचार थोपना नहीं चाहता था.
रोमा को क्राफ्ट का काम बहुत अच्छी तरह आता था. कालेज में वह अपनी सहेलियों के लिए पर्स, हैंडबैग वगैरह तैयार कर के गिफ्ट में दिया करती थी.
रोमा अब अपनी इसी कला को निखारना चाहती थी. उस ने सब से पहले आसपास के क्लब वगैरह का बारीकी से मुआयना किया. जल्दी ही उस ने 1-2 जगह की सदस्यता भी ले ली. अब वह सब से खुल कर मिलनेजुलने लगी. औरों को भी रोमा का अच्छा बरताव बहुत पसंद आया था.
रोमा ने उन को अपनी क्राफ्ट कला के बारे में बताया. वह इस हुनर में बहुत अच्छी थी, ऐसा उस की बातों से साफ महसूस होता था.
रोमा एक समूह बना कर इस काम को आगे ले जाना चाहती थी. पर्स और हैंडबैग बनाने के नए तरीके सीखने के लिए सभी उतावली हो गईं. सीखनेसिखाने का मजा ही कुछ अलग था, इसलिए रोमा का समय शानदार तरीके से गुजरने लगा. कमल को भी खुशी हुई कि रोमा अपने समय का सही इस्तेमाल कर रही है.
इसी बीच कमल का प्रमोशन हो गया. कंपनी ने तनख्वाह बढ़ाई, तो एक कमरे का यह मकान छोड़ कर कुछ दूरी पर एक फ्लैट किराए पर ले लिया. यह 8 मंजिल की एक शानदार बिल्डिंग थी. तकरीबन सारे ही फ्लैट भरे हुए थे.
रोमा और कमल के पास कम सामान था, इसीलिए शिफ्ट करना बहुत आसान था. फटाफट सब हो गया. उन के ठीक सामने वाले फ्लैट में ताला लगा था. रोमा और कमल ने सोचा कि वे शायद कहीं बाहर गए होंगे.
2 दो दिन बाद घर सैट हो गया, इसलिए रोमा और कमल ने एक शानदार पार्टी दी. पार्टी में उस ने अपने समूह की सहेलियों को भी न्योता दिया.
फ्लैट के आसपास किसी से इतनी ज्यादा जानपहचान नहीं थी, इसलिए अभी उन में से किसी को नहीं बुलाया था. सामने वाले फ्लैट की कविता एक सुबह मिली थी. वह सिंगल थी. एयरलाइंस में नौकरी करती थी, इसलिए वह बाहर ही रहती थी. वह कम बोलती थी, इसलिए रोमा और कमल ने भी खुद को सीमित ही रखा.
इस बिल्डिंग में लिफ्ट भी थी. कुलमिला कर अच्छा था यह फ्लैट. सभी सहेलियों को रोमा ने अपने बनाए हैंडबैग गिफ्ट में दिए. रोमा सचमुच हैंडबैग बनाने में माहिर थी. खानापीना हुआ. मजा ही आ गया था.
कमल ने भी सब से मेलमुलाकात की. बहुत अच्छा लगा. पार्टी के बाद जब कमल और रोमा हंसतेहंसते बाहर निकल रहे थे, तो सीढ़ी चढ़ते हुए झरनाजी ने देख लिया. वे इन सब को शकभरी नजर से देखने लगीं. रोमा ने उन का चेहरा पढ़ लिया था.
हौलेहौले सब से जानपहचान होने लगी. अब रोमा को पता लगा कि झरनाजी इस बिल्डिंग में सब से पुरानी हैं और वे किराएदार नहीं हैं. वे इस चौथी मंजिल के एक फ्लैट की मालकिन हैं. बुजुर्ग हैं, इसलिए अपनी चलाती हैं.
झरनाजी रोमा और उस की सहेलियों की खूब जासूसी करती थीं. एक दिन तो लिफ्ट के लिए इंतजार करती रोमा और उस की सहेलियों को झरनाजी ने लिफ्ट में घुसने नहीं दिया. वे बोलीं, ‘‘मेरे पास बहुत सारा सामान है. जरा रुको. बाद में जाना.’’
मगर काफी देर बाद भी लिफ्ट आई ही नहीं. रोमा समझ गई कि झरनाजी लिफ्ट को रोके हुए हैं. खैर, तीसरी मंजिल पर जाना था. वे सब सीढि़यों से चली गईं.
रोमा झरनाजी की इस हरकत को भूल गई. दरअसल, रोमा को बहुत काम करना था. अब उन का समूह ‘एंजिल ग्रुप’ के नाम से हैंडबैग बना रहा था.
कुछ दिन बाद वे लोग झुग्गी बस्ती में जा कर हैंडबैग बनाने की वर्कशौप करने वाले थे. इसी सिलसिले में रोमा के घर पर अकसर बैठक होती थी.
झरनाजी की किटी में सदस्य कम हो रहे थे. रोमा उन के जाल में फंस ही नहीं रही थी, इसलिए झरनाजी उस से मन ही मन जलने लगी थीं.
एक दोपहर रोमा और उस की सभी सखियों की मीटिंग चल रही थी कि तभी घंटी बजी.
रोमा ने दरवाजा खोला. वह हैरान रह गई. महिला पुलिस का जत्था उस के फ्लैट के बाहर था.
‘‘हमें तलाशी लेनी है. शिकायत मिली है कि इस जगह गलतसलत काम हो रहा है,’’ एक पुलिस वाली ने धमकाते हुए कहा.
रोमा ने यह सुना तो उसे चक्कर से आने लगे. वह सदमे से एकदम खामोश हो गई.
महिला पुलिस ने रोमा के फ्लैट का मुआयना किया. वहां तो क्राफ्ट का सामान, होनहार और मेहनती औरतों के सिवा कुछ न मिला.
अब तक रोमा भी होश में आ चुकी थी. महिला पुलिस ने रोमा से माफी मांगी. तब तक कमल भी वहां पहुंच
गया था.
महिला पुलिस ने कमल से भी माफी मांगी, ‘‘ये सब तो इतनी मेहनती हैं. मगर इस फोन नंबर से हमें शिकायत मिली थी कि आप के फ्लैट में गलत काम किया जा रहा है. हम सचमुच शर्मिंदा हैं कि इतनी हुनरमंद महिलाओं पर छापा मारने आ गए.’’
इतना ही नहीं, महिला पुलिस ने रोमा के ‘एंजिल ग्रुप’ के बारे में जाना. उन सब के मोबाइल नंबर लिए. उन का काम देखा और सब ने मिल कर पूरे 50 हैंडबैग खरीद कर उसी समय उन को नकद भुगतान भी कर दिया.
यह सब देख कर कमल की खुशी का ठिकाना न था. रोमा ने तो अपने हुनर के दम पर नाम कर लिया था, वह भी इतनी जल्दी.
मेहनत की कमाई के इतने सारे रुपए देख कर रोमा की सभी सहेलियां भी खुशी से झूम उठीं. पुलिस की सभी महिला सदस्य उन की बारबार तारीफ करते हुए वापस लौट गईं.
अब कमल ने वह नंबर चैक किया, जिस नंबर से महिला पुलिस को शिकायत की गई थी. यह नंबर ?ारनाजी का था.
‘‘ओह, यानी झरनाजी की इतनी गिरी हुई हरकत,’’ कमल और रोमा हैरान थे.
कुछ देर बाद सभी सहेलियां चली गईं. शाम हो गई थी. कमल लौट कर दफ्तर नहीं गया. उस ने बाकी का सारा काम घर से ही किया.
रोमा का मन कुछ उदास था. वह सोच रही थी कि झरनाजी को आखिर ऐसा करने की क्या सूझा.
मगर कमल ने रोमा को दिलासा दिया और कहा, ‘‘इस में फायदा तो तुम को ही मिला. नाम का नाम हुआ, दाम भी हाथोंहाथ मिला. आगे का रास्ता भी बन गया.’’
‘‘ओह हां, सचमुच कमल. झरनाजी की चाल तो उलटी पड़ गई,’’ रोमा की आंखों में तो उस के हुनर का आत्मविश्वास झलक रहा था.
उधर झरनाजी शर्म के मारे बिल्डिंग में किसी को अपना मुंह तक नहीं दिखा पा रही थीं. Best Hindi Story