Social Issue : हाल ही में दिल्ली के पश्चिम विहार पूर्वी थाना क्षेत्र में सुबहसुबह एक नौजवान ने होटल के कमरे में फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली. उस नौजवान की पहचान निहाल विहार के रहने वाले 24 साल के अभिनव सागर के तौर पर की गई थी.

पुलिस को घटना की जानकारी 13 फरवरी की सुबह तकरीबन सवा 7 बजे मिली थी. मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने पाया कि वह नौजवान अभिनव सागर फंदे पर लटका था. उसे फंदे से उतार कर पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे मरा हुआ बता दिया.

जांच में पता चला कि जिस कमरे में उस नौजवान ने खुदकुशी की थी, उसी कमरे में उस की महिला मित्र भी साथ थी. एक पुलिस अफसर के मुताबिक, होटल का कमरा अभिनव ने ही बुक करवाया था. गुरुवार को देर शाम वे दोनों होटल में आए थे.

लड़की ने पुलिस को बताया कि पिछले कुछ दिनों से उन के बीच किसी बात को ले कर झगड़ा चल रहा था. बीती रात को भी कमरे में उन के बीच पुरानी बात को ले कर झगड़ा हुआ था. झगड़े के बाद वे दोनों सो गए थे.

सुबह जब वह लड़की उठी, तो उस ने देखा कि अभिनव बिस्तर पर नहीं था. उस ने शौचालय में जा कर उसे देखा, तो अंदर अभिनव फांसी के फंदे पर लटका हुआ था.

पुलिस अफसर ने बताया कि जांच में पता चला कि महिला मित्र के साथ पिछले एक साल से उस की दोस्ती थी. हालांकि, पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला.

पुलिस ने अपराध शाखा और फोरैंसिक टीम को घटना वाली जगह पर बुलाया, जिस ने कमरे से सुबूत इकट्ठा किए. पुलिस ने होटल मुलाजिमों से पूछताछ करने के साथसाथ सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की.

इस तरह के हालात से बचाव के अनेक रास्ते हैं. डाक्टर जीआर पंजवानी के मुताबिक, ‘‘जब हम किसी बात पर हद से ज्यादा दुखी हो जाते हैं, तो हमारी जिंदगी में मानो अंधकार सा छाने लगता है. ऐसा लगता है कि आगे सब बेकार है और इनसान खुदकुशी करने को उतारू हो जाता है.

‘‘दरअसल, ऐसे हालात से बचने का सब से आसान रास्ता यह है कि हम यह सोचें कि आज जो जिंदगी में मुश्किलें हैं, वे बदल जाएंगी, मैं इसे बदल सकता हूं, मैं सम झा सकता हूं, मैं कर सकता हूं. इस दृढ़संकल्प के साथ कोई भी खुदकुशी के घेरे से बाहर निकल सकता है.’’

आज इस तरह हमारा समाज एक ऐसी समस्या से जू झ रहा है, जो हमारे नौजवानों को अपनी जद में ले रही है. खुदकुशी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर हमें तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.

खुदकुशी के पीछे की वजह को सम झना मुश्किल है, लेकिन यह साफ है कि यह एक जटिल समस्या है, जिस में कई कारक शामिल हैं. मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, सामाजिक दबाव, आर्थिक समस्याएं और निजी संबंधों में समस्याएं सभी खुदकुशी के जोखिम को बढ़ा सकती हैं.

लेकिन, यह भी खास है कि हम खुदकुशी को एक निजी समस्या के रूप में न देखें. यह एक सामाजिक समस्या है. हमें अपने समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है और लोगों को खुदकुशी के विचारों से निबटने के लिए संबल प्रदान करने की जरूरत है.

हमें यह भी सम झने की जरूरत है कि खुदकुशी को रोकने के लिए समय पर दखलअंदाजी करना खास है. अगर आप या आप के किसी परिचित को खुदकुशी के विचार आ रहे हैं, तो तुरंत मदद लेना जरूरी है. हमें अपने आसपास के लोगों के प्रति ज्यादा हमदर्दी से भरा होने की जरूरत है.

खुदकुशी की समस्या का समाधान करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता संगठन को एकसाथ मिल कर काम करने की जरूरत है. हमें अपने समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने, लोगों को समर्थन प्रदान करने और समय पर दखलअंदाजी देने की जरूरत है.

मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने समाज में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने की जरूरत है. हमें लोगों को यह सम झाने की जरूरत है कि मानसिक स्वास्थ्य उतना ही महत्त्वपूर्ण है, जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य.

लोगों को यह भी सम झाने की जरूरत है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं किसी को भी हो सकती हैं और यह किसी भी इनसान की कमजोरी नहीं है.

खुदकुशी के लिए उतारू शख्स को यह सम झाने की जरूरत है कि वह अकेला नहीं है और हम उन के साथ हैं. हमें लोगों को समर्थन प्रदान करने के लिए अपने समय और संसाधनों को समर्पित करने की जरूरत है.

समय पर दखलअंदाजी करने के लिए हमें अपने आसपास के लोगों के बरताव में बदलाव को पहचानने की जरूरत है.

हमें लोगों को यह समझाने की जरूरत है कि खुदकुशी के विचार आना एक गंभीर समस्या है और इस के लिए तुरंत मदद लेने की जरूरत है. हमें लोगों को समर्थन प्रदान करने के लिए अपने समय और संसाधनों को समर्पित करने की जरूरत है.

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