Narendra Modi : दरअसल, एक बार फिर आईने की तरह साफ हो चुका है कि चाहे देश कितने ही अंधविश्वास में डूब जाए, यहां शिक्षा, चिकित्सा, प्रगति चाहे हो या न हो, मगर हाथ में तो हिंदुत्व की मशाल है और नजरिया यह है कि इसी आधार पर देश की जनता हमेशा सिरआंखों पर बैठाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी, 2025 को त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई और कहा, “मां गंगा का आशीर्वाद पा कर मेरे मन को असीम शांति और संतोष मिला.”
वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच संगम में स्नान करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरी बांह का केसरिया रंग का कुरता और नीले रंग का पाजामा पहने देखा गया. उन्होंने रुद्राक्ष की माला से जाप भी किया. उन के गले में भी रुद्राक्ष की एक माला थी. उन्होंने दूध से गंगा का अभिषेक किया और माला फूल चढ़ा कर आरती की.
इस के बाद पुरोहितों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माथे पर चंदन का तिलक लगाया और उन्हें गंगा जल का आचमन कराया.
संगम में स्नान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विधिविधान से पूजनअर्चन किया. काला कुरता और केसरिया पटका व हिमाचली टोपी पहने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैदिक मंत्रों और बोलों के बीच त्रिवेणी संगम में अक्षत, नैवेद्य, पुष्प, फल और लाल चुनरी अर्पित की. इस के अलावा उन्होंने संगम स्थल पर तीनों नदियों की आरती की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘प्रयागराज महाकुंभ में आज पवित्र संगम में डुबकी के बाद पूजाअर्चना का परम सौभाग्य मिला. मां गंगा का आशीर्वाद पा कर मन को असीम शांति और संतोष मिला है. उन से समस्त देशवासियों की सुखसमृद्धि, आरोग्य और कल्याण की कामना की. हरहर गंगे.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पोस्ट में संगम में डुबकी लगाते, सूर्यदेव को अर्घ्य देते, गंगा को प्रणाम करते और रुद्राक्ष की माला जपते हुए अपनी तसवीरें भी साझा कीं. दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी एक पोस्ट कर कहा , ‘भारत की एकता के महायज्ञ महाकुंभ 2025, प्रयागराज में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पवित्र त्रिवेणी संगम में पावन स्नान कर मां गंगा, मां यमुना, मां सरस्वती का शुभाशीष प्राप्त किया. हरहर गंगे.’
कुलमिला कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह धार्मिक कर्मकांड सार्वजनिक रूप से किया है वह संविधान के विरुद्ध है और भारतीय लोकतंत्र में परंपराओं को अगर हम देखें तो भी पहले ऐसा कभी दिखाई नहीं देता कि किसी प्रधानमंत्री ने कुंभ या किसी बड़े धार्मिक आयोजन में पहुंच कर इस तरह स्नानध्यान किया हो और त्रिवेणी में पूजाअर्चना की हो.
दरअसल, हमारे देश में संविधान इतना लचीला है कि उसे किसी भी तरह किसी भी तरफ घुमाया जा सकता है. अगर कोई यह रहेगा कि यह संविधान के खिलाफ है तो सवाल खड़े हो जाएंगे कि संविधान में कहां लिखा है कि हमें अपने धर्म से अलग होना होगा और हम धार्मिक आयोजन में नहीं जा सकते.
दरअसल, बहुत सी बातें ऐसी होती हैं, जो लिखी नहीं जाती हैं, मगर समझी जाती हैं. भारतीय जनता पार्टी की देश में जब से सरकार आई है, धर्म और धार्मिकता अपने उफान पर है और सत्ता हासिल करने के लिए जिस तरह हिंदू धर्म को आगे रख कर आज हर एक राजनीतिक और सामाजिक गतिविधि को अंजाम दिया जा रहा है, वह आने वाले समय में इस देश को एक ऐसे चौराहे पर खड़े कर देगी, जहां से रास्ता सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान, अफगानिस्तान और आज के बांग्लादेश की ओर जाता है.