Social Story : अशरफ महक को ब्याह तो लाया था, पर बिस्तर पर जाते ही वह ढेर हो जाता था. महक के अरमान पूरे नहीं होते थे. वह हवस की आग में जलने लगी थी. तभी सलीम उस की जिंदगी में आया और दोनों में नाजायज रिश्ता बन गया. एक दिन अशरफ को इस की भनक लग गई. आगे क्या हुआ?

उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर का रहने वाला अशरफ नईनई शादी कर के महक को अपने घर लाया था. महक जैसी खूबसूरत बीवी पा कर उस की खुशी का ठिकाना नहीं था.

अशरफ खुश होता भी क्यों न, महक तो सचमुच की महक थी. गोरा बदन, गुलाबी होंठ, सुर्ख गाल, काले घने लंबे बाल और जब वह हंसती थी, तो उस के सफेद दांत ऐसे लगते थे, जैसे मोती बिखर रहे हों.

सुहागरात पर जब अशरफ ने महक का घूंघट उठाया, तो उस के मुंह से अनायास ही निकल गया, ‘‘वाह, क्या बेशकीमती तोहफा मिला है मुझे…’’

अशरफ से अपनी तारीफ सुन कर महक शरमा गई और अपनी हथेली से अपने चेहरे को ढकते हुए बोली, ‘‘इतनी तारीफ मत करो मेरी.’’

‘‘मैं तो सिर्फ तुम्हारे उस हुस्न की तारीफ कर रहा हूं, जिस पर सिर्फ मेरा हक है. सम?ा में नहीं आता कि इस हुस्न को यों ही रातभर देख कर गुजारूं या इस का स्वाद चखूं…’’

महक धीरे से बोली, ‘‘आप बड़े शरारती हो.’’

अशरफ ने कहा, ‘‘शरारत अभी की ही कहां है. अभी तो तुम्हारे हुस्न को देख कर आंखों को ठंडक पहुंचाई है, दिल की ठंडक दूर करना तो अभी बाकी है.’’

इस के बाद अशरफ ने बड़े प्यार से महक के गहने उतारने शुरू किए. वह एकएक कर महक के गहने उतारता रहा और उस के हुस्न की तारीफ करता रहा.

इसी तरह महक के हुस्न की तारीफ करतेकरते आधी रात गुजर गई, पर अशरफ आगे बढ़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.

महक का दिल जोरों से धड़क रहा था. अशरफ के एकएक अल्फाज और उस के हाथों की छुअन से महक के बदन में सरसराहट दौड़ रही थी.

काफी रात बीत जाने के बाद अशरफ ने महक के कपड़े उतारने शुरू किए.

महक के गोरे और कमसिन बदन को देख कर अशरफ धीरेधीरे आगे बढ़ रहा था. वह उस की नाभि पर अपने गरमागरम होंठ रख कर उसे चूम रहा था.

महक मदहोश होती जा रही थी. उस ने हिम्मत कर के अशरफ को अपने ऊपर खींच लिया. पर यह क्या, अशरफ अभी उस के शरीर में उतरा ही था कि तभी ढेर हो गया. वह करवट ले कर लेट गया.

महक अशरफ की इस हरकत पर हैरान रह गई. उस के तनबदन में तो मानो आग लगी हुई थी, पर उस का शौहर तो शुरू होने से पहले ही ढेर हो गया था.

महक अशरफ के उठने का इंतजार कर रही थी, क्योंकि अशरफ उस के तनबदन में आग सुलगा कर खुद लुढ़क गया और उसे हवस की आग में जलता हुआ छोड़ दिया.

काफी देर बाद अशरफ फिर उठा और महक से बोला, ‘‘मैं थक गया हूं. आज मूड सही नहीं है. हम कल सारी कसर पूरी करेंगे.’’

महक अशरफ के चेहरे को गौर से देख रही थी और सोच रही थी, ‘क्या अरमान संजोए थे सुहागरात के और क्या हो गया…?’

यह अब रोज की बात हो गई. अशरफ बिस्तर पर बातों से महक को खुश करने की कोशिश करता रहता था. कभी उस की खूबसूरती की तारीफ कर के, तो कभी उसे गले लगा कर या फिर उसे अपनी बांहों में भर कर, पर जब महक का दिल करता कि अशरफ उस की जिस्मानी भूख मिटाए, तो अशरफ वक्त से पहले ही ढेर हो जाता और महक के तनबदन में आग लगा कर उसे जलता हुआ छोड़ देता.

काफी दिनों तक ऐसा ही चलता रहा. अब महक को अशरफ की हरकतों पर गुस्सा आने लगा था और उस ने एक दिन अशरफ से बोल ही दिया, ‘‘तुम अपनी आग को तो शांत कर लेते हो, पर मेरी आग को भड़का कर बीच रास्ते में ही मुझे तनहा छोड़ देते हो. ऐसा कब तक चलेगा?’’

अशरफ बोला, ‘‘मैं रोज तो तुम्हें खुश करने के लिए सैक्स करता हूं. बताओ, क्या हम एक भी दिन बिना सैक्स के रहे हैं? और मैं कितना सैक्स करूं?’’

महक बोली,‘‘हां, सैक्स करते हो, पर तुम सिर्फ अपनी ख्वाहिश का खयाल रखते हो, मेरा नहीं. तुम्हारा तो रोज हो जाता है, पर मुझे संतुष्ट कौन करेगा?

‘‘मेरा भी दिल है, मेरी भी उमंगें हैं. तुम तो अपना कर के एक तरफ को मुंह कर के सो जाते हो और मुझे सुलगता हुआ बीच रास्ते में ही छोड़ देते हो.’’

अशरफ झल्लाते हुए बोला, ‘‘करता तो मैं रोज हूं. और कितना करूं. मैं भी इनसान हूं, कोई जानवर नहीं.’’

महक समझ गई कि उसे खुश करना अशरफ के बस की बात नहीं है. वह सिर्फ बातों से ही उसे खुश करना जानता है.

महक अशरफ की बात सुन कर हैरान रह गई. उस ने अपने जज्बात को दफन कर दिया और चुप रहना ही बेहतर समझ.

कई महीनों तक ऐसा ही चलता रहा. जिस्मानी सुख न मिलने की वजह से और दिनरात अशरफ की अधूरी हरकत सोचते रहने से महक के सिर में दर्द रहने लगा.

महक पूरी तरह टूट चुकी थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, किस से अपना दुखड़ा रोए. कौन उस की सुनेगा, उलटा उसे ही बदचलन सैक्स की प्यासी कहेगा.

एक दिन महक अपनी छत पर कपड़े उतारने गई. शाम का समय था. महक ने हलका गुलाबी रंग का सूट पहना हुआ था. वह छत पर टंगे कपड़े उतार ही रही थी कि उस का दुपट्टा नीचे गिर गया.

महक ने इधरउधर देखा कि कोई है तो नहीं कि तभी उस की नजर पड़ोस वाली छत पर खड़े सलीम पर पड़ी, जो अपनी हसरत भरी निगाहों से महक की खूबसूरती को ताड़ रहा था.

दुपट्टा हटते ही महक के बडे़बड़े उभार दिखने लगे. सलीम से रहा नहीं गया और वह बोल उठा, ‘‘भाभी, आप तो कसम से कयामत ढा रही हो.’’

अपनी तारीफ सुन कर महक मुसकरा दी और जल्दी से नीचे चली गई.

सलीम मन ही मन सोच रहा था कि महक उस के प्यार के जाल में फंस सकती है और अपने खूबसूरत बदन की खुशबू उसे भी दे सकती है.

सलीम वैसे तो अशरफ के घर पर कम ही आताजाता था, पर अब वह किसी न किसी बहाने उस के घर आनेजाने लगा.

सलीम एक अमीर बाप की औलाद था, जो अपने रहनसहन और घूमनेफिरने पर काफी ज्यादा पैसा खर्च करता था.

जब अशरफ काम के सिलसिले में घर से बाहर जाता, तो सलीम कुछ न कुछ ले कर अशरफ के घर चला जाता और ‘भाभीभाभी’ कह कर महक को गिफ्ट देता रहता था.

धीरेधीरे सलीम की दोस्ती महक से बढ़ती गई. अब सलीम कभी महक के लिए कपड़े, तो कभी कोई दूसरा गिफ्ट लाने लगा.

महक सलीम की इस अदा पर फिदा होती जा रही थी. शादी के 3 महीने गुजर जाने के बाद भी अशरफ ने अभी तक महक को कोई गिफ्ट तो दूर की बात है, एक जोड़ी कपड़ा तक न दिया था.

सर्दी के दिन थे. सलीम अपनी छत पर कसरत कर रहा था. उस ने अंडरवियरबनियान पहन रखा था और उठकबैठक लगा रहा था, तभी महक किसी काम से छत पर गई और सलीम के मजबूत बदन को आंखें फाड़ कर देखने लगी.

सलीम ने पूछा, ‘‘क्या हुआ भाभी, क्या देख रही हो?’’

महक बोली, ‘‘कुछ नहीं, बस देख रही हूं कि तुम ने अपनी देह तो अच्छी बना रखी है. पर, पता नहीं कि कोई दम भी है या नहीं.’’

सलीम मौका भांपते हुए बोला, ‘‘भाभी, एक मौका दे कर तो देखो, दम का भी पता चल जाएगा.’’

महक ने इठलाते हुए कहा, ‘‘सब मर्द ऐसे ही बोलते हैं, पर वक्त आने पर ढेर हो जाते हैं. औरत को खुश करना हर किसी के बस की बात नहीं.’’

सलीम ने भी जवाब दिया, ‘‘भाभी, अभी तुम ने हमारा जलवा देखा ही कहां है. इजाजत दो तो मैं अभी आ जाऊं तुम्हारी छत पर?’’

महक हंसते हुए बोली, ‘‘ठीक है, तो आ जाओ. हम भी तो देखें कि कितना दम है तुम्हारे अंदर.’’

सलीम ने बिना वक्त गंवाए दीवार फांदी और महक को अपनी मजबूत बांहों में जकड़ लिया.

इस से पहले कि महक कुछ बोल पाती, सलीम ने अपने गरम होंठ महक के गुलाबी होंठों पर रख दिए और
चूसने लगा.

सलीम की इस हरकत से महक मदहोश होने लगी, तो उस ने भी सलीम के मजबूत शरीर को अपनी बांहों में कस कर भर लिया.

सलीम महक की गरदन को चूमते हुए उस के उभारों को सहलाने लगा. वह उसे तकरीबन दबोच चुका था. दोनों के बदन एकदूसरे से रगड़ खाने लगे थे. वह महक पर हावी होने लगा था. दोनों की गरम सांसें एकदूसरे से टकराने लगी थीं.

महक सिसक उठी. सलीम ने तभी महक को छत पर लिटा दिया और उस के कपड़े उतार कर बदन से
खेलने लगे.

थोड़ी ही देर में वे दोनों सर्दी के इस मौसम में पसीने से सराबोर हो गए. सलीम महक पर पूरी तरह हावी हो चुका था. महक थक चुकी थी, पर सलीम अभी भी नहीं रुका था. कुछ देर के बाद वे दोनों निढाल हो गए.

सलीम ने जल्दी से कपड़े पहने और फौरन दीवार फांद कर अपनी छत पर चला गया.

महक ने जल्दीजल्दी अपने कपड़े पहने और वह भी नीचे आ गई. वह अपने बिस्तर पर लेट कर सलीम के बारे में सोचने लगी और मुसकराने लगी.

अब तो महक पूरी तरह से सलीम की कायल हो चुकी थी. सलीम से मिले जिस्मानी सुख को वह भूल नहीं पा रही थी. अब महक और सलीम को जब भी मौका मिलता, वे एकदूसरे से अपनी जिस्मानी जरूरत पूरी कर लिया करते थे.

महक के सिर का दर्द खुद ब खुद ठीक हो गया. अब वह महकने और चहकने लगी.

सलीम महक को जिस्मानी सुख तो दे ही रहा था, साथ ही उस पर काफी पैसा भी लुटा रहा था.

दोनों की प्रेमकहानी अब तूल पकड़ने लगी, तो अशरफ को भी इस बात का पता चल गया. उस ने महक को काफी समझाया, पर वह नहीं मानी.

थकहार कर अशरफ ने पंचायत बुलाई, जिस में सलीम और अशरफ के साथ महक भी आई.

सरपंच ने महक से सवाल किया, ‘‘तुम अपने शौहर के होते हुए सलीम से नाजायज रिश्ता क्यों रखती हो?’’

महक काफी देर तक चुप रही, फिर उस ने पंचायत को एक ऐसा करारा जवाब दिया, जिसे सुन कर पूरी पंचायत क्या अशरफ भी हैरान रह गया.

महक सारी शर्म छोड़ कर बोली, ‘‘जब अशरफ अपनी बीवी को जिस्मानी सुख दे ही नहीं सकता, तो मैं क्या करती. मेरी भी तमन्ना है, जज्बात हैं. मुझे भी किसी ऐसे मर्द की जरूरत है, जो मेरे बदन की प्यास बुझ सके.

‘‘हर शादीशुदा औरत की तमन्ना होती है कि उसे अपने शौहर से जिस्मानी सुख मिले, पर अशरफ तो मेरे बदन की आग भड़का कर खुद ढेर हो जाता है. अपने शरीर को तो वह ठंडा कर लेता है, पर मैं अपने शरीर की आग को कैसे ठंडा करूं?

‘‘बस, इसीलिए मैं ने सलीम से अपनी जरूरत पूरी की, जिस ने मुझे वह सुख दिया, जो अशरफ के बस की बात नहीं थी.’’

महक की बातें सुन कर पंचायत खामोश हो गई. अशरफ का सिर भी शर्म से झुक गया.

पंचायत के लोग अपनेअपने घर चले गए. अशरफ भी उठा और अपना सिर झुकाए घर चला गया, क्योंकि उस के पास महक के इस करारे जवाब का कोई जवाब नहीं था.

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