एक्ने निकल आना बुरी खबर है लेकिन उनके खत्म होने के बाद बचे रह जाने वाले दाग और भी ज्यादा परेशान करने वाले होते हैं. ये दाग तब होते हैं जब कोई एक्ने त्वचा के भीतर गहराई तक पहुंच जाता है और भीतर के टिश्यू को नुकसान पहुंचाता है. ​हर प्रकार के दाग धब्बे पर उपचार का अलग—अलग असर होता है और कुछ उपचार अन्य के मुकाबले कुछ खास प्रकार के धब्बों पर ज्यादा प्रभावी होते हैं.

एक्ने के बाद के पड़े निशान दूर तक फैले यू आकार के बॉक्सकर स्कार, छोटे और गहरे वी आकार के धब्बे या रोलिंग स्कार्स कहलाने वाले घुमावदार किनारों वाले हो सकते हैं.

जैसा कि नाम से पता चलता है कि आइस पिक स्कार्स त्वचा में बहुत गहरे तक जगह बना चुके छिद्र होते हैं जिसे देखकर ऐसा लगता है कि त्वचा एक आइस पिक के साथ पंक्चर किए गए हैं. जब शरीर में किसी चोट की वजह से अ​धिक मात्रा में कोलाजेन बनने लगता है तो आइस पिक्स जैसे परेशान करने वाले स्कार्स बन सकते हैं.

उपचार में दिल्ली के प्लास्टिक सर्जन डॉ.अनूप धीर के द्वारा पंच नामक एक छोटे उपकरण से स्कार को काटना और उसकी वजह से बने छिद्र पर टांके लगाना शामिल है लेकिन यह सिर्फ अकेले आइस पिक स्कार्स पर ही काम करता है. अगर कई आइस पिक स्कार्स हों तो एक्ने स्कार उपचार डिवाइसें जिनमें रेडियोफ्रिक्वेंसी एनर्जी का इस्तेमाल होता हो तो वे अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं. ये उपचार भीतर कोलाजेन बनाने में मदद करते हैं और कोलाजेन स्कार्स को भीतर से भरने में मदद करता है. लेजर, रेडियोफ्रिक्वेंसी या एक अल्ट्रासाउंड डिवाइस से एनर्जी—बेस्ड स्किन रिसरफेसिंग बॉक्सकर स्कार्स को भरने में काम आ सकता है क्योंकि ये सभी त्वचा के भीतर कोलाजेन बनाने के लिए काम करता है. स्कारिंग के विस्तार, रासायनिक पील्स के आधार पर उपचारों की श्रृंखला की जरूरत होती है जो उसे फैलने से रोकने में मदद करते हैं. इनमें से किसी भी प्रक्रिया के बाद रेटिनॉयड क्रीम का इस्तेमाल करने से कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है और कोलाजेन में भी इजाफा होता है जिससे बेहतर परिणाम सामने आते हैं.

फ्रैक्शनल नॉन—एब्लेटिव लेजर्स नई प्रौद्योगिकी है और पुराने लेजर्स के मुकाबले उनमें कम समय लगता है इसका मतलब है कि सर्जन पहले से अधिक प्रभावी हो सकता है और कम उपचार के साथ ही परिणाम देखने को मिल सकते हैं. पुराने एब्लेटिव लेजर्स से स्किन की बाहरी सतह नष्ट हो जाती थी जिसके ठीक होने में अधिक समय लगता है लेकिन ये नॉन—एब्लेटिव लेजर्स फ्रैक्सेल की तरह होते हैं जो त्वचा की बाहरी सतह से होकर गुजरता है जो बगैर नुकसान पहुंचाए गहरे टिश्यू को गरमाहट देता है, कोलाजेन को बढ़ावा देता है और कम समय में स्कार को खत्म करता है.

दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ कॉस्मेटिक सर्जन डॉ.अनूप धीर के द्वारा अपनाई गई, माइक्रोनीडलिंग एक नॉन—सर्जिकल तकनीक है जो मैकेनिकल दबाव का इस्तेमाल त्वचा पर बारीक नीडल की मदद से करता है जिससे कोशिकाओं के प्रसार को बढ़ावा मिलता है. इन नई कोशिकाओं के बनने से नया कोलाजेन और इलास्टिन टिश्यू बनते हैं जिससे बारीक रेखाएं, झुर्रियां, खिंचाव/स्कार के निशान, ​पिगमेंटेशन या त्वचा की अन्य गड़बड़ियों में सुधार करता है. नई कैपिलरियां बनाकर यह खून की आपूर्ति में भी सुधार करता है.

रोलिंग स्कार्स को प्लेटलेट—रिच प्लाज्मा पीआरपी के साथ माइक्रोनीडलिंग के बाद माइक्रोफैट इंजेक्शन के साथ ठीक किया जा सकता है, माइक्रोनीडलिंग से त्वचा पर छोटे घाव हो जाते हैं. इसके बाद शरीर का प्राकृतिक, नियंत्रित सुधार प्रक्रिया शुरू होती है जिससे आतंरिक तौर पर कोलाजेन बनने शुरू हो जाते हैं.

माइक्रोनी​डलिंग भी एक महत्वपूर्ण एक्ने स्कार उपचार है क्योंकि यह त्वचा के भीतर चैनलों को खोलते हैं जो पीआरपी—सुधार करने वाले कारकों को आपके रक्त और त्वचा की देखभाल करने वाले उत्पादों को त्वचा के भीतरी सतह तक पहुंचने का मौका देते हैं जहां इनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है. पीआरपी को आपके खून की कुछ मात्रा लेकर प्लेटलेट युक्त प्लाज्मा को अलग कर तैयार किया है जिसमें प्रोटीन और वृद्धि के अन्य कारक होते हैं और उन्हें स्कार में दोबार इंजेक्ट कर दिया जाता है. इसका उद्देश्य त्वचा में सुधार करने के स्तर तक पंहुचाने के लिए गड़बड़ी के भीतर कोलाजेन की सतह तैयार करना है. आपको कई प्रकार के उपचारों की जरूरत पड़ सकती है लेकिन इसके परिणाम के लिहाज से उपयोगी हैं.

हाइपरपिगमेंटेशन से एक्ने स्कार्स का उपचार हाइड्रोक्विनोन और सनब्लॉक के साथ है, हाइड्रोक्विनोन एक टॉपिकल ब्लीचिंग एजेंट है जिसका इस्तेमाल आप सीधे गहरे धब्बे पर कर सकते हैं. सनब्लॉक महत्वपूर्ण है क्योंकि सूरज की रोशनी में हाइपरपिगमेंटेशन खराब हो सकता है. अन्य लोकप्रिय उपचारों में ग्लाइकोलिक एसिड क्रीम शामिल हैं जो त्वचा और गहरे धब्बों की बाहरी सतह को खत्म कर सकते हें ओर रेटिनॉयड त्वचा की कोशिकाएं बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं.

आपको इन सभी कारकों पर गौर करना होता है और मैं हमेशा मरीजों को सलाह देता हूं कि कई प्रकार के उपचारों की जरूरत होती है और एक या दो वर्षों बाद 50 फीसदी सुधार की उम्मीद की जा सकती है.

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