अनवर बिजनौर जिले के नगीना शहर का रहने वाला था. उस की शादी साल 2010 में बिजनौर जिले के नारायणपुर गांव में हुई थी. शादी कराने वाली अनवर की चाची थीं, जिन्होंने उसे शादी से एक हफ्ता पहले आगाह किया था कि यह लड़की सही नहीं है.

दरअसल, शादी से एक हफ्ता पहले लड़की के मामा, जो अनवर की चाची के दूर के रिश्तेदार थे, ने आ कर चाची को बताया था कि यह लड़की जेबा शादी से पहले भी अपने दूर के एक रिश्तेदार के साथ भाग चुकी है और एक महीना उस के साथ रह कर आई है.

चाची की इस बात को सुन कर अनवर का शादी से मना करने के लिए दिल नहीं माना, इसलिए उस ने सही जानकारी हासिल करने और जेबा की इस शादी के लिए रजामंदी है या नहीं, यह जानने के लिए उस से फोन पर बात की, ‘‘जेबा, तुम मुझ से शादी करने के लिए तैयार तो हो न? तुम्हारे अम्मीअब्बा ने तुम पर कोई दबाव तो नहीं डाला है न?’’

जेबा ने कहा, ‘तुम ऐसा सवाल क्यों कर रहे हो? मैं बहुत खुश हूं. मुझ पर किसी ने कोई दबाव नहीं डाला है.’

‘‘तुम्हारे मामा मेरी चाची के पास आए थे और बोल रहे थे कि तुम अपने किसी रिश्तेदार से प्यार करती हो और उस के साथ घर से भाग गई थी.’’

‘मेरे मामा झूठ बोल रहे हैं. वे मेरे सगे मामा नहीं हैं, बल्कि मेरी अम्मी के दूर के भाई हैं. दरअसल, वे अपने साले के बेटे से मेरी शादी कराना चाहते थे. मैं ने और मेरे घर वालों ने मना कर दिया तो वे मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.’

जेबा की यह बात सुन कर अनवर के दिल को ठंडक पहुंची. इस के बाद उस ने जेबा के घर के दूसरे लोगों से बात की. सब ने यही बताया कि जेबा अपनी मरजी से शादी के लिए तैयार हुई है.

शादी से पहले अनवर और जेबा चाची के घर मिले थे और इस रिश्ते से खुश थे. अनवर ने जेबा को बताया, ‘‘मैं मुंबई में रहता हूं और मेरा बेकरी का कारोबार है, जिस में अच्छीखासी कमाई है. वैसे, हमारी काफी जमीनजायदाद है. घर में किसी बात की कोई कमी नहीं है.

‘‘मैं ने एमकौम तक पढ़ाई की है. घर में 4 भाई और 2 बहनें हैं. मेरी मां बचपन में ही इस दुनिया से रुखसत हो गई थीं. बड़े 2 भाई डाक्टर हैं. उन की शादी हो गई है. एक बहन की भी शादी हो गई है. मेरी उम्र 30 साल है.’’

जेबा ने भी अपने घर की जानकारी इस तरह दी, ‘‘मेरे अब्बा खेती करते हैं. 3 भाई हैं. एक भाई की शादी हो गई है, जो देहरादून में रहते हैं और वहां एक दुकान चलाते हैं. 2 भाई छोटे हैं. वे अभी पढ़ाई कर रहे हैं.

‘‘मैं और मेरी एक बड़ी बहन दोनों ने पिछले साल ही इंटर पास किया है और उस का रिश्ता नेहटोर शहर में तय हो गया है. हम दोनों बहनों की शादी एकसाथ ही होगी.’’

फिर वह समय भी आ गया और 19 मई, 2010 को जेबा और अनवर की शादी हो गई. अनवर के मुकाबले जेबा बहुत खूबसूरत थी. शादी के सुर्ख जोड़े में वह किसी हूर से कम नहीं लग रही थी. गुलाबी होंठ, सुर्ख गाल, बड़ीबड़ी आंखें, गदराया बदन, जिसे देख कर वह अपने होश ही खो बैठा था.

उन दोनों ने रातभर एकदूसरे से खूब प्यार किया. प्यार में रात कब गुजर गई, पता ही नहीं चला. सुबह के 8 बज चुके थे. जेबा के फोन की घंटी बजी. अनवर ने स्पीकर औन कर के जेबा को फोन दिया.

जैसे ही जेबा ने ‘हैलो’ बोला, उधर से किसी लड़के की आवाज आई, ‘जानू, हमें छोड़ कर चली गई. शादी मुबारक हो. हम तो तुम्हारी याद में सो ही नहीं पाए.’

जेबा ने तुरंत फोन काट दिया. अनवर का खिलता हुआ चेहरा अचानक मुरझा गया. उस ने दबी आवाज में पूछा, ‘‘कौन था?’’

जेबा ने अनवर का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा, ‘‘यह लड़का मुझे काफी समय से ऐसे ही फोन करता है. मैं नहीं जानती इसे.’’

जेबा के इस जवाब से अनवर की जान में जान आई कि जेबा उस से प्यार नहीं करती है और वह कोई बदतमीज लड़का है, जो जेबा को परेशान करता है.

शादी को 2 महीने ही गुजरे थे. अनवर को वापस मुंबई जा कर अपना काम संभालना था. जेबा उदास हो गई.

अनवर ने उस से कहा, ‘‘मैं तुम्हें जल्दी ही वहां बुला लूंगा.’’

अगले दिन अनवर मुंबई के लिए रवाना हो गया. 10 दिन बाद ही उस ने जेबा को अपने भाई के साथ मुंबई आने के लिए कह दिया.

जेबा के मुंबई आते ही उन दोनों की जिंदगी की गाड़ी पटरी पर आ गई. समय गुजरता रहा. जेबा 2 बेटियों की मां बन गई थी. बड़ी बेटी का नाम अजमी और छोटी बेटी का नाम अमरीन रखा गया.

समय गुजरता गया. अनवर काम में इतना बिजी रहा कि उसे गांव जाने का मौका ही नहीं मिला.

एक दिन जेबा ने अनवर से कहा, ‘‘मैं दिल्ली में अपनी बहन से मिलने जाना चाहती हूं.’’

अनवर ने कहा, ‘‘तुम अकेले कैसे जाओगी?’’

जेबा बोली, ‘‘अम्मी आ जाएंगी. उन के साथ बहन से भी मिल लूंगी और दिल्ली भी घूम लूंगी. बस, तुम मेरा और अम्मी के जाने का टिकट निकलवा दो.’’

2 दिन के बाद जेबा की अम्मी उसे लेने आ गईं और अनवर ने उन के दिल्ली जाने के 2 टिकट ट्रेन के निकलवा दिए. जेबा को घूमने और खर्च के लिए 20,000 रुपए दे दिए. वे दोनों दिल्ली चली गईं.

अगले ही दिन जेबा के अब्बू का फोन अनवर के पास आया और वे बोले, ‘जेबा की अम्मी वहां आई हैं क्या?’

यह सुन कर अनवर हैरान रह गया और बोला, ‘‘क्यों, आप को नहीं पता कि वे जेबा को लेने यहां आई हैं? जेबा अपनी बहन से मिलने के लिए अम्मी के साथ दिल्ली के लिए चली गई है.’’

‘जेबा की अम्मी ने हमें कुछ नहीं बताया. वह बोली थी कि मैं नजीबाबाद जा रही हूं, पर वह मुंबई पहुंच गई और जेबा की बहन अभी दिल्ली में नहीं है, वह अपनी सुसराल नेहटोर आई हुई है.’

अनवर ने जेबा को फोन लगाया और उस से पूछा, ‘‘क्या तुम दिल्ली पहुंच गई हो?’’

जेबा बोली, ‘हां, मैं तो सुबह ही पहुंच गई थी.’

अनवर ने पूछा, ‘‘इस समय कहां हो? तुम्हारी बहन तो अपनी सुसराल में गई हुई है.’’

जेबा बोली, ‘मेरे दूर के मामा हैं. मैं उन्हीं के घर पर हूं.’’

यह सुन कर अनवर को सुकून मिला. 2-3 दिन दिल्ली घूम कर जेबा मुंबई के लिए रवाना हो गई. उसे छोड़ने उस की अम्मी भी आई थीं और 2 दिन बाद ही वे वापस चली गई थीं.

एक दिन अनवर अपनी पासबुक की ऐंट्री कराने बैंक गया, तो अपने खाते में से निकले एक लाख रुपए देख कर दंग रह गया. उस ने बैंक मैनेजर से इस की शिकायत की, तो वे बोले, ‘‘तुम्हारे पैसे एटीएम से निकाले गए हैं.’’

अनवर बोला, ‘‘एटीएम के पिन नंबर की जानकारी मुझे और मेरी बीवी के अलावा किसी और को नहीं है. मैं ने निकाले नहीं और बीवी भी मुझे बिना बताए निकालेगी नहीं.’’

मैनेजर बोले, ‘‘तुम अपनी बीवी से मालूम करो.’’

अनवर ने उसी समय जेबा को फोन लगाया, तो वह मना करने लगी. अनवर ने हैरान होते हुए कहा, ‘‘फिर तो पुलिस को बताना पड़ेगा.’’

यह सुन कर जेबा घबरा कर रोते हुए बोली, ‘‘मैं ने निकाले हैं. मेरी एक सहेली को 50,000 रुपए की जरूरत थी और 50,000 रुपए मैं ने अपनी बड़ी बहन को दिए हैं.’’

जेबा का रोना देख कर अनवर को उस पर तरस आ गया और उस ने इस बात को यहीं खत्म कर दिया.

एक शाम को अनवर अपने घर जा रहा था कि एक औरत ने रास्ते में उसे रोक लिया और बोली, ‘‘मुझे और मेरे बच्चों को मार दो.’’

यह सुन कर अनवर ने हैरान हो कर पूछा, ‘‘क्यों? क्या हुआ?’’

वह औरत बोली, ‘‘मैं आदिल इलैक्ट्रिशियन की बीवी हूं. ये मेरे बच्चे हैं. तुम्हारी बीवी खूबसूरत है, इस का यह मतलब नहीं है कि वह किसी और के शौहर को अपने प्यार के जाल में फंसा कर उस के बीवीबच्चों की जिंदगी बरबाद करेगी.’’

अनवर ने उस से कहा, ‘‘साफसाफ बताओ कि बात क्या है?’’

वह औरत बोली, ‘‘तुम्हारी बीवी का मेरे शौहर से नाजायज रिश्ता है. अगर तुम उसे रोक नहीं सकते हो, तो हम सब को मार दो.’’

उस औरत की यह बात सुन कर अनवर को गुस्सा आया. उस ने घर जा कर जेबा से इस बारे में पूछा, तो उस ने अपनी पोल खुलते देख हाथ जोड़ कर कहा, ‘‘मुझे माफ कर दो. मैं बहक गई थी.’’

अनवर जेबा से बहुत ज्यादा मुहब्बत करता था, इसलिए उस की इतनी बड़ी गलती को भी उस ने माफ कर दिया.

इसी बीच जेबा और उस की अम्मी अनवर की जायदाद में से हिस्सा मांगने की बात करने लगी थीं. वे गांव का बाग बेचने पर जोर दे रही थीं. बाद में बाग बेचने के बाद जो फ्लैट खरीदा था, उस के बाद भी 20 लाख रुपए घर पर बच गए थे.

दिन गुजरते गए. एक दिन अनवर दूध पी कर घर से निकला और अपनी बेकरी पर आ कर बैठा ही था कि उस की आंखें बंद होने लगीं. हाथपैर कांपने लगे. कुछ ही पलों में वह बेहोश हो कर गिर गया. रात के 8 बजे जब उसे होश आया, तो अपनेआप को बेकरी के एक कमरे में पाया.

अनवर के पार्टनर ने उस से पूछा, ‘‘क्या हुआ? क्या खाया था?’’

अनवर ने कहा, ‘‘मैं तो सिर्फ घर से दूध पी कर निकला था. बेकरी पर आ कर बैठा तो मेरी आंखें खुद ब खुद बंद होने लगीं, हाथपैर कांपने लगे.’’

‘‘क्या तुम्हारे घर पर कोई टैंशन चल रही है?’’

अनवर ने पूरी बात बता दी. पार्टनर ने कहा, ‘‘अपनी बीवी के कुछ नाम नहीं करना. अगर कर दिया तो तुम्हारा खेल खत्म. ध्यान रखो कि घर पर कुछ मत खाना. तुम्हें दूध में नशा मिला कर दिया गया है और काफी दिनों से दिया जा रहा है. तुम पुलिस में शिकायत दर्ज कर दो.’’

अनवर जेबा को खोना नहीं चाहता था. वह जानता था कि अगर पुलिस के पास गया तो जेबा और भड़क जाएगी.

अगले दिन जब अनवर सो कर उठा, तो उस के 20 लाख रुपए अलमारी से गायब हो चुके थे.

अनवर ने जब जेबा की अलमारी की तलाशी ली, तो उस में रखे जेवर भी नहीं थे. यह देख कर वह सदमे से वहीं गिर गया. जब उस की आंखें खुलीं, तो उस की दोनों बेटियां उस के पास बैठी थीं. जेबा और उस की अम्मी भी वहीं थीं.

अनवर ने जेबा और उस की अम्मी के हाथ जोड़े, पैर पकड़े कि उस का पैसा दे दो, जेवर दे दो, पर उन्होंने साफ कह दिया कि इस बारे में उन्हें कुछ नहीं मालूम है. अगले ही दिन अनवर ने जेबा की अम्मी को वहां से उन के घर भेज दिया.

गाड़ी में बिठाने के बाद अनवर अपने काम पर चला गया और शाम को घर आया, तो जेबा ने उस से बात नहीं की और अपने कमरे में घुसने भी नहीं दिया. वह कई दिनों तक ऐसा ही करती रही.

अब जेबा जिम से 1-2 नहीं, बल्कि 3-4 घंटे में वापस आती थी. न बच्चों को खाना मिलता और न घर का कोई काम होता था. उन की पढ़ाईलिखाई भी नहीं हो पाती थी.

इसी बीच डाक्टर ने अनवर को आराम करने की सलाह दी. वजह, उसे हलका सा दिल का दौरा पड़ा था. पर जेबा को इस बात की कोई चिंता नहीं थी.

अनवर ने जेबा से गांव चलने को कहा, पर उस ने साफ मना कर दिया. अनवर अकेला ही गांव चला गया. घर वाले उस की हालत देख कर हैरान थे.

अभी अनवर को गांव आए हुए 3 दिन ही हुए थे कि एक दिन उस के फोन की घंटी बजी. उस ने फोन उठाया, तो दूसरी तरफ से कोई नहीं बोला.

फोन स्पीकर पर था. साफ आवाज आ रही थी, जो अनवर की सास, जेबा और बच्चों की थी. अनवर ने वहां से आ रही है हर आवाज को रिकौर्ड कर लिया. अनवर की सास और जेबा की हर करतूत और प्लानिंग फोन रिकौर्ड हो गई थी.

अगले दिन अनवर ने फोन कर के जेबा को गांव आने को कहा और साथ ही यह भी कह दिया कि अगर तुम गांव वापस नहीं आओगी, तो मैं यहीं बिजनौर में तुम्हारी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दूंगा. पुलिस तुम दोनों मांबेटी को खुद पकड़ कर लाएगी.

यह सुन कर जेबा घबरा गई और जल्दी ही आने की बोल दी. अनवर खुश था. जोकुछ हो गया था, वह उसे भूलना चाह कर अपने गांव में ही एक नई जिंदगी शुरू करना चाहता था.

कुछ दिन तक तो सब ठीक रहा, फिर अचानक जेबा की बूआ की बेटी अनवर के घर पर आने लगी और हर समय घर पर ही पड़ी रहती. अनवर सोने के इंतजार में इधरउधर भटकता रहता था. फिर उस ने कड़े मन से उसे घर न आने को कहा. पर अब जेबा हर समय उन के घर जाने लगी.

अनवर एक दिन बाजार से घर लौटा तो देखा कि जेबा घर में नहीं थी. उस ने अपने अब्बा से मालूम किया तो वे बोले कि शायद अपनी बूआ के घर गई है.

वह वहां गया और दरवाजे पर खड़ा हो कर उन की बातें सुनने लगा.

जेबा का फुफेरा भाई बोल रहा था, ‘‘जेबा, तुम दिल्ली में शिफ्ट हो जाओ, पर रूम लेने के लिए तुम्हारा आधारकार्ड चाहिए.’’

अनवर ने जब यह बात सुनी, तो उसे गुस्सा आ गया और वह जेबा को वहां से ले आया और उसे हिदायत दी कि अब उन के घर नहीं जाना.

कुछ दिन बाद जेबा फिर उन के घर गई. अनवर उसे फिर बुला लाया और अपनी बड़ी बेटी को बाजार घुमाने के बहाने ले गया और उस से पूछा, ‘‘बेटा, तुम्हारी अम्मी वहां क्या बात कर रही थीं?’’

बेटी ने बताया, ‘‘अब्बा, वहां पर दादू को कुछ दे कर मारने की बात चल रही थी. वे लोग अम्मी से कह रहे थे कि अपने ससुर को मार डालो, फिर सारी जायदाद तुम्हारे शौहर के नाम आ जाएगी. उस के बाद इसे बहलाफुसला कर मुंबई ले जाना, फिर इसे भी मार देना और ऐश करना.’’

इतना सुन कर अनवर को गुस्सा आ गया. वह जेबा की बूआ के घर गया और उन्हें बोला, ‘‘जेबा को उलटीसीधी पट्टी पढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है.’’ अनवर घर लौट आया. अभी कुछ ही देर हुई थी कि उस की सास काफोन आया और वे उसे उलटासीधा बोलने लगीं.

इधर जेबा ने भी घर सिर पर उठा लिया. अनवर ने पुलिस बुला ली, पर जेबा ने उन की एक न सुनी और बोली, ‘‘मुझे मेरे मामा के घर छोड़ दो. मेरी अम्मी भी वहीं हैं, वरना मैं खुदखुशी कर लूंगी.’’

पुलिस वाले अनवर और जेबा को थाने ले गए. कुछ देर में जेबा की अम्मी भी वहां आ गईं और जेबा को अपने साथ ले गईं.

कुछ ही देर में अनवर के भाई वहां आ गए और वे उसे भी वहां से ले आए. कई दिन गुजर गए. एक दिन जेबा के मामा अनवर से मिलने उस की चाची के घर आए, पर वह उन से नहीं मिल पाया तो वे उस की बड़ी बेटी से बात करने लगे. बेटी ने उन्हें वह बताया, जो अनवर भी नहीं जानता था.

बेटी बोली, ‘‘अम्मी गंदी हैं. एक अंकल के साथ गंदे कपड़े पहन कर लेटती हैं और जब कहीं बाहर खाने जाती थीं तो मुझे भी अपने साथ ले जाती थीं और अंकल से खूब गले मिलती थीं और दोनों गंदीगंदी बातें करते थे. अम्मी अब्बा को मारना चाहती थीं. वे उन के दूध में कुछ मिलाती थीं.’’

अनवर ने जब अपनी बेटी से जेबा की करतूतों के बारे में पूछा, तो उस ने सारी बातें उसे बता दीं. जेबा और उस की मां अब कहां थीं, किसी को कुछ नहीं मालूम था. अब बात कोर्ट तक पहुंच गई थी.

कई महीने ऐसे ही गुजर गए, पर अनवर के पास कोई नोटिस नहीं आया. बाद में जेबा केस की तारीख पर भी हाजिर नहीं हुई, तो वह केस भी खारिज हो गया. अनवर अपनी बेटियों के साथ खुश था और अब जेबा को भूलने लगा था.

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