सैकड़ों बरस पहले चाणक्य ने अर्थशास्त्र में बताया था कि राजा को इस तरह ‘टैक्स’ लेना चाहिए कि सामने वाले को पता ही न चले. मगर भारत में नरेंद्र दामोदरदास मोदी की सरकार जब सत्तारूढ़ हुई और जीएसटी लाया गया तो देश के किसानों की कमर पर पांव रख कर खाद और बीज पर जीएसटी लगा दिया गया. यह जजिया कर की याद दिलाता है जिसे गब्बर सिंह टैक्स भी कहा गया है.

दरअसल, एक तरफ तो आप बड़ीबड़ी बातें करते हैं, 56 इंच के सीने की बात करते हैं और दिल की जगह मानो आप के पास एक तिल है. देश में जीएसटी टैक्स को ले कर जो त्राहित्राहि मची वह अब अपने रंग लोकसभा 2024 के चुनाव में दिखाने जा रहा है. किसानों के इस दर्द को संभवतया कांग्रेस पार्टी ने महसूस किया और अपने घोषणापत्र में राहत देने की बात कही है.

‘हाथ बदलेगा हालात’ के चुनावी नारे के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस लोकसभा चुनाव मैदान में है. किसान आंदोलन की बानगी देश देख रहा है. किसानों के विरोध के स्वर की गूंज देश के हर कोने में, संसद के गलियारों तक में गूंज रही थी मगर नरेंद्र मोदी सरकार ने मानो आंख, कान‌ और मुंह बंद कर लिया.

विपक्ष के रूप में कांग्रेस ने किसानों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है. कांग्रेस पहले ही एमएसपी की गारंटी का ऐलान कर चुकी है. अब कांग्रेस पार्टी अपने पिटारे से नया कार्ड ले कर आई है जिस में कांग्रेस ने सत्ता में आने पर खादबीज को जीएसटी के दायरे से बाहर करने ऐलान कर दिया है जो भारतीय जनता पार्टी को भारी पड़ सकता है.

देश की नब्ज को समझने वाले राजनीति के विश्लेषकों का मानना है कि इस का सीधा असर लोकसभा चुनाव पर होगा. पार्टी की चुनावी रणनीति और किसानों के प्रति संवेदनशीलता का परिचय देते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश का दावा है कि पार्टी की गारंटी को घरघर वितरित किया जा रहा है. अब तक 8 करोड़ प्रतियों के अलावा पार्टी ने एक करोड़ लोगों को डिजिटल रूप से भी अपनी 5 न्याय, 25 गारंटी को भेज दिया है.

इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम ने एक रोचक वीडियो तैयार किया है. इस वीडियो में ट्रैक्टर पर सवार एक युवा गांव के बुजुर्गों से बातचीत में कांग्रेस के कार्यकाल में किसानों के लिए माफ किए गए कर्ज को बताते हुए आगामी चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने की बात कर रहा है.
वीडियो में कांग्रेस पार्टी ने यह भी दावा किया है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में करीब 75 हजार करोड़ का किसान कर्ज माफ किया गया था. इस के अतिरिक्त अगरचे इस दफा कांग्रेस की सरकार केंद्र में सत्तारूढ़ होती है तो खाद व बीज को जीएसटी के दायरे से बाहर किया जाएगा.

इस से पहले सोशल मीडिया के माध्यम से राहुल गांधी भी सीधे आम जनता से जुड़े थे और उन के ईमेल पर आ रहे सुझावों पर जनता से बातचीत करते और उस के सुझावों को बारीकी से समझते नजर आए थे.
राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “एमएसपी कानून, जीएसटीमुक्त खेती और अपना कर्ज माफ कराने के लिए किसान देगा कांग्रेस का साथ, अब हाथ बदलेगा हालात.”

इस से पहले भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यह सीधी बात सोशल मीडिया पर काफी चर्चित रही है और युवा इस पहल को पंसद कर रहे हैं.

अब कांग्रेस अपने प्रचार की यह अगली किश्त ले कर आई है जिस का असर देशभर में देखने को मिल रहा है क्योंकि इस से किसान खुश हुआ है कि कोई तो है जो उस के दर्द और पीड़ा को समझ रहा है.
विचारणीय तथ्य यह है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आखिर क्या सोच कर किसानों पर खाद और बीज जैसे महत्त्वपूर्ण मसले को जीएसटी के दायरे में रखा है. अगर यह देश किसानों का माना जाता है तो किसानों के साथ ऐसा असंवेदनशीलता का व्यवहार क्यों? क्या किसानों को नाराज कर के नरेंद्र मोदी सरकार और देश चला सकते हैं? यह एक ऐसा प्रश्न है जो हर मतदाता को सोचने पर मजबूर कर सकता है.

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