योग के जरीए देशदुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में हाथ जोड़ कर माफी मांग कर देश की जनता को जता दिया है कि अपने झूठे विज्ञापनों के चलते वे देश से माफी मांग रहे हैं और ऐसा काम आगे नहीं करेंगे.

दरअसल, कोरोना काल में कोरोनील नाम की एक दवा आई थी, जिसे लोगों ने विश्वास कर के खरीदा और रामदेव ने करोड़ों रुपए कमा लिए. यह सीधासीधा किसी लूट से कम नहीं था, मगर नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार ने तब आंखें बंद कर ली थीं.

इस का सीधा सा मतलब यह है कि अगर आप हमारे काम आते हैं तो आप का सारा अपराध माफ है. यह कल्पना की जा सकती है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव के बरताव और काम करने के तरीके पर ध्यान नहीं दिया होता तो रामदेव आज भी मुसकराते हुए बड़ेबड़े दावे कर के अपनी उन दवाओं को देश की जनता को बेचते रहते, जिसे सीधेसीधे झूठ और ठगी काम कहा जा सकता है. इतना ही नहीं, देशभर के बड़े चैनलों में विज्ञापन को दे कर अपनी बात को सच बताना भी कोई छोटामोटा अपराध नहीं है. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट में इसे गंभीरता से लिया और आखिरकार रामदेव ने वहां हाजिर हो कर माफी मांग ली.

इस तरह जो काम नरेंद्र मोदी की सरकार नहीं कर पाई उसे देश के सुप्रीम कोर्ट ने देश की जनता के सामने ला कर रख दिया और चेहरे पर से नकाब उतार दी या कहें कि रामदेव के तन से वह चोला उतार दिया, जिस के भरोसे वे देश की जनता और कानून को ठेंगा दिखाते रहे हैं. यह साबित हो गया है कि रामदेव कोई जनसेवा या देश की जनता के हमदर्द नहीं हैं, बल्कि वे भी एक ऐसे व्यापारी हैं, जो सिर्फ मुनाफा कमाना चाहता है.

आप को बता दें कि पहले भ्रामक विज्ञापन के मामले में पतंजलि आयुर्वेद को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई थी और बाबा रामदेव व कंपनी के एमडी आचार्य बालकृष्ण को पेशी पर बुलाया था. आखिर तय तारीख पर रामदेव और बालकृष्ण दोनों ही बड़ी अदालत पहुंचे. इस दौरान सुनवाई शुरू हुई तो बाबा रामदेव के वकील ने कहा कि हम ऐसे विज्ञापन के लिए माफी मांगते हैं. आप के आदेश पर खुद योगगुरु रामदेव अदालत आए हैं और वे माफी मांग रहे हैं और आप उन की माफी को रिकौर्ड में दर्ज कर सकते हैं.

बाबा रामदेव के वकील ने आगे कहा, ‘हम इस अदालत से भाग नहीं रहे हैं. क्या मैं यह कुछ पैराग्राफ पढ़ सकता हूं? क्या मैं हाथ जोड़ कर यह कह सकता हूं कि जैंटलमैन खुद अदालत में मौजूद हैं और अदालत उन की माफी को दर्ज कर सकती है.

सुनवाई के दौरान पतंजलि के वकील ने भ्रामक विज्ञापन को ले कर कहा कि हमारे मीडिया विभाग को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं थी, इसलिए ऐसा विज्ञापन चला गया.

इस पर बैंच में शामिल जस्टिस अमानुल्लाह और जस्टिस हिमा कोहली की बैंच ने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि आप को इस की जानकारी नहीं थी.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर, 2023 में ही रामदेव के पतंजलि को आदेश दिया था कि वह भ्रामक दावे करने वाले विज्ञापनों को वापस ले. यदि ऐसा नहीं किया गया तो फिर हम ऐक्शन लेंगे. ऐसी हालत में पतंजलि के हर गलत विज्ञापन पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.

इस दौरान जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि रामदेव ने योग के मामले में बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन एलोपैथी दवाओं को ले कर ऐसे दावे करना ठीक नहीं है, जबकि इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के वकील ने कहा कि वे अपना विज्ञापन करें, लेकिन उस में एलोपैथी चिकित्सा पद्धति की बेवजह आलोचना नहीं होनी चाहिए.

सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली ने केंद्र सरकार की भी खिंचाई की. उन्होंने कहा कि हमें हैरानी है कि आखिर इस मामले में केंद्र सरकार ने अपनी आंखें बंद रखीं.

इस पूरे मामले पर अगर देश की जनता गौर करे तो यह साफ है कि रामदेव ने सिर्फ रुपए कमाने के लिए झूठा विज्ञापन जारी किया और सीधेसीधे जनता को ठग लिया. दरअसल, ये सारे पैसे सरकार को वसूल लेने चाहिए, ताकि देश में यह संदेश चला जाए कि ठगी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.

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