लोकनायक जयप्रकाश नारायण सैंट्रल जेल, हजारीबाग में बंद विवेक सोच रहा था कि अपनी जिम्मेदारी से भागना ठीक नहीं था. शादी करने के बाद ही उसे अपनी प्रेमिका रश्मि के साथ सैक्स संबंध बनाना चाहिए था. उसे समोसे में सल्फर की गोलियां मिला कर नहीं देनी चाहिए थी, जिस के खाने से उस की जान चली गई.

बड़ेबड़े शातिर अपराधी को जेल की आबोहवा नागवार गुजरती है. विवेक ने तो अपनी छोटी सी जिंदगी में पहली बार गुनाह किया था, लेकिन सोचसमझ कर.

उसे फांसी की सजा भी हो सकती है. पर अब वह सोच रहा था कि प्यार तो सिर्फ देने का नाम है. प्यार में लेने की सोचना तो प्यार को कारोबार बना देता है और उस ने यही तो किया.

दरअसल, दिल्ली में पढ़ने के दौरान विवेक अपने दोस्तों के साथ गंदी फिल्में देख कर जल्दी ही जवान हो गया था. हालांकि उस की उम्र अभी महज 18 साल थी.

विवेक को इतनी समझ तो थी कि अगर दिल्ली में गलत तरीके से सैक्सुअल जिंदगी शुरू की, तो वह एड्स जैसी खतरनाक बीमारी का शिकार हो जाएगा.

विवेक छुट्टियों में झारखंड के हजारीबाग जिले में रह रही अपनी प्रेमिका रश्मि से मिलने आता रहता था. अब वह जब भी रश्मि से मिलता, तब उस की आंखों के सामने ब्लू फिल्मों का नजारा घूम जाता, जो उसे बेकाबू कर देता था.

धीरेधीरे उस ने हिम्मत जुटाना शुरू किया और रश्मि को दिमागी तौर पर सैक्स करने के लिए समझ ने बुझने लगा, ‘आजकल तो लिव इन रिलेशनशिप का जमाना है. लड़का और लड़की बिना शादी किए आराम से एकसाथ रहते हैं. इतना ही नहीं, अगर इस संबंध से कोई बच्चा हो भी जाता है, तो उसे पिता की जायदाद में से हिस्सा भी मिल जाता है.’

भोलीभाली रश्मि ने कभी यह नहीं पूछा था कि इस संबंध में बच्चा हो जाने के बाद लड़की की हैसियत क्या होती है? क्या उसे भी पति की जायदाद में कोई हिस्सा मिलता है? अगर पति उसे छोड़ कर दूसरी लड़की के साथ लिव इन रिलेशनशिप बनाता है, तो…

रश्मि अकसर उसे समझाती, ‘देखो, हम लोगों को उस परंपरा को नहीं छोड़ना चाहिए, जो हमारे बड़ेबुजुर्ग मानते आ रहे हैं. हम लोगों और समाज के लिए शादी के बाद ही जिस्मानी संबंध बनाना बेहतर है, इसलिए जब तक शादी न हो जाए, तब तक सब्र रखना होगा.’

जोश में आ कर विवेक झट से तैयार हो गया और बोला, ‘ठीक है, हम जल्दी ही शादी कर लेंगे. अब तो खुश हो तुम?’

इतना कहते हुए उस ने रश्मि को धीरेधीरे अपनी बांहों में ले लिया.

रश्मि ने शादी के वादे पर भरोसा कर के कुछ नहीं कहा और दोनों ने जिस्मानी संबंध बना लिए.

रश्मि उस रात अपने कमरे में बैठी सोच रही थी कि आज जो हुआ, क्या वह सही था? फिर वह आगे सोचने लगी कि जिस्मानी संबंध बनाने से विवेक और ज्यादा संजीदगी से हमारे रिश्ते के बारे में सोचेगा और हम लोग जल्दी ही एक हो जाएंगे.

उधर विवेक यह सोच रहा था कि आसानी से संबंध बनाने के लिए एक लड़की तो मिल गई, जिस से कोई खतरा भी नहीं. न ही समाज के लोगों से और न ही एड्स जैसी बीमारी से.

विवेक अब खुश था और रश्मि को किसी से न कहने की सख्त हिदायत दे कर वह दिल्ली चला जाता और फिर जब लौट कर आता, तो रश्मि के साथ वही पुराना देहसुख का खेल खेलता.

इस बार जब विवेक आया, तो वह रश्मि को एक सुनसान जगह पर ले गया और अपनी जिस्मानी भूख मिटाने के बाद विवेक ने पूछा, ‘रश्मि, आज मजा नहीं आया खेल में. क्यों जिंदा लाश बनी रही तुम पूरे खेल के दौरान?’

रश्मि को डर लग रहा था कि कहीं वह बिनब्याहे पेट से न हो जाए. उस ने मन ही मन तय किया कि अब आगे वह ऐसा नहीं करेगी.

जब दूसरे दिन विवेक फिर रश्मि को देहसुख का खेल खेलने का न्योता देने आया, तो उस ने दोटूक कहा, ‘विवेक, जब तक हम लोग शादी नहीं कर लेते, तब तक हम यह खेल नहीं खेलेंगे.’

विवेक ने रश्मि को समझते हुए कहा, ‘ठीक है, हम लोग जल्द ही शादी कर लेंगे.’

दूसरे दिन उस ने रश्मि को फिर मिलने के लिए बुलाया, पर वह नहीं गई. विवेक का पागलपन हद तक बढ़ गया था. वह रश्मि को ढूंढ़ रहा था.

रश्मि उस शाम को विवेक को मिलने गई, तो वह उसे देखते ही फट पड़ा. उस ने सड़क पर ही उसे गोद में उठा लिया और भागने लगा, मानो किसी सुनसान जगह पर जल्दी से पहुंच जाना चाहता हो.

रश्मि को अंदाजा हो गया था कि अब क्या होने वाला है. वह समझ रही थी कि अगर खिलाफत नहीं करेगी, तो विवेक उसे अपनी हवस का शिकार बना लेगा. उस ने अपनेआप को उस की गोद से झटक दिया और दोनों एकदूसरे पर गिर पड़े.

विवेक ने मौका देख कर अपने होंठों को रश्मि के होंठों पर रख दिया. रश्मि उसे झटकते हुए अलग हो गई और बोली, ‘बस, अब और नहीं.’

हवस में अंधा विवेक यह सुन कर तिलमिला गया था. लड़की सामने है, पर वह कुछ नहीं कर सकता है.

उस ने तुरंत रश्मि को बहलाने के अंदाज में कहा, ‘ऐसा करो, तुम मेरे साथ दिल्ली चलो. वहां हम दोनों शादी कर लेंगे.’

यह सुन कर मासूम रश्मि खुश हो गई और दूसरे दिन अपने मातापिता को बिना बताए वह शहर से दूर रेलवे स्टेशन पर विवेक की बताई गई जगह पर पहुंच गई.

वहां विवेक उस का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. दिल्ली ले जाने के लिए नहीं, बल्कि उसे दूसरी दुनिया में पहुंचाने के लिए.

रेलवे स्टेशन पर विवेक ने रश्मि को जहर मिला समोसा खिला दिया. इस तरह सैक्स संबंध से रश्मि का मना करना विवेक के मन में हवस के उस सैलाब को जन्म दे गया, जो उसे बहा कर आज जेल की कालकोठरी में ले आया.

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