कभी मांसल बदन वाली हीरोइनों के लिए पहचानी जाने वाली भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में अब छरहरे बदन की हीरोइनों का बोलबाला है. इन छरहरे बदन वाली हीरोइनों को दर्शक खूब प्यार भी दे रहे हैं. इसी में एक नाम है भोजपुरी हीरोइन पल्लवी गिरि का, जिन्हें हाल ही में आयोजित हुए ‘सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ शो में बैस्ट अलबम ऐक्ट्रैस अवार्ड से नवाजा गया है.

Saras salil awards

पल्लवी गिरि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की उन गिनीचुनी हीरोइनों में शुमार हैं, जो फिल्मों के साथसाथ भोजपुरी अलबम में भी खूब पसंद की जाती हैं. यही वजह है कि वे अकसर बड़े ऐक्टरों के साथ बनने वाले अलबम में स्क्रीन शेयर करती हुई नजर आती हैं.

‘सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ शो में शिरकत करने आईं पल्लवी गिरि से उन के फिल्मी कैरियर को ले कर ढेर सारी बातें हुईं. पेश हैं, उसी के खास अंश :

आप के फिल्मी कैरियर पर बात करें, उस से पहले अपने खूबसरत बदन और फिट रहने का राज बताएं?

-मेरे खूबसूरत बदन और फिट रहने का राज यह है कि मैं खुद को तनाव से दूर रखने की कोशिश करती हूं. मैं खुद पर स्ट्रैस को हावी नहीं होने देती हूं, क्योंकि आप की बौडी जितनी ऐक्टिव रहेगी, उतने ही आप चुस्त और दुरूस्त रहेंगे.

इस के अलावा सुबह उठने के बाद मैं सब से पहले पानी पीने पीती हूं.
इस के अलावा कार्डियो ऐक्सरसाइज, डांस, साइकिलिंग और रनिंग मेरे डेली रूटीन का हिस्सा है. डाइट में ढेर सारी हरी सब्जियां, फल और अंकुरित अनाज लेने के साथ ही नाश्ते में बादाम और अखरोट भी लेती हूं.

आप के फिल्मों की तरफ कदम कैसे बढे?

-मुझे बचपन से ही डांसिंग और ऐक्टिंग का खूब शौक था, तो पहले मैं ने डांस इंस्टिट्यूट खोला और बच्चों को डांस सिखाने लगी. इस के बाद मैं ने मौडलिंग करना भी शुरू कर दिया था. चूंकि मेरे बदन की बनावट ही ऐसी थी की लोग मुझे हीरोइन और मौडल कह कर बुलाते थे, इसलिए मैं ने मौडलिंग की दुनिया में भी कदम बढ़ा दिया और इसी दौरान दौरान ‘मिस दिल्ली’ का खिताब भी जीता.

मेरे इस कामयाबी ने फिल्म मेकरों ध्यान मेरी तरफ खींचा और मुझे भोजपुरी फिल्मों के औफर आने लगे. मुझे भी लगा कि अच्छा मौका है और मैं ने फिल्मों में ऐक्टिंग की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए.

आप दर्जनों फिल्मों में अलगअलग किरदार निभा चुकी हैं फिर आप को बैस्ट अलबम ऐक्ट्रैस का अवार्ड क्यों मिला?

-यह तो फिल्म अवार्ड से जुड़ी जूरी तय करती है कि कौन बैस्ट ऐक्ट्रैस होगा और कौन बैस्ट अलबम ऐक्ट्रैस. मैं ने अपना नौमिनेशन ही बैस्ट अलबम ऐक्ट्रैस कैटेगरी के लिए किया था, क्योंकि मेरे कई अलबम ऐसे हैं, जिन्हें फिल्मों से ज्यादा प्यार मिला है. बैस्ट ऐक्ट्रैस के लिए मेरी पूरी फिल्मी लाइफ पड़ी है. मुझे जब लगेगा कि मुझे अब बैस्ट फिल्म ऐक्ट्रैस के लिए नौमिनेशन करना चाहिए, तो मैं नौमिनेशन भेजूंगी.

कागज पर शब्दों में लिखी कहानियों को पढ़ कर उसे खुद में ढाल कर ऐक्टिंग करना कितना मुश्किल है?

-आप ने सही कहा कि अगर हम फिल्म की कथा, पटकथा और संवाद को कागज में पढ़े शब्दों के जरीए पढ़ें तो उस में इमोशंस नहीं जुड़े होते हैं. लेकिन जब उसी कागज पर लिखे शब्दों को हमें संवाद के रूप में बोलते हुए ऐक्टिंग के जरीए दिखाना हो, तो वह चरित्र जिंदा हो जाता है, जिस का किरदार हम निभा रहे हैं.

ऐक्टरों का बड़ा बिजी शैड्यूल होता है. ऐसे में वे खुद को भी समय नहीं दे पाते हैं. ऐसे में क्या ऐक्टर की भी सैल्फ लाइफ होती है?

-आम लोगों की तरह ऐक्टरों की भी सैल्फ लाइफ होती है, लेकिन फिल्में उन्हें छीन लेती हैं. अगर आप एक कामयाब कलाकार हैं, तो फिल्मों की मसरूफियत आप की सैल्फ लाइफ छीन लेती है, इसीलिए मैं खुद और परिवार को समय देने के लिए बीच में थोड़े दिनों का ब्रेक जरूर लेती हूं.

आप यह कैसे तय करती हैं कि जिस फिल्म या अलबम में काम कर रही हैं, वह हिट ही होगा?

आज के दौर में फिल्मों के हिट होने का पैमाना बदल चुका है, क्योंकि बीते सालों में सामान्य से विषयों पर बनने वाली फिल्में भी हिट रहीं और कमाई का रिकौर्ड तोड़ा, इसलिए हम यह तय नहीं कर सकते हैं कि दर्शक किन फिल्मों को पसंद करेंगे और किसे नकार देंगे.

आप ने सैकड़ों अलबम और दर्जनों फिल्मों में काम किया है. आप को अलबम के लिए अवार्ड मिला है. आप के सब से करीब कौन सा अलबम है?

मेरे सारे अलबम सुपरहिट रहे हैं, फिर भी रितेश पांडेय के साथ आया अलबम ‘आज जेल होई काल्ह बेल होई ने’ कामयाबी के सारे रिकौर्ड तोड़े और उसे 10 करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने देखा. पवन सिंह के साथ ‘मजनुआ पिटाता’ तकरीबन 8 करोड़ लोगों ने देखा. इस के अलावा अंकुश राजा के साथ ‘हम के दुल्हिन बनालस’ हिट रहा.

आप की और विमल पांडेय की जोड़ी खूब पसंद की जा रही है. इस के पीछे कहीं प्यार और रोमांस का चक्कर तो नहीं है?

फिल्मों में ऐक्टर और ऐक्ट्रैस एकसाथ ज्यादा काम करें या एकसाथ दिखें, तो इस का मतलब यह नहीं हैं कि दोनों में प्यार और रोमांस का चक्कर ही होगा. इस के पीछे की एक वजह यह भी होता है कि इन जोड़ियों को दर्शक ज्यादा प्यार करते हैं और पसंद करते हैं, इसीलिए फिल्म बनाने वाले कुछ खास जोड़ियों के साथ फिल्में ज्यादा बनाते हैं. दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ और आम्रपाली दुबे, खेसारी और मेघाश्री, देव सिंह और अंजना सिंह, कल्लू और यामिनी जैसी तमाम जोड़ियां रही हैं, जिन्हें हम साथ देखते रहे हैं. इन सब की जोड़ियां केवल फिल्मों तक सीमित हैं. और हां, ऐक्ट्रैस को छोड़ दें, तो इन में से सभी ऐक्टर शादीशुदा भी हैं.

मेरी और विमल की जोड़ी भी केवल फिल्मी जोड़ी ही है. अभी मैं केवल फिल्मों पर फोकस कर रही हूं, इसीलिए मै सभी से गुजारिश करूंगी कि बेसिरपैर की बातों पर ध्यान न दें.

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