Sports News in Hindi: आज की तारीख में रौबिन मिंज एक ऐसा नाम है, जो पूरे देश में चर्चा में है. रौबिन सिंह ने अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधित्व करते हुए आईपीएल क्रिकेट में अपने बूते एक मुकाम बनाया है और अपनी अद्भुत प्रतिभा से जता दिया है कि ‘हम किसी से काम नहीं’.

साल 2023 में 19 दिसंबर को ‘आईपीएल 17’ के लिए दुबई में हुई नीलामी में 21 साल के विकेटकीपर और बाएं हाथ के बल्लेबाज रौबिन मिंज को गुजरात टाइटंस ने 3.60 करोड़ रुपए में खरीदा. इस के साथ ही वे आईपीएल में पहुंचने वाले पहले आदिवासी खिलाड़ी बन गए हैं.

राबिन मिंज ने मीडिया को बताया, “मैं बचपन से ही क्रिकेट टीम में शामिल होने का सपना देखता रहा और अब यह सच हो गया है. हां, इस नीलामी को ले कर मैं यह समझ रहा था कि 20 लाख में भी कोई टीम खरीद ले तो कोई बात नहीं, लेकिन राशि बढ़ती चली गई. टीम में चुने जाने के बाद जब मैं ने अपनी मां से मोबाइल पर बात की तो वे रोने लगीं. पापा भी रोने लगे.”

रौबिन मिंज झारखंड के हैं और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके महेंद्र सिंह धौनी को अपना आदर्श मानते हैं. वे पिछले कुछ सालों से झारखंड टीम के साथ जुड़े हुए हैं. मजेदार बात यह है कि इस दौरान उन्हें कई बार महेंद्र सिंह धौनी से मुलाकात करने और उन से खेल के गुर सीखने का मौका मिला.

रौबिन मिंज कहते हैं, “धोनी सर ने हमेशा यही कहा कि दिमाग को शांत रख कर खेलो और हमेशा आगे की सोचो.”

रौबिन मिंज गुमला जिले के रायडीह ब्लौक के सिलम पांदनटोली गांव के रहने वाले हैं. यहीं से उन की प्राथमिक शिक्षा हुई और क्रिकेट के प्रति प्रेम जागा. उन के पिता फ्रांसिस जेवियर मिंज एक रिटार्यड सैनिक हैं और फिलहाल रांची एयरपोर्ट पर बतौर सिक्योरिटी गार्ड इनर सर्किल में बोर्डिंग पास चैक करते हैं.

रौबिन मिंज के पिता के मुताबिक, “आईपीएल में रौबिन का चयन सौ फीसदी होगा, इस को ले कर तो मैं तैयार ही था. मैं उतने में ही खुश था. मगर रौबिन को जो ऊंचाई मिली है, वह आनंदित करने वाली है.”

दूसरी तरफ रौबिन की मां एलिस मिंज ने कहा, “इस साल क्रिसमस का इस से बड़ा तोहफा मेरे लिए कुछ नहीं हो सकता. जब से यह खबर मिली है, मुझे तो बस रोना आ रहा है. मेरा तो बस यही सपना है कि जिस तरह धौनी ने झारखंड का नाम रोशन किया है, मेरा बेटा भी करे.”

पिता जेवियर मिंज ने कहा, “जब रौबिन 2 साल का था, तब से ही डंडा ले कर गेंद पर मारना शुरू कर दिया था. मैं खुद भी फुटबाल और हौकी का खिलाड़ी रहा हूं. मैं ने इस को जब टैनिस गेंद ला कर दी तो यह दाएं हाथ के बजाय बाएं हाथ से खेलने लगा. यही बात मेरे मन में घर कर गई, क्योंकि मेरे परिवार में कोई भी बाएं हाथ से काम करने वाला नहीं है. यह भी क्रिकेट खेलने के अलावा सब काम दाएं हाथ से ही करता है. 5 साल की उम्र में मैं ने इसे क्रिकेट कोचिंग में डाल दिया था.”

पहला आदिवासी क्रिकेटर वाली बात पर पिता जेवियर मिंज का कहना है, “हम तो यही कहते हैं कि अगर कोई इतिहास लिखने वाले हैं, तो इस बात को पहले पन्ने पर लिखना चाहिए.”

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