उस का नाम बेला था. लंबा कद, गोरा रंग, भरा हुआ बदन और तीखी नाक. उस के रंगरूप में सब से आकर्षक था. उठा हुआ सीना, जो देखने वालों के कलेजे में आग लगा देता था.

बेला ने दर्जी से नई चोली सिलवाई थी. उसे ले कर वह अपने घर पहुंची, तो चोली की फिटिंग चैक करने के लिए आईने के सामने अपनी पहनी हुई चोली उतार दी और सिलवाई हुई चोली का नाप चैक करने लगी.

बेला ने सामने से देखा, फिर घूम कर पीठ पर चोली की फिटिंग देखने लगी. दर्जी ने सिलाई तो ठीक की थी, पर गला थोड़ा ज्यादा ही कस रहा था. बेला की नजर उस के उठे हुए सीने पर गई, तो उस के चेहरे पर शरारती मुसकान खिल उठी.

‘यही वह जादू की पिटारी है, जिसे दिखा कर तू सारे मर्दों के दिल पर राज करती है,’ बुदबुदाते हुए बेला अपनी नई चोली उतारने लगी कि तभी उस के कमरे का दरवाजा अचानक से खुल गया.

बेला ने अपनी दूध सी गोरी छातियों को हाथ से कैंची बना कर ढक लिया और अंदर की ओर भागने लगी. उसे लगा कि न जाने कोई आदमी ही न आ गया हो, पर वह तो पड़ोस में रहने वाली रेशमा थी.

‘‘अरे, क्या बात है… आज तो तू ने दिन में ही मुहब्बत शुरू कर दी,’’ रेशमा ने अपने दोनों हाथों की उंगलियों को एकदूसरे में भद्दे ढंग से फंसाते हुए कहा, जिसे देख कर बेला की हंसी छूट गई और उस ने रेशमा को बताया कि नई चोली की फिटिंग देखने के लिए पुरानी वाली को उतारा था, पर इस का गला थोड़ा तंग है.

बेला ने एक बार फिर से नई चोली को पहन कर रेशमा को दिखाया, तो रेशमा उस के गले के साइज से संतुष्ट दिखी.

‘‘दूसरी औरतें तो गले का साइज थोड़ा छोटा कराती हैं, जिस से उन का सीना दूसरों को न दिखाई दे और तू इसे बड़ा करवा रही है,’’ रेशमा ने कहा, तो बेला मुसकरा उठी और खिलखिलाते हुए बोली, ‘‘यह जो हमारे सीने की गहराई है न, इसी के बीच में मर्दों की नजरें टिकी रहती हैं, यह तो दिखाने की चीज है, न कि छिपाने की,’’ बेला की बात सुन कर रेशमा उसे हैरानी से देख रही थी.

बरेली शहर के इस इलाके में बेला अपने पति के साथ किराए पर कमरा ले कर रहती थी. उस का पति एक नई बन रही बिल्डिंग में दिहाड़ी मजदूर का काम करता था और बेला लोगों के घरघर जा कर बरतन धोने और साफसफाई का काम करती थी.

जिन घरों में बेला काम करती थी, वहां के मर्द बेला के जिस्म को देख कर लार गिराते रहते थे. वे सब चोरीछिपे बेला के सीने को घूरते और अपने मन को ठंडक पहुंचाते थे.

बेला को भी इस बात का अच्छी तरह से एहसास था कि उस के पास एक मादक जिस्म है और इसीलिए वह अपने जिस्म का बखूबी इस्तेमाल भी करती थी.

इसी महल्ले में देवीलाल नाम का एक विधुर रहता था. उस की उम्र यही कोई 50 साल के आसपास होगी और देवीलाल के साथ रहती थी उस की 35 साल की बहन, जिस का नाम नीलम था. वे दोनों एकदूसरे का सहारा थे.

देवीलाल की बहन नीलम की उम्र काफी हो गई थी, पर अभी भी उस की शादी नहीं हुई थी. देखने में नीलम कोई बहुत अच्छी नहीं थी और चेहरे का रंग सांवला होने के चलते अब तक उसे कोई जीवनसाथी नहीं मिल पाया था.

बेला देवीलाल और नीलम के घर भी बरतन मांजने और झाड़ूपोंछा करने जाती थी. देवीलाल एक नंबर का औरतखोर मर्द था.

बेला को देखते ही देवीलाल की आंखों में हवस जाग उठती. बेला भी उस की नजरों को अच्छी तरह पहचान गई थी और इसीलिए जब भी वह झाड़ू लगाती, तो जानबूझ कर अपनी साड़ी का पल्ला गिरा देती, जिस से उस की चोली के अंदर से उस की गोरी गोलाइयां झलकने लगतीं, जिन्हें देख कर देवीलाल मन ही मन खूब आहें भरता था.

एक शाम की बात है, जब बेला देवीलाल के घर पहुंची. नीलम शायद कहीं बाहर गई हुई थी. देवीलाल घर में अकेला था. उस ने बेला को देखते ही चाय की फरमाइश की.

बेला किचन में जा कर चाय बनाने लगी कि तभी देवीलाल पीछे से आ गया. उस के हाथ में कुरियर वाले का एक बंडल था, जिसे दिखाते हुए देवीलाल ने कहा, ‘‘मैं ने ये कपड़े औनलाइन मंगवाए हैं. तुम पहन कर देख लो… शायद तुम पर वे अच्छे लगें.’’

बेला ने देवीलाल के हाथों से पैकेट ले लिया और उस को खोल कर देखने लगी. उस पैकेट के अंदर से औरतों के छोटे कपड़े निकले.

बेला ने अपने मुंह पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘दैया रे दैया, ऐसे कपड़े हम तो कभी न पहनें…’’

बेला की बात सुन कर देवीलाल ने कहा, ‘‘अरे, अब नखरे मत करो, इन्हें पहन भी लो…’’

देवीलाल की बात सुन कर बेला ने कहा, ‘‘ऐसे कपड़े तो मौडल पहनती

हैं, जिस के बदले में उन को ढेर सारे पैसे मिलते हैं. अगर मैं पहनूं, तो मुझे क्या मिलेगा?’’

बेला की बात सुन कर देवीलाल ने कहा, ‘‘जो तेरी मरजी हो ले लेना.’’

देवीलाल की बात सुन कर बेला ने वह पैकेट हाथ में ले लिया और मुसकराते हुए एक कमरे की ओर बढ़ गई, फिर दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.

कुछ देर बाद दरवाजा खुला, तो बेला लाल रंग की ब्रापैंटी में उस के सामने खड़ी थी. उस ने एक मदमस्त अंगड़ाई ली, जिसे देख कर देवीलाल पर पागलपन सवार हो गया. उस ने बेला को गोद में उठाया और बिस्तर पर पटक दिया, फिर उसे बेतहाशा चूमने लगा.

देवीलाल ने बेला के सीने के बीच में अपने सिर को घुसेड़ दिया और उस के जिस्म के हर हिस्से को चाटने लगा. बेला भी सिसकारियां भरने लगी और देवीलाल की पीठ पर अपने हाथों से खरोंचने लगी…

देवीलाल ने बेला के वे छोटे कपड़े उतारने में देर नहीं लगाई और फिर कमरे में गरम सांसों के गूंजने से वहां का तापमान बढ़ गया था. दोनों के जिस्म कुछ देर की मशक्कत के बाद एकदूसरे से अलग हो गए. ऐसा लग रहा था कि वे दोनों मीलों दौड़ कर आए हों.

बेला कपड़े पहनने लगी. देवीलाल अब भी बिस्तर पर निढाल पड़ा हुआ था. बेला ने उस से कहा कि अब उसे देर हो रही है, इसलिए जाना होगा.

देवीलाल बेमन से उठा और अपने पर्स से 500 रुपए के 2 नोट निकाल कर बेला की ओर बढ़ाए. बेला ने उन दोनों नोटों को ले कर अपनी चोली के अंदर रख लिया.

‘‘ये पैसे तो इन छोटे कपड़ों को पहनने का मेहनताना भर है, बाकी जो

तू ने मेरे जिस्म को रौंदा है, उस का भी तो पैसा दे…’’ बेला ने कहा.

देवीलाल ने बेला की तरफ 1,000 रुपए और बढ़ा दिए.

बेला पैसों को ले कर बाहर की ओर जाने लगी कि तभी नीलम भी आ गई. दोनों की नजरें मिलीं और आगे बढ़ गईं.

उस दिन के बाद से जब भी देवीलाल का मन करता, उस दिन वह औफिस नहीं जाता और घर पर ही रुक जाता.

एक रात बेला का पति हरद्वारी जब बिस्तर पर लेटा, तो काफी थका हुआ था. बेला के पास आते ही उस ने बेला के सीने पर हाथ रख दिया और दबाव बढ़ाने लगा.

‘‘मैं बहुत थकी हुई हूं… आज मुझे परेशान मत करो.’’

‘‘आज मना मत करो… मैं भी बहुत परेशान हूं,’’ हरद्वारी ने फुसफुसाते हुए कहा.

बेला ने परेशानी की वजह पूछी, तो हरद्वारी ने बताया कि उस का ठेकेदार उसे बहुत तंग करता है और बातबात पर गालियां देता है. इस के बाद हरद्वारी ने यह भी कहा कि अब वह और मजदूरी नहीं करना चाहता है.

‘‘फिर क्या करोगे तुम?’’ बेला थोड़ा नरम हो गई थी.

हरद्वारी ने उस से कहा कि इस जलालत भरे काम से तो अच्छा है कि वह एक पुराना ईरिकशा खरीद ले और सवारियां ढोए.

बेला ने हरद्वारी के प्रस्ताव पर खुशी जताई, पर हरद्वारी ने उदास मन से बेला से ईरिकशा खरीदने भर के पैसे न होने की बात बताई.

‘‘पर, यह ईरिकशा कितने तक का आ जाएगा?’’ बेला ने पूछा.

‘‘पुराना भी लेंगे, तो 50,000 रुपए से कम कीमत का नहीं आएगा,’’ हरद्वारी की आवाज में थोड़ी सी फुरती दिखाई दे रही थी.

‘‘50,000…’’ बेला बुदबुदाने लगी थी. यह एक बड़ी रकम थी और बेला को पता था कि इतने पैसे उस के पास नहीं हैं.

अगले दिन से ही बेला पैसों के लिए अपना दिमाग दौड़ाने लगी थी. अपनी अलमारी के सारे पैसे निकाल कर देखे. कुछ गहने भी थे. कुलमिला कर इन सब की कीमत 10,000 रुपए से ज्यादा न होती यानी 50,000 में 40,000 अब भी कम थे.

बेला परेशान हो गई. अपने पति को ठेकेदार और दिहाड़ी के काम से वह छुटकारा दिलाना चाहती थी, पर पैसा इस राह में रोड़ा बन रहा था.

अगले दिन जब बेला देवीलाल के घर बरतन मांजने पहुंची, तो वह घर में नहीं था, बल्कि नीलम ही अकेली थी.

नीलम ने होंठों पर गहरे रंग की लिपस्टिक लगाई हुई थी और उस के बाल भी खुले हुए लहरा रहे थे. आज वह रोज से दिखने में ठीकठाक लग रही थी.

‘‘आज आप औफिस नहीं गईं?’’ बेला ने पूछा.

नीलम ने उसे बताया कि देवीलाल किसी काम से बाहर गए हैं और शाम तक वापस आएंगे.

नीलम ने उसे बातोंबातों में यह भी बताया कि आज उस का जन्मदिन है और उस से मिलने एक बौयफ्रैंड आने वाला है.

अभी बेला और नीलम बातें कर ही रही थीं कि नीलम का दोस्त आ गया. दोनों एकदूसरे को देख कर बेचैन हो रहे थे, जिसे देख कर ही बेला उन के बीच के संबंधों की असलियत समझ गई.

नीलम ने जल्दी से बेला को काम निबटा कर चले जाने को कहा और खुद अपने बौयफ्रैंड के साथ ऊपर वाले कमरे में चली गई.

बेला को काम निबटाने में तकरीबन आधा घंटा लग गया. फिर वह ऊपर के कमरे की तरफ बढ़ती चली गई, पर कमरे के पास पहुंच कर उसे ठिठक जाना पड़ा, क्योंकि सामने कमरे में नीलम

और उस का दोस्त बिस्तर पर थे. नीलम अपने दोस्त के पैरों के बीच बैठी हुई मजे ले रही थी.

फिर पता नहीं बेला के दिमाग में क्या आया कि उस ने अपने मोबाइल फोन को निकाल कर इन दोनों की सैक्स करते हुए क्लिपिंग बना ली.

बेला कुछ दिनों तक तो चुप रही और मन ही मन प्लान बनाती रही, फिर एक दिन जब वह नीलम से मिली, तो उस ने नीलम को उस की सैक्स वाली वीडियो दिखाते हुए 40,000 रुपयों की मांग कर डाली और नीलम के द्वारा उसे पैसे नहीं दिए जाने पर यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर देने को कहा.

बेला की बात सुन कर नीलम न तो डरी और न ही शरमाई, बल्कि हंसते हुए कहने लगी, ‘‘मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम यह वीडियो सोशल मीडिया में फैलाओ, समाज और आसपड़ोस वालों को दिखाओ… मैं किसी समाज से नहीं डरती…

‘‘कौन सा समाज…? वही समाज, जिस ने मेरे सांवले रंग के चलते मुझे आज तक कुंआरा रहने पर मजबूर कर दिया,’’ नीलम गुस्से में आ गई थी, ‘‘वही समाज न, जहां आएदिन लड़कियों का रेप होता है और समाज सिर्फ मोमबत्ती जला कर राजनीति करता है…

‘‘और वैसे भी मैं तुम्हें बता दूं कि मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम देवीलाल भैया को यह बात जा कर बता दोगी, मेरे और मेरे दोस्त के संबंधों के बीच उन्हें सब पता है और हम दोनों को समय देने के लिए ही वे बाहर चले जाते है…’’ इतना कह कर नीलम सांस लेने के लिए रुक गई.

बेला उस की बातें सुन कर हैरान थी. उस के प्लान पर पानी फिर गया था. उस ने सोचा था कि नीलम को ब्लैकमेल कर के वह कुछ पैसे की उगाही कर लेगी, जिस से उस का पति ईरिकशा खरीद सकेगा, पर यहां तो मामला ही उलटा पड़ गया था.

हरद्वारी बेमन से मजदूरी करने जाता था और मुंह लटका कर वापस आ जाता. पैसे का कोई इंतजाम न होने के चलते बेला कुछ दिन परेशान रही, फिर उस ने एक दिन देवीलाल से 40,000 रुपयों की मदद मांगी.

देवीलाल ने बेला को साफ मना कर करते हुए कहा कि अगर 2-4 हजार रुपयों की बात होती, तब तो वह जुगाड़ कर सकता था, पर 40,000 रुपए तो बहुत बड़ी रकम है.

पर, बेला की मदद करने के लिए देवीलाल ने उसे एक आदमी का पता और फोन नंबर देते हुए कहा, ‘‘यह आदमी एक नंबर का जिस्म का भूखा है. अगर तुम इस आदमी को अपने जिस्म के जाल में फंसा लो और उस के साथ हमबिस्तर हो जाओ, तो वह तुम्हें यह रकम भी दे सकता है.’’

बेला के सामने और कोई रास्ता तो था नहीं, इसलिए वह दिए गए पते पर जा पहुंची. यह वही जगह थी, जहां पर उस का पति मजदूरी करता था और जिस आदमी से उसे मिलना था, वह भी वही ठेकेदार था, जो उस के मरद को गालियां देता था.

उस ठेकेदार का नाम हरी सिंह था. बेला को अपने सामने देख उस के मुंह में पानी आ गया. कभी वह बेला के सीने को घूरता, तो कभी उस की नाभि को, फिर वह बोला, ‘‘रातभर के कितने पैसे लेगी?’’

बेला को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले, फिर भी उस ने कहा, ‘‘मुझे 40,000 रुपए चाहिए…’’

‘‘अपनेआप को कहीं की हीरोइन समझती है, 40,000… जानती भी है

कि कितनी बड़ी रकम होती है…’’ कि हरी सिंह आंखें निकालता हुआ बोल रहा था.

बेला वहां चुपचाप खड़ी थी. कुछ देर बाद हरी सिंह बोलने लगा, ‘‘हां, पर एक तरीका है.’’

हरी सिंह की यह बात सुन कर बेला की आंखों में चमक आ गई और उस के कान हरी सिंह की बात सुनने को आतुर हो उठे.

‘‘माल तो तू बढि़या है, इसलिए कहता हूं कि मेरा एक दोस्त और भी है… अगर तू हम दोनों को बारीबारी से खुश करती रहे तो हम लोग तुझे पैसा इकट्ठा कर के दे देंगे.’’

बेला के सामने और कोई रास्ता न होने के चलते उस ने हामी भर ली. हरी सिंह ने उसे अगले दिन शाम के समय उसी जगह पर बुलाया और हवस का खेल शुरू हो गया था.

उस कमरे में हरी सिंह और एक नया आदमी बैठे शराब पी रहे थे. बेला उन के सामने गई, तो हरी सिंह ने कहा, ‘‘आज तुझे पहले इन्हें खुश करना है… मेरा नंबर तो इन के बाद आएगा.’’

दूसरा आदमी बेला के जिस्म पर अपने हाथ फिराने लगा था. जाहिर सी बात थी कि बेला को इस बात से कोई कोफ्त नहीं हो रही थी.

धीरेधीरे उस आदमी ने बेला के कपड़े उतार दिए और कोने में पड़ी खटिया पर पटक कर सैक्स का मजा लेने लगा. उस के बाद हरी सिंह आ गया और वह भी बेला के बदन से खेलने लगा.

बेचारी बेला… उस का जिस्म थक चुका था, पर अपने पति को ईरिकशा दिलवाने की उम्मीद अभी भी बनी हुई थी. वह हर तरीके से उन लोगों को खुश रखना चाहती थी.

‘‘यह तू रोज शाम को देर से क्यों आती है?’’ हरद्वारी ने पूछा.

‘‘बस यों समझ ले कि तेरे ईरिकशा के लिए मेहनत कर रही हूं,’’ बेला ने कहा.

अब तो हरी सिंह पैसों का लालच दे कर बेला को वक्तबेवक्त बुलाता और उस के जिस्म से खेलता. बेला ने कई बार पैसे भी मांगे, पर हरी सिंह हर बार टालता ही रहा.

बेला समझ गई थी कि हरी सिंह उस की मजबूरी का फायदा उठा रहा है, इसलिए उस ने उंगली टेढ़ी करने की सोची और जब एक दिन हरी सिंह बेला के साथ सैक्स कर रहा था, तो चुपके से बेला ने उस की सैक्स वीडियो बना ली और खामोशी से घर चली आई.

2 दिन के बाद बेला हरी सिंह के अड्डे पर पहुंची और वीडियो क्लिप उसे दिखाते हुए बोली, ‘‘मुझे मेरी मेहनत के पैसे दे दो, नहीं तो मैं यह क्लिप तुम्हारे बीवीबच्चों और महल्ले में सब को दिखा दूंगी,’’ बेला ने चीख कर कहा, तो थोड़ी देर के लिए हरी सिंह और उस का दोस्त सहम गए, पर अगले ही पल वे दोनों जोरजोर से हंसने लगे.

‘‘तू हमारी सैक्स वीडियो बना कर हमें ब्लैकमेल क्या करेगी, हम तुझे बताते हैं कि सैक्स की वीडियो कैसे बनाई जाती है…’’ हरी सिंह बोला और तेजी से उठ कर बेला के शरीर से कपड़े हटाने लगा, पर आज बेला आरपार के मूड में थी, सो वह विरोध करने लगी.

हरी सिंह का दोस्त मोबाइल के कैमरे से यह सब शूट करने लगा. हरी सिंह जबरन बेला के साथ सैक्स की कोशिश करने लगा और जब तक उस का जी नहीं भरा, वह बेला के शरीर पर जुटा रहा.

‘‘अब मैं यह वीडियो इंटरनैट पर डाल कर पैसे भी कमाऊंगा और तेरे पति को भी दिखाऊंगा, ताकि तू हम से आइंदा पैसे की डिमांड न कर सके,’’ हरी सिंह बोला.

बेचारी बेला अब लुटपिट चुकी थी. भले ही वह लटकेझटके दिखा कर मर्दों को अपनी तरफ खींचती थी, दूसरे मर्दों के साथ सोने से गुरेज भी नहीं करती थी, पर अपना यह राज आज तक उस ने अपने पति से छिपाया हुआ था और उस के घर के आसपास के लोगों में भी उस की इमेज एक मेहनतकश औरत की बनी हुई थी.

‘अगर यह वीडियो मेरे पति को दिखा देगा, तो वह तो मारे शर्म के मर ही जाएगा और फिर मेरे आसपास का समाज… समाज की नजरों में तो मैं एक धंधे वाली के समान हो जाऊंगी…’ एकसाथ कई बातें बेला के जेहन में गूंज रही थीं.

‘‘ठीक है… मुझे तुम लोगों से कोई पैसे नहीं चाहिए, पर तुम यह वीडियो मेरे पति को मत दिखाना और न ही इसे इंटरनैट पर डालना…’’ बेला ने हाथ जोड़ कर कहा.

उस की इस बात पर हरी सिंह कुटिलता से मुसकरा उठा मानो उसे मुंहमांगी मुराद मिल गई थी.

एक तरफ बेला थी, जिस ने पति और समाज के डर से हरी सिंह से पैसे लिए बिना अपनी इज्जत को बचा लिया था. वहीं दूसरी तरफ देवीलाल की बहन नीलम थी, जो बिना समाज की चिंता किए अपने बौयफ्रैंड के साथ मजे कर रही थी.

हो सकता है वे दोनों औरतें अपनीअपनी जगह सही हों, पर इन सब के बीच हरद्वारी का ईरिकशा आज तक नहीं आ पाया है और उसे अब भी ठेकेदार के पास काम करने जाना पड़ रहा है और उस की भद्दी गालियां भी सहनी पड़ रही हैं.

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