ठाकुर निहाल सिंह सुजानपुर नामक गांव के बड़े ठाकुर का बेटा था, जो विदेश से पढ़ कर लौटा था. वह कोई बड़ीबड़ी मूंछों और लाललाल आंखों वाला मुस्टंडा ठाकुर नहीं था, बल्कि दरमियाने शरीर का एक 30 साल का नौजवान था.

गांव वापस आ कर ठाकुर निहाल सिंह ने बहुत जल्दी ही बड़े ठाकुर का कामधाम समझ लिया था. बड़े ठाकुर की आमदनी का जरीया खेतों में उगने वाली फसलें और चीनी बनाने वाला एक क्रशर था.

क्रशर पर काम करने वाली मजदूर औरतों से निहाल सिंह बड़े अदब से पेश आता था और उन की सुखसुविधाओं का भी ध्यान रखता था.

निहाल सिंह के खास गुरगे दिलावर ने दबी जबान से मजदूरों पर इस मेहरबानी की वजह पूछी, तो बदले में निहाल सिंह सिर्फ मुसकरा कर रह गया था.

‘‘कुछ भी हो, ये जो यहां काम करने वाली औरतें हैं न… इन के साथ सैक्स करने में बहुत मजा आएगा,’’ निहाल सिंह ने क्रशर पर काम करती हुई एक मजदूरन के खुले पेट और उस की छाती को घूरते हुए कहा. उस की आंखों में हवस छाई हुई थी.

‘‘क्या ठाकुर साहब, ये तो सब नीच जाति की औरतें हैं… आप भला इन के साथ क्यों खुद को गंदा करेंगे?’’ दिलावर ने कहा.

निहाल सिंह ने बताया कि वे लोग पैदाइशी ठाकुर हैं और दलित का शारीरिक शोषण करना उन का पुश्तैनी काम है. वैसे भी इन दलित औरतों का शरीर मेहनत कर के कसावट से भर जाता है और जब इन के साथ जबरदस्ती की जाती है न, तब बड़ा मजा आता है.

आज दिलावर ठाकुर निहाल सिंह का यह नया रूप देख रहा था. विदेश जा कर पढ़ाई कर लेने के बाद भी निहाल सिंह गांव की दलित औरतों में सैक्स तलाश रहा था.

निहाल सिंह जब विदेश में था, तब भी वह धंधा करने वालियों पर पैसे उड़ाने में बिलकुल भी हिचकता नहीं था. उस का रंगीन स्वभाव जान कर बड़े ठाकुर ने भी उसे समझाया कि आज समय बदल गया है, गांव के लोग इतने सीधेसाधे नहीं रह गए हैं कि उन्हें आसानी से बेवकूफ बनाया जा सके.

आज गांव में भी मोबाइल फोन पहुंच गया है, जिस के चलते जागरूकता आ गई है, इसलिए बहुत जरूरी है कि गांव की जनता को दबा कर नहीं, बल्कि उन्हें अपनेपन के दिखावे से जीता जाए.

बड़े ठाकुर की बात निहाल सिंह को समझ में आ गई थी, इसलिए उस ने इस गांव के लोगों के दिलों में अपनी जगह बनानी शुरू कर दी और इस काम के लिए सोशल मीडिया को हथियार बनाया.

ठाकुर निहाल सिंह गांव के बड़ेबुजुर्गों को जरूरत की चीजें दान में देता और सोशल मीडिया पर अपनी दानवीरता के फोटो डाल कर प्रचारप्रसार करता था.

सर्दियों के दिन थे. निहाल सिंह अपनी गाड़ी में बैठ कर शहर की ओर जा रहा था. इतने में उस की नजर गांव की एक लड़की छबीली पर पड़ी, जो अपनी बकरी के पीछेपीछे दौड़ी जा रही थी.

छबीली की छाती पर कोई भी दुपट्टा नहीं था. उस का कुरता भी उस के सीने से चिपक गया था, जिस से उस की गोलाइयां साफ दिख रही थीं.

निहाल सिंह की गंदी नजर छबीली की छाती पर अटक कर रह गई. उस की आंखों में हवस के लाल डोरे तैरने लगे.

दिलावर निहाल सिंह की मंशा को समझ गया और बोला, ‘हुजूर, माल पसंद आ गया हो तो बताएं…’

निहाल सिंह दिलावर की तरफ देख कर कुटिलता से मुसकराने लगा. फिर क्या था, गाड़ी चलाते हुए दिलावर ने छबीली की तरफ बढ़ा दी और उस के पास पहुंचते ही गाड़ी रोक कर दिलावर ने छबीली को गाड़ी के अंदर घसीट लिया.

छबीली घबरा गई थी, पर बलशाली दिलावर के आगे सिर्फ हाथपैर पटक कर ही रह गई. दिलावर ने उसे कार की पिछली सीट पर पटक दिया, जहां पर निहाल सिंह उसे ललचाई नजरों से घूर रहा था.

निहाल सिंह छबीली के भीगे बदन को अपने होंठों से चाटने लगा और उस के कपड़ों को फाड़ने की कोशिश करने लगा. छबीली ने बचने की बहुत कोशिश की, पर ताकतवर निहाल सिंह उस के शरीर में प्रवेश कर चुका था.

छबीली की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे, पर निहाल सिंह तो अपनी हवस मिटाने में लगा हुआ था और उस का पालतू दिलावर सिंह आगे सीट पर बैठा हुआ गाड़ी चला रहा था और बीचबीच में नजर उठा कर सामने लगे आईने में रेप का नजारा देख भी लेता था.

छबीली की इज्जत लूटी जा चुकी थी. लस्तपस्त हालत में निहाल सिंह ने छबीली को गाड़ी से नीचे फेंक दिया.

छबीली के शरीर से खून रिस रहा था. थोड़ी देर बाद वह उठी और गांव के बाहर उफनती नदी में कूद कर उस ने अपनी जान दे दी.

छबीली की खुदकुशी कुछ दिन तक आसपास के गांवों में चर्चा की बात बनी रही. निहाल सिंह पहले तो इस खबर से थोड़ा घबराया, पर फिर उस ने इस मौके का फायदा उठाया और गांव में यह बात फैला दी कि छबीली की मौत एक हादसा थी, जो उफनती नदी में डूब कर हुई.

इस के बाद ठाकुर निहाल सिंह ने अपने पास से 30,000 रुपए पीडि़त परिवार को दिए और सोशल मीडिया पर इस के फोटो भी अपलोड कर दिए.

अब तो निहाल सिंह तानाशाह हो चुका था. गांव में किसी की भी इज्जत पर हाथ डालना उस के लिए बाएं हाथ का खेल बन गया था.

एक दिन की बात है. ठाकुर निहाल सिंह शहर जाने की तैयारी कर रहा था कि तभी उस से मिलने 45 साल की रमा नाम की एक औरत आई. उस की 20 साल की बहन भी साथ में थी.

ठाकुर ने उन दोनों का हाथ जोड़ कर स्वागत किया और ड्राइंगरूम में बिठा कर आने की वजह पूछी, तो रमा ने बताया कि वह कमजोर और बेरोजगार औरतों को अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाती है. इस के लिए वह उन्हें अचारपापड़ बनाने की ट्रेनिंग भी देती है और उस के बाद अगर 8-10 औरतें मिल कर इस काम को उद्योग की शक्ल देना चाहें, तो रमा उन्हें सरकार से लोन भी दिलवाने में मदद करती है.

निहाल सिंह के कान तो रमा की बातें सुन रहे थे, पर उस की आंखें लगातार रमा के जिस्म पर घूम रही थीं और बीचबीच में वह उस की कमसिन बहन की जवानी को भी तोल रहा था.

‘‘हमारे गांव में तो सभी औरतें अपने घरों में ठीक से रह रही हैं,’’ निहाल सिंह ने रूखापन दिखाते हुए कहा, तो रमा ने अपने बारे में थोड़ा और बताया कि उस ने इस से पहले शहर में भी जिस्मफरोशी का धंधा करने वाली औरतों को वह गंदा काम छोड़ कर मसाला और अचार बनाना सिखा कर उन्हें अच्छी तरह से जीना सिखाया है.

निहाल सिंह के कान ‘जिस्मफरोशी’ शब्द सुन कर खड़े हो गए और वह सोचने लगा कि यह रमा तो काम की औरत है. उस ने रमा को अपने गांव की औरतों को काम सिखाने की रजामंदी दे दी और उन के रहने का इंतजाम अपनी हवेली के गैस्ट रूम में करा दिया.

अगले दिन से ही रमा ने गांव की औरतों से मिलना और उन्हें काम के बारे में बताना शुरू किया. बाहर से आई रमा के समझाने का अंदाज गांव की औरतों को बहुत पसंद आया और वे उन्हें सहयोग करने के लिए राजी हो गईं.

अब उन औरतों को अपनी ‘रमा दीदी’ द्वारा अचार बनाना सीखना था और उस बने प्रोडक्ट को बाजार में ले जा कर बेचने का काम रमा और उन के स्टाफ का था.

रमा काम के साथसाथ उन औरतों को यह भी बताती थीं कि कैसे उन्होंने शहर में जिस्मफरोशी करने वाली औरतों को कोठे से निकाल कर एक नई जिंदगी दी और उन्हें यह काम सिखा कर अपना खर्चा चलाना सिखाया.

‘‘पर बेचारी गीता के लिए मैं ज्यादा कुछ नहीं कर पाई…’’ एक दिन सब औरतों के सामने अचानक रमा के मुंह से निकल गया.

औरतों के पूछने पर रमा ने बताया कि गीता भी एक देह धंधे वाली लड़की थी. महज 20 साल की उम्र में ही उसे इस घटिया धंधे में धकेल दिया गया और फिर उसे एड्स हो गया. अब इलाज तो हो रहा है, पर पैसों की कमी के चलते वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो पा रही है. यह सब बताते हुए रमा की आंखें छलक आई थीं.

निहाल सिंह को इस अचार और पापड़ के काम के चलने या न चलने से कोई मतलब नहीं था, बल्कि उस की हवस भरी नजर तो रमा की छोटी बहन रीति पर थी.

रीति में अभी अल्हड़पन था और उस की उम्र के बाकी लड़केलड़कियों की तरह उसे भी अपना मोबाइल फोन बहुत प्यारा था. वह गांव में मोबाइल के कैमरे से फोटो और वीडियो बनाया करती थी.

एक दिन निहाल सिंह रीति के पास पहुंचा और मोबाइल फोन से वीडियो बनाने का राज पूछा, तो रीति ने बताया, ‘‘मैं अच्छी लोकेशन की रील्स बनाती हूं, जिन्हें बाद में अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर अपलोड करती हूं.’’

‘‘सोशल मीडिया तो मैं भी इस्तेमाल करता हूं और मैं यह भी जानता हूं कि ये रील्स बनाने के लिए तुम्हें अच्छी लोकेशन चाहिए,’’ निहाल सिंह ने रीति के लिए जाल बिछाना शुरू कर दिया था और रीति उस में फंस भी गई थी.

अगले दिन रमा जब औरतों को अचारपापड़ बनाने की क्लास दे रही थी, तब निहाल सिंह रीति को लोकेशन दिखाने के बहाने अपनी गाड़ी में शहर की ओर जाने वाली रोड पर ले चला. रीति भी रमा को बताए बिना ही उस के साथ चल दी थी.

जैसे ही गाड़ी ने रफ्तार पकड़ी, निहाल सिंह ने रीति की छाती पर हाथ रख दिया. रीति चौंक गई और उस ने दूर होना चाहा, पर निहाल सिंह ने उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया और फिर उस के कपड़े तन से जुदा कर दिए, गाड़ी की पिछली सीट पर ही रीति का रेप कर दिया.

रीति किसी तरह रमा के पास पहुंची और अपने साथ हुए जुल्म के बारे में सबकुछ कह सुनाया और यह भी कहा कि रमा उसे जहर दे कर मार दे, क्योंकि अब वह जिंदा नहीं रहना चाहती.

रमा ने रीति को हिम्मत बंधाई और कांपते हाथों से मोबाइल फोन से पुलिस का नंबर डायल कर दिया, पर तुरंत ही उसे काट भी दिया. वजह, रमा पूरे गांव में निहाल सिंह का दबदबा अच्छी तरह देख चुकी थी और फिर वह अच्छी तरह जानती भी थी कि पैसे वाले द्वारा रेप किए जाने के बाद ज्यादा कुछ होता नहीं है, पीडि़ता से बेकार की पूछताछ और मीडिया में आने वाली खबरों के अलावा रमा ने रीति को समझाया कि मरने की जरूरत उस को नहीं, बल्कि निहाल सिंह को है, क्योंकि गलत तो निहाल सिंह ने किया है.

रमा ने अपने मोबाइल फोन से गीता का नंबर डायल कर दिया और बोली, ‘‘तू हमेशा कहती थी न कि तू मेरे किसी भी काम कैसे आ सकती है, तो आज समय आ गया है तुझे मेरे काम आने का…’’ फिर रमा ने गीता को अपने इस गांव आने तक की कहानी बताने के साथसाथ उसे यहां आने का न्योता भी दे दिया.

एक दिन निहाल सिंह और उस की गाड़ी का ड्राइवर दिलावर शराब पी रहे थे कि तभी दिलावर ने उस से शिकायत भरे लहजे में कहा, ‘‘मालिक, हर बार आप ही गाड़ी में अकेले मजे मार लेते हैं, जबकि मैं मन मसोस कर रह जाता हूं.’’

‘‘चल ठीक है, इस बार माल फंसने दे, फिर मैं तुझे भी चलती गाड़ी में मजे लेने का मौका दे दूंगा.’’

अगले दिन रमा के साथ एक लड़की निहाल सिंह की कोठी में दाखिल हुई. उस लड़की की उम्र

25 साल के आसपास थी. सफेद टीशर्ट और नीली जींस में उस के शरीर के सभी उभार और भी सैक्सी लग रहे थे.

निहाल सिंह ने रमा के साथ एक नई लड़की को देखा तो फौरन आगे पहुंच कर उन की आवभगत में लग गया.

रमा ने उस लड़की का नाम सुहानी बताया और यह भी बताया कि सुहानी को उस की कंपनी ने रमा की मदद के लिए भेजा है.

सुहानी बला की खूबसूरत लग रही थी. निहाल सिंह मन ही मन अपने अगले शिकार के तौर पर सुहानी को देख रहा था.

सुहानी हवेली में आतेजाते निहाल सिंह को नजर भर देखती तो वह मचल उठता. अब उस से रुका नहीं जा रहा था. उस ने दिलावर से भी अपनी बेचैनी साझा की, तो दिलावर भी मुसकराने लगा.

‘‘पास वाले गांव में ही हमारे पुरखों की हवेली है. आप दोनों चाहें तो हमारे साथ घूमने चल सकती हैं,’’ निहाल सिंह ने रमा और सुहानी को कहा.

रमा ने तबीयत खराब होने का बहाना बनाया और सिर्फ सुहानी को अपने साथ ले जाने को कहा.

सुहानी का भरा जिस्म देख कर दिलावर भी खुशी से फूला नहीं समा रहा था, क्योंकि वह जानता था कि आज तो निहाल सिंह के बाद उसे भी जवानी लूटने का मौका मिलेगा.

गाड़ी चल दी थी और ठाकुर निहाल सिंह ने सुहानी को कोल्ड ड्रिंक औफर की, तो सुहानी ने मुसकरा कर उसे बच्चों की ड्रिंक बता कर पीने से मना कर दिया.

सुहानी का ऐसा खुलापन निहाल सिंह को बहुत अच्छा लगा, तो उस ने अपने बैग में बंद शराब की बोतल निकाल ली और चलती गाड़ी में ही पीनेपिलाने का दौर शुरू हो गया.

निहाल सिंह ने सुहानी को भी शराब औफर की, जिसे उस ने मुसकरा कर स्वीकार कर लिया.

तकरीबन आधे घंटे की ड्राइविंग के बाद ही निहाल सिंह ने सुहानी की जांघों को सहलाना और उस की छाती को मसलना शुरू कर दिया.

सुहानी को अच्छी तरह पता था कि उसे आसानी से हाथ नहीं आना है और कितने नाजनखरे दिखाने हैं. उस के ये नखरे निहाल सिंह की हवस को और बढ़ा रहे थे. दिलावर के सब्र की भी हद हो चली थी.

और आखिरकार चलती गाड़ी में ही हवस का खेल शुरू हो गया, पर इस बार निहाल सिंह को कुछ नहीं करना पड़ रहा था, बल्कि सारा काम खुद सुहानी ही कर रही थी. वह निहाल सिंह के ऊपर थी.

‘‘वाह… अंगरेजी स्टाइल भी अच्छा लगता है मुझे,’’ निहाल सिंह ने कहा. वैसे भी उस पर शराब का नशा हावी हो रहा था.

कुछ देर में ही निहाल सिंह निढाल हो गया, तो दिलावर ने अपनी दावेदारी पेश कर दी. सुहानी मुसकरा उठी थी. दिलावर ने भी सुहानी के हुस्न से अपनी प्यास बुझानी शुरू कर दी थी.

अगले दिन सुबह ठाकुर निहाल सिंह के मोबाइल पर रमा का एक मैसेज आया, ‘एक वीडियो भेज रही हूं. इसे देखते ही तेरे सारे पुरखों की अंतडि़यां भी फट जाएंगी.’

निहाल सिंह को कुछ समझ नहीं आया. उस ने मोबाइल फोन पर रिसीव हुआ मैसेज देखना शुरू किया. यह उस की गाड़ी में बना हुआ वीडियो था, जिस में वह नंगी हालत में कार की सीट पर लेटा हुआ था और उस के ऊपर सुहानी सवार थी.

वीडियो देखते ही निहाल सिंह का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पंहुचा, ‘‘तेरी इतनी हिम्मत कि तू मेरा वीडियो बनाए… रुक, अभी आ कर तुझे बताता हूं…’’

रमा ने ठंडे स्वर में उसे बताया कि इस सब से कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि वह अपनी बहन रीति और सुहानी के साथ गांव छोड़ चुकी है और अगर वह 10 लाख रुपए उस के खाते में जमा नहीं करेगा, तो यह वीडियो बहुत जल्दी ही सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया जाएगा.

निहाल सिंह को इस वीडियो से बचने का कोई रास्ता समझ नहीं आया, इसलिए उस ने पैसे दे कर जान छुड़ाने की बात ही ठीक समझ और रमा द्वारा दिए गए खाते के नंबर पर पैसे ट्रांसफर कर दिए और रमा को ताकीद की कि अब वह ईमानदारी से वीडियो को डिलीट कर दे.

‘‘ठीक है, वीडियो तो मैं डिलीट कर दूंगी, पर अभी तेरे लिए एक सरप्राइज और है, जिसे तू ताउम्र याद रखेगा,’’ रमा ने मुसकराते हुए कहा, तो निहाल सिंह बेचैन हो उठा.

रमा ने भी अपना खाता चैक किया. 10 लाख रुपए आ चुके थे. उस ने मुसकराते हुए ठाकुर निहाल सिंह को बताया, ‘‘तू कमजोर लड़कियों के साथ रेप कर के शैतान बन चुका था और आगे भी न जाने कितनी मासूमों के साथ गलत काम करेगा, इसीलिए तुझे सजा देना जरूरी था.

‘‘तू ने गाड़ी में सुहानी नाम की जिस खूबसूरत बला के साथ मजे लिए थे, उस का असली नाम गीता है, जो पहले देह धंधा करती थी और अब उसे भयंकर बीमारी एड्स है.’’

रमा की बात सुन कर ठाकुर निहाल सिंह निढाल हो गया. पास खड़े दिलावर ने भी रमा की कही बात सुन ली थी. उस के माथे पर भी पसीना चुहचुहा गया.

अब रमा इन 10 लाख रुपयों से गीता का इलाज कराएगी. गीता और रीति दोनों रमा के गले लग गईं.

बेशक गीता को कोई ग्राहक एड्स नामक जानलेवा बीमारी दे कर गया था, जो एक शाप है, पर रमा की थोड़ी से समझदारी ने रीति का बदला ले लिया और गीता का यह शाप भी वरदान में बदल गया.

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