‘बूस्ट इज द सीक्रेट औफ माय ऐनर्जी’. इस कैचलाइन से हम किसी सामान का प्रचार नहीं कर रहे हैं, पर कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो हमारा हौसले बढ़ाने में शानदार काम करते हैं. ऐसा ही कुछ दिखा इस बार के 19वें एशियाई खेलों में. 23 सितंबर, 2023 को चीन के हांगझोऊ (हांगजो) शहर में शुरू हुए खेलों के इस महाकुंभ में भारतीय दल ‘इस बार, सौ पार’ के हौसला बढ़ाते शब्दों के साथ खेल के मैदान में उतरा था.


दरअसल, अब तक भारत ने इस खेल प्रतियोगिता में सब से ज्यादा साल 2018 में (जकार्ता, इंडोनेशिया) में 16 गोल्ड, 23 सिल्वर और 31 ब्रॉन्ज मिला कर कुल 70 मैडल जीते थे और चूंकि एशियाई खेलों का मोटो है ‘हमेशा आगे’, तो इसी आगे बढ़ने की भावना से ‘इस बार, सौ पार’ का नारा दिलों में ले कर 655 भारतीय खिलाड़ियों ने चीन की ओर कूच किया था.

अब सब से बड़ा सवाल यह था कि 70 से 100 तक कैसे पहुंचेंगे? वजह, इन एशियाई खेलों की शुरुआत में ही भारत के लिए अच्छी खबर नहीं आई थी. वेटलिफ्टिंग में अपने रिकौर्ड तोड़ने की आदत बनाने वाली मीराबाई चानू, जिन से गोल्ड मैडल की उम्मीद थी, 49 किलो भारवर्ग में चौथे नंबर पर रही थीं.

इतना ही नहीं, बैडमिंटन में पीवी सिंधू और कुश्ती की फ्रीस्टाइल कैटेगरी में 65 किलोग्राम भारवर्ग में बजरंग पूनिया, जो गोल्ड मैडल के दावेदार थे, ब्रॉन्ज मैडल तक की खुशबू तक नहीं सूंघ पाए.

 

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इस तिहरे झटके के बावजूद भारतीय दल ने कई खेल प्रतियोगिता में उम्मीद से बढ़ कर भी मैडल जीते, जिस में महिला टेबल टैनिस टीम का ब्रॉन्ज (सुतीर्था मुखर्जी और अहिका मुखर्जी) शामिल है. पारुल चौधरी ने महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में आखिरी 30 मीटर में कमाल कर के गोल्ड मैडल जीत लिया.

इतना ही नहीं, भाला फेंक में ओलिंपिक और वर्ल्ड चैंपियन नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मैडल तो जीता ही, साथ ही किशोर जेना ने सिल्वर मैडल अपने नाम किया. केनोइंग में अर्जुन सिंह और सुनील सिंह ने ऐतिहासिक ब्रॉन्ज जीता, जबकि 35 किलोमीटर की पैदल चाल में रामबाबू और मंजू रानी को भी ब्रॉन्ज मैडल अपनी झोली में डाला.

इसी का नतीजा था कि इस बार भारत ने न केवल 100 मैडल जीतने का आंकड़ा पार किया, बल्कि 28 गोल्ड, 38 सिल्वर और 41 ब्रॉन्ज मैडल मतलब कुल 107 मैडलों की शानदार सौगात देश की जनता को दी.

भारत ने एक और कारनामा किया कि वह कई साल के बाद चौथे नंबर पर रहा. पहले नंबर पर चीन रहा जिस ने कुल 383 मैडल जीते. दूसरे नंबर पर 188 मैडलों के जापान ने बाजी मारी, जबकि तीसरे नंबर पर दक्षिण कोरिया था, जिस ने वैसे तो 190 मैडल जीते थे, पर चूंकि जापान ने गोल्ड मैडल ज्यादा जीते थे, इसलिए उसे यह तीसरा नंबर हासिल हुआ.

वैसे, भारत साल 1951 में दूसरे नंबर पर रहा था और साल 1962 में तीसरे नंबर पर. अब कई साल बाद चौथे नंबर पर आना एक उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है.

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