दलितों, गरीबों, पिछड़ों को ऊंची जातियों के लोग किस तरह से गटर की और गंदे नाले की तरह का मानते हैं, यह एक बहुत ही बेचैन करने वाले वीडियो से समाने आया, मध्यप्रदेश के भारतीय जनता पार्टी केदारनाथ शुक्ला के एक वर्कर परवेश पर आरोप है कि उस ने खुलेआम चुपचाप बैठे एक आदिवासी लडक़े…..करा और उस दौरान आराम से सिगरेट के कश लगाता रहा. यह किस ने वीडियो में कैच कर के जगजाहिर कर दिया, वह असल में सिटिजन जर्नलस्टि अवार्ड का हकदार है क्योंकि आमतौर पर ऊंची जातियों के लोग अक्सर पिछड़ों, दलितों और गरीबों पर ही नहीं, अपनी ही जाति की औरतों को  बेइज्जत करने के लिए करते रहते हैं पर कोई रिकार्ड नहीं रहता.

यह तो नहीं कहा जा सकता कि पार्टी की नीति ऐसी है कि खुलेआम आदिवासियों के इस कदर बेइज्जत किया जाए पर यह पक्का है कि जो सनातन धर्म का नाम ले कर पौराणिक कहानियों में भरोसा ही नहीं करते, कुछ ऐसा सा करने वालों की पूछा करते है और आज सरकारें उन्हें पैसा और सुविधाएं दोनों दे रही हैं.

हमारे धर्म ग्रंथ ऐसी कहानियों से भरे हैं जिस में तरहतरह के श्राप औरतों और नीची जातियों के लोगों को दिए जाते हैं या उन्हें नीचा दिखाने के लिए पाप योनि का हकदार धर्मग्रंथों के हिसाब से माना जाता है, जो पिछड़े और दलित है वे मानते हैं कि उन्होंने पिछले जन्मों में कुछ पाप किए होंगे इसलिए वे इस जन्म में बूढ़े से भी गएबीते हैं. 75 साल के संविधान और 200 साल की पढ़ाई और साइंस की जानकारी भी देश की बड़ी जनता को इस दलदल से निकाल नहीं पाई.

ङ्क्षहदी फिल्म ‘श्री इडियट’ में रैङ्क्षगग के दौरान एक लडक़े का दूसरे नए लडक़े के कमरे के दरवाजे पर भूलना भी इसी सोच का नतीजा है. पुलिस थानों में नीची जातियों के अपराधियों पर अक्सर इस तरह पेशाब करने के किस से छपते रहते हैं.

जो समाज गौमूत्र की पावन मानता हो, उस के मन में कहीं बैठ जाता है कि वह नीची जाति के जने पर पेशाब कर के बड़ा गलत काम नहीं कर रहा. पिछड़ी और निचली जातियों के लोगों को अपने घरों की दीवारों पर पेशाब करना पड़ता है क्योंकि और जगह नहीं होतीं. समाज ने पेशाब को इस तरह का ढांचा बनाया है कि कुछ आदमी जानवरों की तरह अपने ही मलमूत्र में पड़े रहने के आदी हो जाएं.

एक नई, चुनी हुई, साइंस के गुणगान करने वाली, अपने को विश्वगुप्त बनाने वाली सरकार के मुंह पर ही मध्य प्रदेश के सघि जिले का यह वीडियो एक तमाचा है पर जिस बेफ्रिकी से वह भक्त पेशाब करता है, साबित करता है कि एक ताकतवर कौम किस तरह देश के गरीबों की बेइज्जती करना अपना पैदाइशी हक समझती है.

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