कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के प्रिय पात्र रहे सतपाल मलिक अपने कड़वे बोलों के कारण संभवत नरेंद्र मोदी की आंखों की किरकिरी बन गए हैं. यही कारण है कि एक बहुचर्चित न्यूज पोर्टल में साक्षात्कार के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने बतौर मेहमान उन्हें बुला भेजा है. मजे की बात यह है कि सत्यपाल मलिक ने सीबीआई इस निमंत्रण को अपने ट्विटर हैंडल पर बड़ी गर्मजोशी के साथ शेयर करते हुए फिर कुछ  कड़वा बोल दिया है जिसके कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी और भारतीय जनता पार्टी अब उनके सीधे निशाने पर है.

जैसा कि अब यह बात सभी जानते हैं की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो हो या फिर प्रवर्तन निदेशालय अर्थात ईडी के दुरपयोग के आरोप केंद्र सरकार पर कुछ ज्यादा ही लगने लगे हैं ऐसे में सत्य पाल मलिक की छवि कुछ इस तरह की है कि सीबीआई द्वारा उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में बुलाने की खबर की प्रतिक्रिया नरेंद्र मोदी के लिए सकारात्मक नहीं की जा सकती. आज देश के आम आवाम के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और नेता भी यह सोचने लगे हैं कि देश में यह कैसी उल्टी गंगा बहा रही है और नरेंद्र दामोदरदास मोदी पर उंगलियां उठने लगी है. आज हम पाठकों के लिए सत्यपाल मलिक के बरक्स कुछ ऐसी जानकारियां लेकर आए हैं जिन्हें पढ़ समझकर आप स्वयं निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि आखिर देश में क्या चल रहा है.

दरअसल, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जम्मू- कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को केंद्र शासित प्रदेश में हुए कथित बीमा घोटाले के सिलसिले में कुछ सवालों के जवाब मांगे हैं.सात महीने में यह दूसरी दफा है, जब सत्यपाल मलिक से सीबीआई पूछताछ करेगी. बिहार, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल के रूप में जिम्मेदारियां समाप्त होने के बाद पिछले साल अक्तूबर में मलिक से पूछताछ की गई थी . सीबीआइ की ताजा कार्रवाई ‘द वायर’ को मलिक द्वारा दिए गए साक्षात्कार के महज एक सप्ताह बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो का नोटिस मिल गया है.

दूसरी तरफ जैसा कि सत्यपाल मलिक का स्वभाव है उन्होंने  कहा है कि मैंने सच सच बोल दिया है, हो सकता है, इसलिए मुझे बुलाया गया हो. मैं तो किसान का बेटा हूं, मैं घबराऊंगा नहीं, सीबीआइ ने सरकारी कर्मचारियों के लिए  सामूहिक चिकित्सा बीमा योजना के ठेके देने और जम्मू-कश्मीर में कीरू जलविद्युत परियोजन से जुड़े 2,200 करोड़ रुपए के निर्माण कार्य भ्रष्टाचार के सत्यपाल मलिक के आरोपों के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की थीं. इधर  सत्यपाल मलिक ने दावा किया कि उन्हें 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्तूबर 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने रूप में कार्यकाल के दौरान दो फाइलों को मंजू देने के लिए 300 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की गई थी. पाठकों को बता दें कि दूसरी प्राथमिकी की जलविद्युत परियोजना के सिविल कामकाज ठेके देने में कथित अनियमितताओं से जुड़ी है. सत्यपाल मलिक ने हाल ही में एक विवादास्पद साक्षात्कार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधा था और विशेष रूप से जम्मू कश्मीर में शासन चलाने के तरीके को लेकर उसकी आलोचना की थी.

मलिक के कथन से  उल्टा संदेश               

सीबीआइ के पूछताछ के लिए बुलाने संबंधी घटनाक्रम पर कभी मोदी के खास खास रहे सत्यपाल मलिक ने कहा कि सीबीआइ ने ‘कुछ स्पष्टीकरण’ के लिए अपने अकबर रोड स्थित गेस्ट हाउस में उपस्थित होने को कहा है.  सत्यपाल मलिक ने कहा है कि मैं राजस्थान जा रहा हूं, इसलिए मैंने उन्हें 27 से 29 अप्रैल की तारीख दी है.’ उन्होंने ट्वीट किया कि वह सच के साथ खड़े हैं. मलिक ने ‘हैशटैग सीबीआइ के साथ ट्वीट किया, ‘मैंने सच बोलकर कुछ लोगों के पाप उजागर किए हैं. कुल मिलाकर के जहां एक तरफ दिल्ली में शासन कर रही आप पार्टी के अरविंद केजरीवाल सहित उसके कई नेताओं पर सीबीआई और ईडी की गाज को हमने देखा है दूसरी तरफ बिहार में लालू परिवार भी सीबीआई और ईडी से घिरा हुआ है. छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार के कई चेहरे इनकी जद में है. यह कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से हटकर अन्य सभी पार्टियों के ऊपर एक तरह से सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने दबिश दे रही है. इन सबके बीच सत्यपाल मलिक एक ऐसा चेहरा है जो अपने कार्य शैली के कारण देशभर में जाने जाते हैं उन्होंने अपनी बेबाक टिप्पणियों से लोकतंत्र को सींचने का काम किया है, ऐसी शख्सियत पर सीबीआई का फंदा सुर्खियां बटोर रहा है. देखना यह होगा कि आगे चलकर सत्यपाल मलिक खामोश हो जाते हैं या फिर और भी ज्यादा बेबाकी से अपनी बात को देश के सामने रखते हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...