अब जब आम चुनाव में तकरीबन एक वर्ष बचा रह गया है प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की केंद्र की सरकार की अगर हम भारत के आम लोगों की खुशियों के तारतम्य में विवेचना करें तो पाते हैं कि आम आदमी का जीवन पहले से ज्यादा दुश्वार  हो गया है. उसके चेहरे की खुशियां विलुप्त होती जा रही हैं. नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद सर्वप्रथम संसद के चौबारे पर मस्तक झुका करके देश की संसद के प्रति आस्था व्यक्त की थी इसका मतलब यह था कि देश की आवाम की खुशियों के लिए वह सतत प्रयास करेंगे और इसलिए श्रद्धानवत हैं. मगर इन 9 वर्षों में देश की आवाम और खास तौर पर आम आदमी के चेहरे की खुशियां विलुप्त होती चली गई है. आग्रह है कि आप जहां कहीं भी रहते हों, आप चौराहे पर निकलिए लोगों से मिलिए लोगों को देखिए आपको इस बात की सच्चाई की तस्दीक हो जाएगी.

अगर हम आज संयुक्त राष्ट्र वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट का अवलोकन करें तो पाते हैं कि 2023 की रिपोर्ट में भारत देश दुनिया के देशों में 125 में नंबर पर है जो यह बताता है कि देश का आम आदमी खुशियों से कितना  महरूम है. अगर देश का आम आदमी खुश नहीं है तो इसका मतलब यह है कि देश की सरकार अपने दायित्व को नहीं निभा पा रही है. अरबों खरबों  की अर्जित टेक्स और विकास की बड़ी बड़ी बातें करने के बाद अगर आम आदमी को खुशियां नहीं है तो फिर देश की केंद्र सरकार पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक हो जाता है.

 खुशियां ढूंढता आम आदमी   

दरअसल,  संयुक्त राष्ट्र वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2023 में फिनलैंड ने लगातार छठी बार दुनिया का सबसे खुशहाल देश का दर्जा हासिल कर लिया किया है. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क ने  जारी की है. व‌र्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2023 में 137 देशों को आय, स्वास्थ्य और जीवन के प्रमुख निर्णय लेने की स्वतंत्रता की भावना सहित कई मानदंडों के आधार पर रैंक किया गया है. 137 देशों की लिस्ट में भारत को 125वें स्थान पर रखा गया है.

2022 में भारत की रैंक 136 लें नंबर पर थी. दूसरी तरफ भारत अभी भी अपने पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, चीन, बांग्लादेश आदि से नीचे है दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती तकलीफों और दिक्कतों के बीच भारत की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती देश को आजादी दिलाने वाले वीर शहीदों ने शायद यह कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि आजादी के बाद भी देश का आम आदमी एक स्वतंत्र मनुष्य के रूप में एक अच्छे जीवन से महरूम रहेगा. आम आदमी के लिए मुश्किलें बढ़ती चली जा रही हैं सत्ता में बैठे हुए लोग की सुविधाएं बढ़ती चली जा रही हैं यह जबले कहां जा रहा है छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से प्रकाशित अखबारों में सुर्खियां है कि विधानसभा में विधेयक पारित कर के पूर्व विधायकों की पेंशन को 35000 से बढ़ाकर के 58000 रूपए  लगभग कर दिया गया है. देश की चाहे कोई भी विधायिका और संसद हो आम लोगों के खुशियों को बढ़ाने का काम नहीं बल्कि बड़े लोगों की सुविधाओं के लिए अब काम करने लगी है यही कारण है कि आम आदमी का जीवन मुश्किल तो मुश्किल चुनौतियों से घिरा हुआ है जिसका अक्स वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में भी दिखाई दे रहा है.

 हजारों करोड़ों रुपए का घोटाला

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बीके शुक्ला के मुताबिक देश में आज आम आदमी आर्थिक स्थिति दयनीय हो चली है, देश के बड़े आदमी , उद्योगपति जिस तरह सत्ता के संरक्षण में हजारों करोड़ों रुपए का घोटाला कर रहे हैं उसका भुगतान ही आम आदमी कर रहा है.

दरअसल, वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स को तैयार करने में संयुक्त राष्ट छह प्रमुख कारकों का उपयोग करता है. इसमें  स्वस्थ जीवन की अनुमानित उम्र, सामाजिक सहयोग, स्वतंत्रता, विश्वास और उदारता शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि हैप्पीनेस इंडेक्स तैयार करने में औसत जीवन मूल्यांकन के लिए की फैक्टर माना गया है. इसमें फोविड-19 के तीन वर्ष (2020-2022) का औसत भी शामिल है. इस साल रिपोर्ट तैयार करने में इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि कोविड- 19 ने जन कल्याण को कैसे प्रभावित किया है. लोगों के बीच परोपकार बड़ा है या घटा है लोगों के बीच विश्वास, परोपकार और सामाजिक संबंधों को भी प्रमुख पैमानों के तौर पर इस्तेमाल किया गया है.

उल्लेखनीय है कि एक साल ज्यादा समय से जंग लड़ रहा यूक्रेन और गंभीर आर्थिक संकट में फंसा पाकिस्तान रिपोर्ट के मुताबिक भारत से ज्यादा खुशहाल हैं. गैलप लुंड पोल जैसे स्रोतों के आंकड़ों के आधार पर बनी रिपोर्ट में नॉर्डिक देशों को शीर्ष स्थानों में सूचीबद्ध किया गया है. रिपोर्ट में फिनलैंड को लगातार छठी बार दुनिया का सबसे खुशहाल देश माना गया है. कुल मिलाकर के देश की आवाम को और सरकारों को मिलजुल कर के सकारात्मक दिशा में काम करना चाहिए.

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