भारतीय जनता पार्टी की सरकार लगातार बड़े एयरपोर्टों, सुंदर रेलवेस्टेशनों, चौड़ी आधुनिक कई लेन वाली सड़कों, मैट्रो के स्टेशनों, वंदे भारत ट्रेनों का गुणगान करती रहती है. देश की मिडिल क्लास इस पहुंच पर जम कर तालियां बजा रही हैं क्योंकि इन में से ज्यादातर किसी न किसी तीर्थस्थान को ही ले कर जाने के लिए बन रही हैं. इन सब के पीछे आम मजदूर, किसान, फैक्टरी को कोई सुविधा देना नहीं है.

मिडिल क्लास के पास जो थोड़ाबहुत पैसा आया है, उसे मंदिरों के मारफत मंदिर दुकानदारों के  हवाले करवाना है. जोकुछ नया बन रहा है, जिस का ढोल रातदिन बजाया जा रहा है वह ‘रामचरितमानस’ के आदेशों की तरह शूद्रों, गंवारों व औरत को पीटना है और पशुओं को इन रास्तों पर खाने में परोसना है. न ट्रेनों में, न बड़े ग्रीनफील्ड चौड़े नए रास्तों पर, न हवाईअड्डों पर सस्ती कारें दिखेंगी, न खचाखच भरी सवारियां. इन सब एयरकंडीशंड जगहों पर देश का वह वर्ग है जो भरपूर पैसे का आनंद उठा रहा है. देश की 140 करोड़ में से 120 करोड़ जनता आज भी बेसिक सुविधाओं के लिए तरस रही है.

आज भी दिल्ली जैसे शहर की डेढ़-2 करोड़ वाली जनसंख्या में से 30 फीसदी के पास सीवर का कनैक्शन नहीं है. लोग उन बस्तियों में भी सीवर कनैक्शन नहीं करा पाते जहां गली में सीवर आया हुआ है, क्योंकि उस के लिए भी 5,000 से 10,000 रुपए तक का खर्च है. देश के गांवों, कसबों और छोटे शहरों का क्या हाल होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है. सीवर या पानी का कनैक्शन न होने से मजदूर किसान यानी शूद्र और औरतें जो उन घरों को चलाते हैं, तरसते हैं. यह ताड़ना ही है.

‘रामचरितमानस’ के आदेश का अक्षरश: पालन किया जा रहा है. ऐसा नहीं है कि सीवर या पानी कनैक्शन के लिए कोई विशेष साइंस चाहिए या मोटी रकम चाहिए. यह तो ग्रीनफील्ड सीधी 8 लेन की सड़कों पर जरूरत होती है, वंदे भारत ट्रेनों में जरूरत होती है, नए हवाईअड्डों पर जरूरत होती है. पर वहां आम औरत–चाहे सवर्ण घरों की ही क्यों न हो–या आम मजदूर और किसान नहीं जाते. सीवरपानी कनैक्शन तो उन बहुत सी छोटी सी सुविधाओं में से हैं जो शहरियों और फैलते गांवों के लिए अब जरूरी हैं.

देश के विकास के लिए सड़कों के जाल, तेज ट्रेनों, हवाईअड्डों की जरूरत है पर उस के साथ यह भी जरूरी है कि देश में गौतम अडानी जैसे पैदा न हों जो दुनिया के दूसरेतीसरे नंबर के हों जबकि देश में जितने गरीबी रेखा के नीचे हैं, वे दुनिया में नंबर 1 हों. देश से भूख, बीमारी और गंदगी दूर हो पहले, फिर गौतम अडानी बनें तो कोई हर्ज नहीं होगा. गरीबी, बीमारी, गंदगी दूर हो और आम साफ पानी पा सकें और साफ ?ाग्गी?ोंपड़ी में रह सकें.

यह सरकारों की पहली जिम्मेदारी है. शूद्र दलित नीची जाति के हैं. पिछले जन्मों के कर्मों का फल भोग रहे हैं, पहले पाप किए हैं इसलिए सवर्णों की औरतें भी पापयोनि में पैदा हुई हैं. इन का ढोल पीटा जाना जब बंद होगा तब सड़कों, हवाईअड्डों और ट्रेनों का ढोल पीटा जाए. देश का गरीब खुशहाल होगा तो अमीरों की सुविधाएं अपनेआप और बढ़ेंगी. पढ़ीलिखी, चुस्त लेबर फोर्स ही अमीरों की जिंदगी को खुशहाल करेगी.

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