मोनू की भाभी का पूरा बदन जैसे कच्चे दूध में केसर मिला कर बनाया गया था. चेहरा मानो ताजा मक्खन में हलका सा गुलाबी रंग डाल कर तैयार किया गया था. उन की आवाज भी मानो चाशनी में तर रहती थी.वे बिहार के एक बड़े जमींदार की बेटी थीं. उन की शादी भैया के फौज में चुने जाने से पहले ही हो गई थी.भैया के नौकरी पर जाने के बाद अम्मां और बस 2 जने ही परिवार में रह गए थे.

कभीकभी शादीशुदा बड़ी बहन भी आ जाती. भाभी के आ जाने से अब 3 जने हो गए थे. मोनू के पिताजी की मौत उस के पैदा होने के पहले ही एक कार हादसे में हो गई थी. उस के परिवार की गिनती इलाके के बड़े जमींदारों में होती थी. कोठिया के कुंवर साहब का नाम दूरदूर तक मशहूर था.पहले कुछ दिन मोनू भाभी से डरता था. तब वह छोटा भी था. डरता तो अब भी है, लेकिन अब डर इस बात का रहता है कि कहीं नाराज हो कर वे उस से बोलना ही बंद न कर दें.एक बार गरमी का मौसम था.

बगीचे में आम लदे हुए थे. भाभी ने कहा, ‘‘मोनू चलो बाग देख आएं. ?ोला ले चलो, आम भी ले आएंगे.’’मोनू ने कहा, ‘‘भाभी, थोड़ा रुको. मैं बगीचे से सभी को भगा दूं, तब आप को ले चलूंगा.’’थोड़ी देर बाद मोनू आया, तो बोला, ‘‘चलिए भाभी.’’भाभी ने पूछा, ‘‘कहां गए थे?’’मोनू बोला, ‘‘मैं सभी को बाग से भगा कर आया हूं.’’‘‘क्यों भगा दिया?’’ भाभी ने पूछा.‘‘भाभी,

आप नहीं जानतीं, किसी की नजर लग जाती तो…’’भाभी हंसने लगीं. अम्मां भी वहां आ गईं और पूछने लगीं, ‘‘क्या हुआ बहू?’’‘‘अम्मां, मोनू बगीचे में जा कर सभी को भगा आया है. कहता है कि आप नहीं जानतीं, किसी की नजर लग जाएगी.

’’यह सुन कर अम्मां भी हंसने लगीं और बोलीं, ‘‘तेरे पीछे पागल है बहू. इस की चले, तो किसी को देखने ही न दे.’’बगीचे में पहुंचे अभी थोड़ी ही देर हुई थी. मोनू आमों से ?ोला भर चुका था, तभी आंधी आ गई. मोनू बोला, ‘‘भाभी, पेड़ों के नीचे से इधर आ जाओ.’’भाभी बोलीं, ‘‘आंधी तो चली गई मोनू, शायद बवंडर था.’’मोनू की आंखें आंसुओं से भरी थीं.भाभी ने पूछा, ‘‘मिट्टी गिर गई है क्या आंख में?’’मोनू बोला, ‘‘आंखों में कुछ नहीं पड़ा है भाभी.’’‘‘तब रो क्यों रहे हो?’’‘‘आप के ऊपर कितनी धूलमिट्टी पड़ गई है.’’भाभी हंसने लगीं, ‘‘अभी चल कर नहा लूंगी.’’अम्मां पूछने लगीं, ‘‘चोट तो नहीं लगी बहू?’’भाभी बोलीं, ‘‘मां, मोनू रो रहा था. कहता है कि तुम्हारे ऊपर धूलमिट्टी पड़ गई है.’’

ऐसा सुन कर अम्मां भी हंसने लगीं.मई का महीना था. गरमी अपने शबाब पर थी. मोनू कहने लगा, ‘‘20 मई को मेरा रिजल्ट आएगा भाभी.’’भाभी बोलीं, ‘‘मोनू, अगर तू फर्स्ट डिविजन लाया, तो मैं तु?ो इनाम दूंगी.’’‘‘क्या दोगी भाभी?’’‘‘अभी नहीं बताऊंगी, लेकिन बहुत मजेदार तोहफा रहेगा.’’‘‘रुपयापैसा दोगी भाभी?’’ मोनू ने खुश होते हुए पूछा.

‘‘हम लोग कोई जुआरी तो हैं नहीं और न ही बनियामहाजन हैं.’’‘‘तब क्या दोगी भाभी?’’ उस ने चिरौरी की, ‘‘बता दो भाभी.’’मोनू के जिद करने पर भाभी बोलीं, ‘‘मैं तु?ो अपने पास सुलाऊंगी.’’‘‘सोता तो मैं आप के पास रोज ही हूं. जब पढ़ते हुए मु?ो नींद आ जाती है, तो आप के पास ही तो मैं सो जाता हूं. फिर आप के जगाने पर ही मैं अपने बिस्तर पर जाता हूं.’’भाभी हंसने लगीं, ‘‘अरे, वैसा नहीं, जैसा तेरे भैया के साथ सोती हूं, वैसा…’’मोनू की सम?ा में ज्यादा कुछ तो नहीं आया, लेकिन वह 20 मई का बेसब्री से इंतजार करने लग गया.20 मई आई, तो सुबहसवेरे मोनू को दहीभात खिला कर अम्मां ने शहर भेज दिया. वह अपने किसी दोस्त की मोटरसाइकिल से रिजल्ट देखने चला गया था.

भाभी को तो चैन ही नहीं पड़ रहा था. दोपहर के 12 बजे के बाद से ही भाभी 4-5 जगह फोन कर के मोनू का रोल नंबर लिखवा चुकी थीं. 3 बजे किसी ने फोन पर बताया कि मोनू फर्स्ट डिवीजन में पास हो गया है. उन की आंखों से खुशी के आंसू निकल आए.मोनू रात के 9 बजे घर लौटा, तो हाथ में अखबार लिए भाभी के पास जा रहा था. अम्मां बोलीं, ‘‘पहले खाना खा ले, तब भाभी के पास जाना. पड़ोस में रात का कीर्तन शुरू हो गया होगा. मैं 2 घंटे बाद ही लौटूंगी.

वैसे, तेरा रिजल्ट तो बहू को पता है कि तू पास हो गया है. हो गया है न…?’’मोनू जल्दीजल्दी खाना खाने लगा, तो अम्मां बोलीं, ‘‘बेटा, दरवाजा बंद कर लेना. मैं जा रही हूं.’’आधा खाना खा कर मोनू ने हाथमुंह धोए और अखबार उठा कर भाभी के पास पहुंच गया. भाभी सो रही थीं. गरमी होने की वजह से उन्होंने ब्लाउज भी नहीं पहना हुआ था. आंचल भी बिस्तर पर गिर गया था.

मोनू उन्हें इस हालत में ठगा सा खड़ा देख रहा था. वह सोच ही रहा था कि वह देखता रहे या लौट जाए, तभी भाभी को शायद आहट लगी, उन्होंने आंखें खोलीं और पूछा, ‘‘अभी तक कहां था मोनू?’’‘‘मोटरसाइकिल वाले दोस्त ने बहुत देर कर दी भाभी.’’‘‘खाना खा लिया क्या तुम ने?’’‘‘हां भाभी. अम्मां बोल कर गई हैं कि 2 घंटे बाद लौटेंगी.’’भाभी ने कहा, ‘‘तुम्हारा रिजल्ट तो मु?ो दोपहर में ही पता चल गया था. अब जा कर सो जाओ. मु?ो नींद आ रही है.’’

‘‘मेरा इनाम भाभी?’’यह सुन कर भाभी हंसने लगीं, ‘‘अच्छा जा कर दरवाजा लगा आ.’’‘‘वह तो लगा दिया है भाभी.’’‘‘तु?ो गरमी नहीं लगती मोनू? अपने सब कपड़े निकाल दे.’’‘‘कच्छी रहने दूं भाभी?’’‘‘नहीं, सब निकाल दे. इतनी तो उमस है अभी, फिर पहन लेना.’’‘‘ठीक है.’’‘‘अब आ कर इधर लेट जा.’’16 साल का गोराचिट्टा सेहतमंद किशोर मोनू बगल में लेटा था. भाभी ने उस का चेहरा अपने हाथों में ले लिया और होंठों को चूमने लगीं, फिर उसे उठा कर अपने ऊपर ही लिटा लिया और बोलीं,

‘‘जैसा मैं ने किया है, वैसा ही तू भी कर मोनू.’’मोनू ने डरतेडरते उन के गालों को चूमा, फिर होंठों को मुंह में ले कर चूसने लगा. थोड़ी ही देर में वह अपनी मंजिल तक पहुंच गया.अलग होने के बाद भाभी देर तक मोनू को दुलारती रहीं. वे बोलीं, ‘‘अब कपडे़ पहन लो मोनू और जा कर सो जाओ.’’भैया की शादी हुए 7 साल हो रहे थे, लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं था. अम्मां अकसर कहतीं, ‘‘इस बार दोनों जा कर अपनी जांच करा लो.’’भाभी हंसने लगतीं, ‘‘मु?ो क्या तकलीफ है अम्मां? उन से कह दो, वे अपनी जांच करा लें.’’अम्मां कहतीं कि तु?ो कोई फिक्र नहीं है बहू,

तो भाभी बहुत दुखी हो जातीं. वे बोलतीं, ‘‘बताओ, मैं क्या करूं अम्मां?’’20 मई के बाद से ही भाभी के चेहरे की रौनक दोगुनी हो गई थी. वे कहतीं, ‘‘मोनू, अब मैं तु?ो पढ़ा नहीं पाऊंगी. तेरे लिए कोई मास्टर लगा दूंगी. अब मेरे पास सोने भी न आया करो. यहां अब तुम्हारा लड़का सोएगा.’’मोनू पूछता, ‘‘कहां है मेरा लड़का भाभी?’’ तो वे हंसने लगतीं और कहतीं,

‘‘जब आएगा, तब देख लेना.’’एक शाम को भैया आ गए. वे खुश होते हुए भाभी से बोले, ‘‘अब मोनू को मोटरसाइकिल दिला देते हैं, वह तुम्हें भी घुमा लाया करेगा.’’भाभी नाराज होने लगीं, ‘‘अभी रहने दो. अभी मोनू को बाइक दे कर आप उसे मौत के मुंह में ढकेल देंगे. जब इंटर पास करेगा, तब दिला देना मोटरसाइकिल.’’भैया ने पूछा, ‘‘तुम मोनू को पढ़ाती कैसे थीं? साइंस तो तुम ने पढ़ी ही नहीं है.’’भाभी बोलीं, ‘‘उस की किताबें पढ़ लेती थी. थोड़े नोट्स भी मिल गए थे.’’भैया हंसने लगे, ‘‘मैं तो सम?ाता था कि यह साल भी उस का बरबाद ही होगा, लेकिन तुम ने तो कमाल ही कर दिया.’’वे बोलीं,

‘‘अब नहीं पढ़ा पाऊंगी, कोई मास्टर लगा दूंगी.’’भैया को वापस गए 3 महीने से ज्यादा हो रहा था. मोनू कभी हाथ जोड़ कर चिरौरी कर के, पैर पकड़ कर या भूख हड़ताल कर के 3-4 बार ऐसा ही इनाम ले चुका था. एक दिन आंगन में लगे हैंडपंप के पास वे उलटी कर रही थीं. मोनू हैरान सा खड़ा उन्हें देख रहा था. पूछने लगा, ‘‘उलटी की दवा ले आऊं भाभी?’’वे हंसते हुए बोलीं, ‘‘सब शरारत तो तुम्हारी ही है मोनू. यह इनाम भी तो तुम ने ही दिया है.’’अम्मां भी वहां आ गईं. बहू को उलटी करते देखा, तो अनुभवी आंखें खुशी से चमक उठीं.अम्मां ने भैया को भी सूचना दे देने को कहा,

तो भाभी मुश्किल से ही तैयार हुई थीं.अम्मां ने कहा, ‘‘बहू, अब कामधाम रहने दो. कोई तकलीफ हो, तो मोनू को भेज कर दवा मंगा लेना.’’मोनू की सम?ा में यह बदलाव नहीं आ रहा था. भाभी से पूछा, तो वे बोलीं, ‘‘कुछ दिन बाद तुम खुद जान जाओगे.’’कसबे की डाक्टरनी भी आ कर बता गईं, ‘‘अम्मां, अब बहू को दिन में 4-5 बार हलका भोजन दिया करो. फल तो जितना मन हो खाए, दूधदही भी रोज देती रहना. कोई तकलीफ हो, तो मु?ो घर पर ही बुला लेना. बहू कोई दवा अपनेआप न खाए.’’एक दिन गांव का ही एक आदमी नगाड़ा लिए बधाई बजाने आ गया. तमाम औरतेंबच्चे उसे घेरे खड़े थे.मोनू ने पूछा, ‘‘भाभी, यह क्यों बजा रहा है?’’भाभी ने कहा, ‘‘शायद, अम्मां ने बुलाया होगा.’’‘‘क्यों?’’ मोनू ने पूछा.‘‘अरे, तुम्हारे लड़के का स्वागत नहीं करेंगी…’’ भाभी ने हंसते हुए बताया.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...