लोग पहले जाति देखते हैं, गोत्र मिलान करते हैं, तनख्वाह देखते हैं, कुंडली खंगालते हैं और देखते हैं कि लड़की का पैर कैसा है. उसे कदम दर कदम चला कर देखते हैं… फिर सवालों की बौछार… खाना बना लेती हो न? सिलाईबुनाई जानती हो न? तुम पढ़ीलिखी कितनी हो, इस से फर्क नहीं पड़ता, पर तुम घर संभाल लोगी न? फिर तय करते हैं कपड़ों के रंगरूप की तरह चरित्र और रूप और फिर जोड़ते हैं एक नया रिश्ता… मनचाही सब्जी खरीद ली हो जैसे… और उस के बाद कहते हैं कि रिश्ता तो ऊपर वाला तय करता है. यह कितने दुख की बात है कि आज भी लोग कुंडली पर विश्वास कर के लड़कियों की जिंदगी को झोंक देते हैं. मेरी सहेली की भी यही आपबीती है‘
मैं आज भी कुंडली के दायरे में बंधी हुई हूं. कभीकभी कोई मुद्दा खड़ा होता है, जैसे अच्छा कारोबार हो जाए तो लड़की के पैर भाग्यशाली हैं, आते ही घर को स्वर्ग बना दिया और जब पति का काम न बने, तो मेरी कुंडली में दोष ढूंढ़ते हैं. ‘इस जमाने में भी कई जगह कुंडली के आधार पर फैसले होते आए हैं. जब मेरी कुंडली मिलाई गई, तब सब ठीक था. शादी हुई तो कुछ दिन सब सही रहा, फिर कुंडली का खेल शुरू. ‘यहांवहां के पंडितों ने पैसा बनाने के चक्कर में मिलान कर दिया था किस्मत का मेरी. शादी के कुछ साल बाद पता चला कि मैं अर्धमंगली हूं. तब से ससुराल का तांडव शुरू.
जब कभी कुछ सही नहीं होता, तो मुझे चार बातें सुननी पड़ती हैं. ‘20 साल में अब बोलने वाले जिंदा नहीं हैं, लेकिन मेरे हमसफर ने कुंडली पर पूरा जीवन निकाल दिया मेरा. ‘यह रत्न पहन लो, वह रत्न पहन लो’, जीवन जैसे मेरा नहीं उन्हीं का है. कभीकभी मन झल्ला उठता है, इस शकुनअपशकुन के बीच.’ अपनी सहेली की बात सुन कर मुझे दुख हुआ. यह सच है कि कुछ अंधविश्वासी लोगों की वजह से घर टूट रहे हैं.
समाधान निकालने की कोई कोशिश नहीं करना चाहता, सुनीसुनाई फालतू की कुरीतियों को कोई नहीं रोकता. यह तो वही बात हो गई, सब्जी की तरह पसंद कर के लड़कियां खरीद लाएं और जब सब्जी खा कर ऊब गए तो शुरू उस की क्वालिटी पर सवालों की बौछार. पर अब समय आ गया है कि आप सभी औरतें खुद को मजबूत बना कर इन सब दायरों से निकलें. बेचारी बन कर रहोगी तो लोग दबा ही देंगे आप की कोमल भावनाओं को, तो निकलें इस दलदल से.
पहले ही जांचपरख कर शादी करें, वरना जिंदगी नरक हो जाती है. दुनिया बदल रही है, तो आप भी इस कुचक्र को तोड़ कर आगे बढ़ें, अपने पैरों पर खड़ी हों, ताकि आगे आप को यह न सुनना पड़े कि ‘तुम मेरे टुकड़ों पर पल रही हो…’ शादी करो तो लड़कालड़की खुद इतने समझदार हों कि अपनी जिंदगी को सुखमय बनाए रखें. लड़कियां इतना याद रखें कि आज के जमाने में बस उसी घर से जुड़ें, जहां आप की इज्जत हो.