महज 16 की उम्र में ही ‘मिस जम्मू’ का खिताब जीतने वाली अनारा गुप्ता इन दिनों भोजपुरी फिल्मों का चर्चित नाम बन चुकी हैं. साल 2004 में वायरल हुई एक सीडी से चर्चा में आईं अनारा गुप्ता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन कोर्ट में चली लंबी लड़ाई के बाद वे यह साबित करने में कामयाब हो गई थीं कि वायरल सीडी में दिख रही लड़की वे नहीं थीं.

अनारा गुप्ता ने अपने कैरियर की शुरुआत मौडलिंग से की थी और उन्होंने अपने फिल्मी सफर में कई उतारचढ़ाव देखे हैं. वे भोजपुरी फिल्मों के साथसाथ सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव रहती हैं और बेहद खूबसूरत व स्टाइलिश फोटो शेयर करती रहती हैं. वहां पर उन के लाखों चाहने वाले हैं. वे भोजपुरी के साथसाथ साउथ की फिल्मों में भी काफी काम कर रही हैं.

हाल ही में रिलीज हुई भोजपुरी वैब सीरीज ‘पकडुआ बियाह’ में अनारा गुप्ता की अंकुश राजा के साथ जोड़ी खूब हिट रही है. अनारा गुप्ता से हुई एक मुलाकात में उन के फिल्मी सफर पर लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

आप बेहद कम उम्र में ‘मिस जम्मू’ के खिताब से नवाजी गई थीं. मौडलिंग की तरफ रुख करने का खयाल मन में कैसे आया?

मैं ने अपने स्कूल के एक दोस्त के कहने पर मौडलिंग की तरफ रुख किया. इस में मेरी मां ने काफी मदद की. मैं ने जब मौडलिंग की तरफ कदम रखा, तो एक महीने तक स्पीच, वाक, स्टाइलिंग को सीखा. इस के बाद मेरे एक फ्रैंड ने ही मुझे ‘मिस जम्मू’ प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की सलाह दी.

क्या आप के कैरियर का शुरुआती दौर बहुत झंझावातों से गुजरा था?

जिंदगी में बहुत सारी चीजें नहीं होनी चाहिए, पर वह सब मेरे साथ हुआ. मेरे ऊपर कई झूठे आरोप लगे. उस दौर में मैं ने बहुत दुख झेला, पर मुझे मेरे परिवार का बहुत ज्यादा साथ मिला.

जब भी मैं पीछे मुड़ कर उस दौर को देखती हूं, तो काफी दुख होता है. कभीकभी मुझे खुद पर गुस्सा भी आया, लेकिन कभीकभी लगता है कि मैं बहुत मजबूत भी हूं.

जब आप ने कोई गलती की ही न हो और मीडिया के टेढ़ेमेढ़े सवालों का जवाब देना पड़े, तो क्या कभी खुद पर या मीडिया पर गुस्सा आया?

बिलकुल बहुत गुस्सा आता है. लेकिन यह भी सच है कि जब मेरे ऊपर यह आरोप लगा था, तो उस दौर की मीडिया सचाई की छानबीन कर के ही खबरें लिखती थी.

तब बहुत सारे पत्रकारों ने मेरी सचाई को दिखाने में मदद की और मेरे ऊपर लगा आरोप झूठा साबित हुआ.

आप के बुरे दिनों में सब से ज्यादा साथ किस ने दिया?

मेरे बुरे दिनों में सब से ज्यादा मेरी मां ने साथ दिया, जो आज इस दुनिया में नहीं हैं. मेरे 3 भाई मेरे साथ हर समय खड़े रहे. मीडिया का भी बहुत ज्यादा सहयोग रहा.

आप की लाइफ पर फिल्म भी बन चुकी है. ऐसा मौका बहुत कम लोगों को मिलता है. इस को ले कर आप के क्या विचार हैं?

मेरी जिंदगी में केके यादव का बहुत सहयोग रहा, जिन्होंने मुझे फिर से खड़ा होने का मौका दिया. उन्होंने मेरे स्ट्रगल को ले कर फिल्म बनाई और लोगों को सचाई से रूबरू कराया.

वे इस फिल्म के जरीए लोगों को बताने में कामयाब रहे कि मैं ने कुछ गलत किया नहीं, बल्कि झेला है.

आप ने साउथ और भोजपुरी दोनों ही फिल्म इंडस्ट्री में काम किया है. आप इन दोनों फिल्म इंडस्ट्री में क्या फर्क पाती हैं?

मैं ने साउथ की फिल्मों में काम कर के समय प्रबंधन और समय की पाबंदी का मतलब सीखा. साउथ की फिल्मों में काम कर के यह पता चला कि फिल्मों में कैसे काम किया जाता है. लेकिन असल पहचान भोजपुरी से मिली. यहां दर्शकों ने मुझे और मेरी ऐक्टिंग को सिरआंखों पर लिया.

भोजपुरी इंडस्ट्री से मुझे खूब सारा प्यार मिला और मिल भी रहा है. मुझे लगता ही नहीं है कि मैं जम्मू में पलीबढ़ी हूं, क्योंकि भोजपुरी से मेरा ऐसा जुड़ाव बन चुका है, जैसे मैं यहीं पलीबढ़ी हूं.

हाल ही में लौंच हुए भोजपुरी के ओटीटी प्लेटफार्म ‘चौपाल’ पर आप की भोजपुरी वैब सीरीज खूब सुर्खियां बटोर रही है. आप भोजपुरी वैब सीरीज का क्या भविष्य देखती हैं?

बौलीवुड फिल्में ओटीटी प्लेटफार्म पर लगातार रिलीज हो रही थीं, लेकिन भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा कोई प्लेटफार्म नहीं था. लेकिन ‘चौपाल’ ने भोजपुरी सिनेमा में भी भोजपुरी वैब सीरीज को ले कर रास्ते खोल दिए हैं.

भोजपुरी वैब सीरीज ‘पकडुआ बियाह’ किस तरह से अलग है?

फिल्मों में तकरीबन 2 घंटे में पूरी कहानी दर्शकों के सामने रखने का मौका मिलता है, जबकि वैब सीरीज में आप को अपने रोल के साथ पूरा इंसाफ करने का मौका मिलता है.

इस वैब सीरीज में मैं नैगेटिव कैरेक्टर में नजर आई हूं. इस रोल के जरीए मुझे दर्शकों का बहुत प्यार भी मिल रहा है.

आप शादी कब कर रही हैं?

मैं शादी अपनी मां के लिए करना चाहती थी, लेकिन अब जब वे इस दुनिया में ही नहीं हैं, तो मुझे कोई जल्दी नहीं है, क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री में जितना लेट शादी की जाए उतना ही अच्छा है.

एक कलाकार के तौर पर मैं ने जो देखा है कि जब कोई हीरोइन शादी कर लेती है, तो उस के कैरियर पर बहुत असर पड़ता है, इसलिए मेरा अभी शादी करने का कोई इरादा नहीं है. हां, यह जरूर है कि मैं अपनी मां की आखिरी इच्छा की इज्जत करते हुए शादी करूंगी.

आजकल फिल्मों में रंग, जाति, धर्म आदि के नाम पर फिल्मों का बौयकौट का ट्रैंड चल पड़ा है. इस से आप फिल्मों के भविष्य पर कैसा असर देखती हैं?

एक फिल्म बनाने में बहुत लोगों की मेहनत लगती है. इस में बहुत सारा पैसा लगता है. एक फिल्म से सैकड़ों लोगों का घर चलता है. लोगों के मुंह में निवाला जाता है. फिल्में मनोरंजन के लिए बनाई जाती हैं, न कि रंग, जाति, धर्म के नाम पर बौयकौट करने के लिए. फिल्में समाज का आईना होती हैं, इसलिए हमें फिल्म को फिल्म के नजरिए से देखना होगा.

दर्शकों को इस बात को समझना होगा कि बौयकौट से समाज में सिर्फ भेदभाव फैलता है.

जिंदगी में आई तमाम नाकामियों के चलते आप हताश हुई हैं या और भी मजबूत हुई हैं?

जिंदगी में उतारचढ़ाव आते रहते हैं, खासकर फिल्म इंडस्ट्री में कामयाबी और नाकामी लगी रहती है. मेरी मम्मी ने मुझे सिखाया है कि कभी हालात से हार न मानो. ऐसे में जब भी मेरे सामने नाकामियां आईं, तो मैं हताश होने की जगह और भी मजबूत होती गई.

आप की जिंदगी का सब से ज्यादा टर्निंग पौइंट कब रहा?

मेरे जिंदगी का टर्निंग पौइंट साल 2004 रहा. तब मैं ने खुद को हालात से उबारा भी और फिल्मों में ऐक्टिंग की तरफ कदम भी बढ़ाया.

 

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