अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और आज देश के सबसे चर्चित राजनीतिक शख्सियत बन चुके राहुल गांधी की “भारत जोड़ो यात्रा” की जिस तरह भारतीय जनता पार्टी उसके छोटे से लेकर बड़े नेता आलोचना करते रहे हैं विशेष तौर पर बड़े चेहरे इससे हुआ यह है कि उल्टे बांस बरेली कहावत की तर्ज पर भारत जोड़ो यात्रा भारतीय जनता पार्टी के लिए ही भारी पड़ गई है.

इसीलिए कहा जाता है कि बिना सोचे समझे कोई बात नहीं कही जानी चाहिए. यहां उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने जैसे ही भारत जोड़ो यात्रा का एलान किया था भारतीय जनता पार्टी और उसका दस्ता मानो राहुल गांधी के पीछे पड़ गया था और ऐन केन प्रकारेण राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जिसके पीछे का मकसद अब धीरे-धीरे देश की जनता समझ रही है की कितना पवित्र है को भाजपा और उसके नेता माहौल को खराब करके इस यात्रा पर प्रश्न चिन्ह लगा देने की जुगत में थे. मगर देश की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पूरे दबाव प्रभाव और चिल्लपौं के बाद भी भारत जोड़ो यात्रा आगे बढ़ते रही और धीरे-धीरे उसकी लोकप्रियता में इजाफा होता ही चला गया. अब भाजपा के यह नेता बगले झांक रहे हैं और मुंह से शब्द नहीं फुट रहें है.

लोकतंत्र और नरेंद्र मोदी

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र दामोदरदास मोदी को देश के लोकतंत्र पर शायद आस्था नहीं है. इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि नरेंद्र दामोदरदास मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद विपक्ष अर्थात सबसे बड़ी पार्टी अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को विपक्ष के रूप में मान्यता नहीं देने की भावना. और यह बार-बार कहना कि हम तो देश से कांग्रेस का नामोनिशान मिटा देंगे हम तो देश को कांग्रेस मुक्त बना देंगे.

भाजपा का यह उद्घोष, यह सब कहना लोकतंत्र में आस्था की कमी को दर्शाता है और इस सब के कारण भारतीय जनता पार्टी की छवि को लोकतंत्र को बहुत क्षति हुई है. भारतीय जनता पार्टी की साख में भी गिरावट आई है. अगर मोदी जिस तरह कांग्रेस ने अपनी सरकार के समय विपक्ष को हमेशा महत्व दिया वैसा ही माहौल बनाकर रखते तो नरेंद्र मोदी की छवि देश में और भी ज्यादा लोकप्रिय हो सकती थी.

नरेंद्र दामोदरदास मोदी अपनी इसी अराजक छवि और सोच के कारण भाजपा को भारी क्षति पहुंचा रहे हैं .जो अभी दिखाई नहीं दे रही मगर आने वाले समय में भाजपा को इसका खामियाजा तो भुगतना ही होगा. जैसे यह तथ्य भी सामने है कि अगर राहुल गांधी कांग्रेस के एक बड़े चेहरे हैं भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे थे नरेंद्र दामोदरदास मोदी इस यात्रा में सम्मिलित हो जाते और अपनी शुभकामनाएं दे देते तो देश में हमारे लोकतंत्र में यह एक नजीर बन जाता और सद्भावना का एक मिसाल रूपी उदाहरण बन जाता. मगर नरेंद्र मोदी के समय काल में भारत में जिस तरह जाति संप्रदाय हिंदू मुस्लिम से लेकर के अनेक मसलों को बेवजह उभार दिया जा रहा है वह देश को विकास की और नहीं बल्कि विनाश की ओर ले जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी अब इस यात्रा को लेकर रक्षात्मक है वही कांग्रेस और राहुल गांधी आगे और आगे निकलते चले जा रहे हैं.

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