मलयालम सिनेमा के सुपरस्टार ममूटी के बेटे दुलकर सलमान को हमेशा लगता था कि वे अपने पिता के जूते में पैर रखने के काबिल नहीं हैं. इसी के चलते उन्होंने खुद को फिल्मों से दूर रखते हुए एमबीए की पढ़ाई कर दुबई में नौकरी करनी शुरू की, पर यह नौकरी उन्हें रास नहीं आ रही थी. आखिरकार 26 साल की उम्र में उन्होंने साल 2012 में मलयालम फिल्म ‘सैकंड शो’ में हरीलाल नामक गैंगस्टर का किरदार निभाते हुए ऐक्टिंग जगत में कदम रखा और देखते ही देखते वे मलयालम सिनेमा के सुपरस्टार बन गए.

यही वजह है कि दुलकर सलमान अब तक तकरीबन 35 फिल्मों में ऐक्टिंग, 13 फिल्मों में गीत गाने के अलावा 4 फिल्में भी बना चुके हैं. उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में इरफान खान के साथ फिल्म ‘कारवां’ से कदम रखा था.  सितंबर महीने में आई आर. बाल्की की फिल्म ‘चुप : रिवैंज औफ द आर्टिस्ट’ में भी दुलकर सलमान के काम की काफी तारीफ हुई थी, जिस में सनी देओल भी थे. पेश हैं, दुलकर सलमान से हुई लंबी बातचीत के खास अंश :

आप की परवरिश फिल्मी माहौल में हुई थी. अगर आप को ऐक्टर ही बनना था, तो फिर एमबीए की पढ़ाई कर दुबई में नौकरी करने के पीछे कोई खास सोच थी? यह सच है कि मैं ने पहले ऐक्टिंग को अपना कैरियर बनाने के बारे में नहीं सोचा था. इस के पीछे मूल वजह यह थी कि मेरे पिता मलयालम सिनेमा के महान अभिनेता हैं. मैं जानता था कि मेरे अभिनेता बनने पर लोग मेरी तुलना उन से करेंगे, जो मैं नहीं चाहता था.

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