कहते हैं इश्क पर किसी का जोर नहीं चलता. चाहे कोई कितना भी इस के बहाव को रोकने की कोशिश करे, रोका नहीं जा सकता है. ऐसा ही कुछ पाकिस्तान में रावलपिंडी की 18 वर्षीया आशिया  के साथ हुआ. उस का दिल 61 साल के शमशाद पर आ गया था. इस के बाद जो हुआ…

आशिया कुछ हफ्ते बाद ही 18 ही होने वाली थी. अम्मीअब्बू उस की शादी को ले कर चिंतित थे.

वे उस के लिए अच्छा सा रिश्ता ढूंढ रहे थे. मनपसंद रिश्ता नहीं मिल पा रहा था. उन्हें शमशाद के आने का इंतजार था. वह महीनों से आए नहीं थे.

उन के बारे में आशिया की अम्मी हफ्ते भर से बातें कर रही थीं कि वह आएंगे तब उन की मुश्किल दूर हो जाएगी. बेटी का रिश्ता तय हो जाएगा. वह कई बार अपने शौहर से बोल चुकी थीं कि किसी से शमशाद के बारे में मालूम करें कि वह महीनों से क्यों नहीं आ रहे हैं.

शमशाद के बारे में अम्मी और अब्बू से बातें सुनसुन कर आशिया के मन में उन्हें देखने की इच्छा मचलने लगी थी. उस के दिल में निकाह को ले कर गुदगुदी होने लगी थी. उसे लगा जैसे उस की पसंद का दूल्हा चल कर उस के घर आने वाला हो. वह चुपके से रसोई में अम्मी से पूछ बैठी, ‘‘अम्मी शमशाद कौन है?’’

‘‘क्यों? क्या करना है उन के बारे में तुझे जान कर?’’ अम्मी झिड़कते हुए बोलीं.

‘‘मेरी अच्छी अम्मी, प्यारी अम्मी बताओ न, कौन हैं शमशाद? तुम अब्बू से उन के बारे में बातें करती रहती हो.’’ आशिया ठुनकते हुए बोली.

‘‘आएंगे, तब मिल लेना. और हां, जो कुछ तुम से पूछें, उस का सहीसही जवाब देना.’’ अम्मी प्यार से उस के गाल पर एक चपत लगाती हुई बोलीं.

अम्मी का जवाब आशिया को बेहद ही प्यारा लगा. उस के मन की बेचैनी और बढ़ गई. उस की अल्हड़ उम्र सपने बुनने लगी.

वह दिन भी आ गया, जब घर पर शमशाद आए. उन्हें अम्मी और अब्बू ने बैठकखाने में बिठाया था. आशिया ने कमरे के दरवाजे के परदे से झांक कर

देखा. उसे शमशाद की पीठ नजर आई. केश पीछे से आधे सफेद दिखे. वह चौंक गई, खुद से सवाल कर बैठी, ‘‘अरे

यह कौन है? यह तो कोई बुजुर्ग दिखता है.’’

‘‘आशिया… आशिया… रसोई में आना बेटा. शमशाद के लिए चायनाश्ता ले कर चलना है.’’ अम्मी की आवाज आई.  आशिया चुपचाप रसोई में चली गई. अम्मी से कुछ पूछे बगैर चायनाश्ते की ट्रे उठा ली और अम्मी के पीछेपीछे बैठक

में आ गई. वहां पहले से ही अब्बू भी बैठे थे.

उन के सामने वही इंसान बैठा था, जिस के बारे में घर में कई दिनों से बातें हो रही थीं. उन्हीं के आने का अम्मीअब्बू को इंतजार था. लेकिन वह आशिया के सपनों का शहजादा नहीं था. वह तो कोई 60 साल का लग रहा था. हां, पहनावे से अच्छा जरूर दिख रहा था.

वह भागती हुई रसोई में आ गई. अम्मी भी तुरंत आ गईं और पूछा, ‘‘तुम इतनी जल्दी क्यों आ गई? जाओ वहां, उन्हें तुम से कुछ सवाल पूछने हैं.’’

आशिया ने हिम्मत कर पूछा, ‘‘क्या इन्हीं से हमारा निकाह…’’

अम्मी बीच में ही हंसती हुई बोल पड़ीं, ‘‘अरे धत पगली! वह तो निकाह करवाने वाला है, लड़के और लड़कियों के लिए रिश्ते ले कर आते हैं. तेरे लिए एक

रिश्ता ले कर आए हैं. जा, जा कर अपने होने वाले दूल्हे के बारे में जो पूछना है पूछ ले.’’

‘‘मेरा जिस से निकाह होना है वह कोई और है? मैं तो उन्हीं को अपना दूल्हा समझ रही थी.’’ बोलते हुए आशिया बैठकखाने में चली गई. उस के जाने पर अब्बू वहां से चले गए.

शमशाद ने एक नजर आशिया पर डाली. बैठने का इशारा किया. आशिया उस के सामने की कुरसी पर बैठ गई और उस के सवालों का इंतजार करने लगी. कुछ समय तक चुप्पी छाई रही. वहां उन दोनों के अलावा और कोई नहीं था. शमशाद ने सीधा सा सवाल किया, ‘‘तुम्हारी उम्र कितनी है?’’

‘‘जी, 17 साल 10 महीने.’’ आशिया बोली.

‘‘सहीसही बताओ, 18 साल पूरे होने में कितने दिन बचे हैं?’’ शमशाद बोले.

‘‘जन्म की तारीख के हिसाब से कुल 42 दिन बचे हुए हैं.’’

‘‘तुम्हारी माहवारी की तारीख क्या है?’’ शमशाद ने पूछा.

आशिया को बड़ा अटपटा लगा यह सवाल सुन कर. वह चुप रही. शमशाद ने दोबारा पूछा, ‘‘कहां तक पढ़ी हो? उस की तारीख याद रखनी चाहिए तुम्हें.’’

‘‘जी…जी, पता है. महीने की 22-23 तारीख.’’ आशिया बोली.

‘‘शाबाश! इस तरीख को खुद याद रखना और होने वाले शौहर को याद रखना जरूरी है.’’ शमशाद बोले.

‘‘क्यों, शौहर को क्यों?’’ आशिया ने जिज्ञासा जताई.

‘‘बहुत खूब पूछा तुम ने. वह इसलिए ताकि उस दौरान होने वाली तुम्हारी तकलीफों और नासाज सेहत को शौहर भी समझ सके. वैसे तुम हो हिम्मती.’’

‘‘जी!’’ आशिया बोली.

‘‘ठीक है, अब तुम जाओ,’’ शमशाद बोले.

‘‘सिर्फ यही पूछना था?’’ आशिया बोली.

‘‘हां, बाकी सवाल अम्मीअब्बू से बात करने के बाद पूछूंगा.’’ शमशाद बोले.

‘‘मैं आप से एक सवाल पूछूं?’’

‘‘हां हां, पूछो.’’

‘‘आप अपनी बीवी की माहवारी के बारे में जानते हैं?’’ आशिया तपाक से पूछ बैठी.

‘‘यही तो मुझ से गलती हो गई. मैं उस बारे में कभी नहीं पूछ पाया. उस का खयाल नहीं रख पाया. वही उस की बीमारी का कारण भी बना और कई दिनों तक खून बहता रहा. उस ने जब इस बारे में बताया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. एक दिन वह मुझे छोड़ कर दूसरी दुनिया में चली गई.’’ शमशाद मायूसी से बोल कर ऊपर की ओर देखने लगा.

आशिया को लगा जैसे उस ने शमशाद की दुखती रग पर हाथ रख दिया हो. वह सहम गई और सौरी बोल कर वहां से अपने कमरे में चली आई.

शमशाद के साथ अम्मी और अब्बू की करीब आधे घंटे तक बाचचीत होती रही. उन के बीच क्या बातें हो रही थीं, इस पर आशिया ने ध्यान नहीं दिया. उस के दिमाग में एक ही बात कौंध रही थी कि अच्छा शौहर वही होता है, जो उस की सेहत का खयाल रखता है.

एक हफ्ते बाद ही शमशाद फिर आए. अब्बू काम के सिलसिले में बाहर निकले हुए थे. अम्मी बाजार गई हुई थीं. घर पर केवल आशिया ही अकेली थी.

उस ने शमशाद को बैठकखाने में बिठाया और खातिरदारी में लग गई. रसोई में चाय बनाते वक्त आशिया की बातें एक बार फिर घूमने लगीं. कुछ समय में ही वह चाय और नाश्ता ले कर बैठकखाने में आ गई.

शमशाद ने पूछा, ‘‘कैसी हो आशिया?’’

‘‘जी, बहुत अच्छी हूं.’’ आशिया चहकते हुए बोली.

‘‘बहुत खुश नजर आ रही हो,’’ शमशाद बोले.

‘‘आप आए न इसलिए.’’ आशिया बोली.

‘‘अच्छा, तो मेरी बातें तुम्हें अच्छी लगीं… बहुत सी लड़कियों को मेरे सवाल अच्छे नहीं लगते हैं. मेरा सवाल सुनते ही मुंह बिचका लेती हैं. मुझे गलत समझ बैठती हैं. वे दोबारा मुझ से बात तक नहीं करतीं.’’

‘‘मैं तो कहती हूं कि आप बहुत अच्छा पूछते हैं,’’ आशिया बोली.

‘‘तुम बहुत सुंदर हो, तुम्हें देख कर तो मोहल्ले के लड़के आहें भरते होंगे.’’ शमशाद तारीफ में बोले.

‘‘भरा करें आहें मेरी बला से. मैं उन के पीछे नहीं भागती. सारे के सारे निखट्टू हैं.’’ आशिया ने ताने मारे.

‘‘तुम्हें कैसा लड़का पसंद है?’’ शमशाद ने पूछा.

‘‘आप जैसा?’’ अचानक आशिया के मुंह से निकल गया.

‘‘मुझ जैसा या मैं?’’ शमशाद भी अचानक बोल पड़े.

‘‘धत तेरे की!’’ आशिया जाने लगे.

‘‘यहीं बैठो न, तुम से बातें कर के बहुत अच्छा लग रहा है.’’ शमशाद ने उस का हाथ पकड़ कर वहीं बिठा लिया. आशिया वहीं स्टूल पर बैठ गई. बैठते ही पूछ बैठी, ‘‘तुम सिर्फ निकाह करवाने का काम करते हो? अब तक कितने जोड़ों के निकाह करवा चुके हो?’’

‘‘अरे नहीं, मैं निकाह नहीं करवाता वह तो काजी करवाता है. मैं तो उस के लिए जोड़े मिलवाने का काम करता हूं. बड़ी मुश्किल से रिश्ते बनते हैं,’’ शमशाद बोले.

‘‘मेरे लिए कैसा रिश्ता ढूंढा है?’’ आशिया ने जिज्ञासा से पूछा.

‘‘जो ढूंढा था, लगता है तुम्हारे लायक सही नहीं होगा. किसी और की तलाश करनी होगी,’’ शमशाद बोले.

‘‘उस में कमी है क्या?’’

‘‘नहीं, कमी उस में नहीं वह बराबरी का नहीं है. मुझे लगता है वह तुम्हारी तरह खुले विचारों का नहीं है,’’ शमशाद बोले.

‘‘सही फरमाया आप ने, मुझे एकदम से खुले विचारों वाला ही चाहिए, जैसे कि आप हैं. आप से बातें कर लगता है कि मैं बराबर की उम्र के किसी लड़के के साथ बात कर रही हूं.’’

उस रोज आशिया और शमशाद की काफी बातें हुईं. उन्होंने परिवार, शादी और समाज से ले कर दुनियाजहान की भी बातें कीं. कम उम्र वाली लड़की से शादी करने पर भी बातें हुईं.

दोनों ने उसे गलत नहीं कहा. उन्होंने इमरान खान की शादी के हवाले से उस की प्रधानमंत्री बनने की उपलब्धि तक गिनवा दी.

दोनों बातें करने में इतने मशगूल हो गए कि उन्हें समय का पता ही नहीं चला. बातोंबातों में आशिया ने शमशाद से उन के खानदान और परिवार के बारे में भी मालूम कर लिया.

पता चला कि शमशाद अपनी अकेली जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं. गुजारे के लिए मकान के बाहर 5 दुकानें हैं. उस से उन्हें किराया मिलता है. मकान की ऊपरी मंजिल पर 2 परिवार किराए पर रहते हैं. वही लोग घर की देखभाल भी कर देते हैं.

आशिया की अम्मी आईं और देरी का कारण बताया. आशिया से शमशाद की खातिरदारी के बारे में पूछा. शमशाद ने ही बताया कि उन की बेटी ने उन की बड़ी अच्छी मेहमाननवाजी की है. उसे 2 बार चाय नाश्ता करवाया है. यह भी कहा कि आशिया एक नेकदिल इंसान है. जितनी सुंदर दिखती है उस से भी अधिक सुंदर उस का मन है.

शमशाद जाने को तैयार हो गए. इस पर आशिया बोली, ‘‘थोड़ी देर और

ठहर जाइए न, खाना खा कर जाइएगा.’’

‘‘कोई लड़का तुम्हें पसंद आया?’’ अम्मी ने आशिया से पूछा.

‘‘हां अम्मी, आया न!’’ कहती हुई आशिया शरमाती हुई अंदर चली गई. शमशाद भी अगले हफ्ते आने को बोल कर चले गए.

आशिया अम्मी के साथ रात का खाना पकाने की तैयारी कर रही थी. आशिया ने कहा, ‘‘अम्मी, शमशाद बहुत अच्छे हैं.’’

‘‘अच्छे हैं तभी तो तुम्हारे लिए रिश्ता ढूंढने के लिए उन्हें कहा है.’’ अम्मी बोली.

‘‘लेकिन अम्मी, मुझे तो शमशाद ही पसंद हैं.’’ आशिया बोली.

‘‘क्या बकती हो तुम? कहां तुम्हारी कमसिन उम्र और कहां शमशाद की उम्र! हाय तौबा, क्या हो गया है तुम्हें.’’ अम्मी चौंकती हुई बोलीं.

‘‘कुछ नहीं अम्मी, मेरा उन पर दिल आ गया है. वह मुझे बहुत अच्छे लगे.’’

‘‘बहुत अच्छे लगने से क्या होता है. पूरी जिंदगी गुजारनी है उन के साथ. वह तुम से 40 साल से अधिक बड़े हैं.’’

‘‘बड़े हैं तो क्या हुआ. वह नेक इंसान हैं. नेक काम करते हैं. अच्छी आमदनी है. और क्या चाहिए. मुझे पता नहीं क्यों ऐसा लगता है कि वह मुझे बहुत खुश रखेंगे.’’ आशिया बोलती चली गई.

‘‘यह बात दोबारा मत बोलियो. अब्बू सुनेंगे तो गजब हो जाएगा. …और हां रिश्तेदार क्या कहेंगे हमारे बारे में.’’ अम्मी बिफरती हुई बोलीं.

2 हफ्ते तक शमशाद नहीं आए. आशिया चिंतित हो गई. उस से अधिक चिंता उस के अम्मीअब्बू को होने लगी. विवाह के नए कानून की वजह से उन की चिंता और बढ़ गई.

दरअसल, पाकिस्तान सरकार ने विवाह का नया कानून बनाया है. उस के मुताबिक लड़की की 18 की उम्र होते ही उस का निकाह करना जरूरी होगा.

ऐसा नहीं करने पर इस का जुरमाना उस के मातापिता या अभिभावक को भरना पड़ेगा.

कानून के मुताबिक मुसलिम पुरुषों और महिलाओं को 18 साल की उम्र के बाद शादी का अधिकार दिया गया है. इसे पूरा करना उन के अभिभावकों, विशेषकर उन के मातापिता की जिम्मेदारी है.

पाकिस्तान में यह कानून सिंध प्रांतीय विधानसभा के एक विधायक की पहल पर बनाया गया है. इस कानून से सरकार का मकसद सामाजिक बुराइयों, बच्चियों से बलात्कार और अनैतिक गतिविधियों को काबू में करना है. इस के अंतर्गत 18 साल की उम्र होने पर लोगों की शादी को अनिवार्य बनाने के प्रावधान किए गए हैं.

‘सिंध अनिवार्य विवाह अधिनियम, 2021’ में कहा गया है कि ऐसे वयस्कों के अभिभावकों जिन की 18 साल की उम्र के बाद भी शादी नहीं हुई हो, उन्हें जिले के उपायुक्त के समक्ष इस की देरी के उचित कारण के साथ एक शपथपत्र प्रस्तुत करना होगा. शपथपत्र प्रस्तुत करने में विफल रहने वाले अभिभावकों को 500 रुपए का जुरमाना देना होगा.

आशिया की उम्र 18 साल हो गई थी और उस के लिए कोई रिश्ता तय नहीं हो पाया था. जबकि आशिया रिश्ता तय करवाने वाले से ही निकाह की जिद लगाए बैठी थी.

आखिरकार उस के मातापिता को जिद माननी पड़ी. उन्होंने शमशाद को बुलवाया. शमशाद के आने पर उन से आशिया की बात बताई. शमशाद को भी आशिया पसंद थी. इसलिए उन्होंने देरी किए बगैर हामी भर दी. जल्द ही उन के निकाह की तारीख मुकर्रर कर दी गई. उस परिवार में ही नहीं, उन के इलाके में यह खबर आग की तरह फैल गई कि 18 साल की लड़की 61 साल के बुजुर्ग से शादी करने वाली है.

सभी मीडिया वाले सक्रिय हो गए. उन्होंने अपनेअपने स्तर से उन की शादी का कवरेज किया. निकाह के अगले रोज आशिया और शमशाद के इंटरव्यू के साथ खबर अखबारों और चैनलों में आ गई.

आशिया ने इंटरव्यू में कहा कि शमशाद इलाके में गरीब लड़कियों की शादी करवाते थे, मुझे यही आदत अच्छी लगी. दूसरी बात वह लड़की के हक की बात खुल कर करते हैं. एक यूट्यूबर ने उन की शादी पर अनोखा विवाह बना कर वीडियो अपलोड कर दिया.

शमशाद ने कहा कि वह खुद को काफी खुशनसीब मानते हैं कि इस उम्र में लाइफ पार्टनर मिला. वह बोले, आशिया मेरा बहुत ध्यान रखती हैं. आशिया ने कहा, शमशाद भी उन का खूब ध्यान रखते हैं. आशिया ने बताया, ‘उन्हें जिस चीज की भी जरूरत होती है, वह ला देते हैं. मेरे परिवार की भी मदद करते हैं.’

शमशाद बताते हैं कि वे इस बात के लिए शुक्रगुजार हैं कि उन्हें इस उम्र में 18 साल की आशिया से शादी करने का मौका मिला. उन्होंने बताया कि उन की शादी की बात सुन कर कई रिश्तेदारों ने मुंह बनाए. लोग वैसे भी जीने नहीं देते हैं. कोई न कोई रुकावट पैदा करने की कोशिश करते हैं. लोग उम्र के अंतर को ले कर असहज थे.

जब आशिया से इस इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि इतनी कम उम्र में बड़ी उम्र के शख्स से शादी करने की क्या जरूरत थी तो आशिया ने कहा, ‘‘रिश्तेदार तो अब भी कहते रहते हैं. लोग वैसे भी बात करने से पीछे नहीं हटते हैं. मैं जब भी मोहल्ले में जाती हूं तो लोग कहते हैं कि तुम ने उस में क्या देखा?’’

आशिया ने कहा कि वह लोगों को नहीं समझा सकती हैं. उन्हें इन बातों से फर्क नहीं पडता है. इस शादी से आशिया और शमशाद भले ही खुश हों, लेकिन हर लव स्टोरी की तरह समाज इस में भी दुश्मन बना हुआ है, जो उन्हें उम्र के फासले को ले कर ताने मारता रहता है लेकिन इश्क के इन परिंदों को इस की कोई परवाह नहीं है.

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