अब उस ने खुलेआम मिथिलेश पर अपना हक जताना शुरू कर दिया था. यह देख कर मिथिलेश उस से कुछ भय खाने लगी थी.किरणपाल की यह बात मिथिलेश को अच्छी नहीं लगती थी.